Sunday, November 10, 2013

अपनों से कटा....टुकड़ों में बटा....

भ्रम का मारा....ये दिल बेचारा !!!


 सब जानते-बुझते भ्रम अपने को मैं
 पालता रहा .....

 होंटों पे नकली हंसी चेहरे पे ख़ुशी ओड़
 दिल को निहारता रहा .....

 जानता था ,भ्रम टूटने से दुखेगा दिल 
 बस टालता रहा .....

 सच! बड़ा दुखता है दिल .भ्रम टूटने से
 इसी लिए संभालता रहा .....

 बार-बार चोट खाकर भी मैं दिल अपने को 
 यूँ ही सालता रहा .....

 भ्रम तो भ्रम था ,टूटना ही था इक दिन
 फिर भी सहारता रहा .....

 भ्रम टुटा .टुकड़े हुए .बिखरे टुकडो को
 बस जोड़ने में जागता रहा .....

 ले कर टुटा दिल ,संभाल के टुकड़ों को
 'अकेला' सब से दूर भागता रहा .....
अशोक'अकेला'


20 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (10-11-2013) को सत्यमेव जयते’" (चर्चामंच : चर्चा अंक : 1425) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. स्नेह के लिए आभार शास्त्री जी ....

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  2. भ्रम टूटता है तो दिल तो टूटता ही है...
    बहुत ही भावपूर्ण रचना...

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    1. अजी मेरा तो मानना भर्म सिर्फ टूटता है. दिल नहीं.

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  3. सालूजा जी आपने टूटे दिल की दास्ताने हुबहू बयां कर दी --बहुत सुन्दर !
    नई पोस्ट काम अधुरा है

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!

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  5. अकेला,सबसे दूर भगता रहा—
    हम सभी,भीड में अकेले ही हैं.
    कभी-कभी,अकेलापन भी नियामत है,
    खुद से रूब-रू होने के लिये.

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  6. बहुत ही खूबसूरत भावों से सज्जित रचना , बधाई आपको ।

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  7. वाह ! बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..!

    RECENT POST -: कामयाबी.

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  8. खूबसूरत दिल के भाव

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  9. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  10. दिल तो हर हाल में टूटता ही है ... इसलिए आशा नहीं बांधनी चाहिए ...
    भाव और दर्द में डूबे एहसास लिखे हैं ...

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  11. आपके भीतर का सच्चा इंसान आपकी कविता में झलकता है। सच्चाई को लेकर चल रहा यही घात-प्रतिघात आपकी कविता में भावात्मक राग भरता है।

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  12. बहुत मार्मिक जब इंसान दिल से सच्चा होता है तो सपने टूटने पर दुःख तो होता ही है जो कलम के द्वारा पन्नों पर उतर आता है ,बहुत खूब लिखा

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  13. भ्रम टुटा .टुकड़े हुए .बिखरे टुकडो को
    बस जोड़ने में जागता रहा .....
    ...वाह! बहुत मार्मिक प्रस्तुति...

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  14. भावमय करते शब्‍द .... मन को छूती पोस्‍ट

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  15. बहुत सुन्दर !

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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