कौन रखता है याद , गुज़रे वक्त की बात
ये ही वक्त है यादों का ,गुज़रे वक्त की बातों का....
--अशोक'अकेला'
ये ही वक्त है यादों का ,गुज़रे वक्त की बातों का....
--अशोक'अकेला'
अंगूठी...में जड़ा वो जादू का
पत्थर .....
मासूम बचपन का सच .....
गली में खेलते हुए किसी से सुना ..किसी के पास जादू की अंगूठी है
और वो उसमें किसी को भी कुछ भी दिखा सकता है .....
सिर्फ एक आने में .....मुझे भी अपनी माँ को देखने की इच्छा हुई ..
मैंने उसे कभी देखा ही नही था .....मैंने उसको अपना एक आना दिया ..
(जो मेरे दो दिन का बचाया जेब खर्च था )
उसने अपने दोनों हाथों की दिवार मेरी आँखों पर खड़ी करके...और एक टक
उसकी उंगुली और अंगूठे में पकड़ी जादू की अंगूठी की तरफ देखने कहा...
मैंने वैसा ही किया...वो बार-बार पूछ रहा था दिखाई दिया ...और मैं नही ..नही
बोले जा रहा था ....कुछ दिखे तो हाँ कहूँ.........
एक दम से वो बोला .....जो सच्चे मन से याद करेगा ...और जो अपनी माँ
को दिल से प्यार करता होगा बस उसे ही दिखाई देगा ..दुसरे को कभी नही .....
बस.......मुझे एक दम से माँ के दर्शन हो गये...मैं बोल उठा हाँ हाँ माँ दिख गयी...
आप होते तो आप को भी दिख जाता??? .....वो बचपन का जादू !!!!
--अशोक'अकेला'
सच है , वो हमारे अंदर है , जब भी नजरें झुकाईं देख ली
ReplyDeleteकुश्वंश जी ...नमस्कार ,
Deleteआप को पढना और पढ़ कर उसकी गहराई को नापना और समझना ही मेरे लिए बहुत कुछ है जितना समझ आ जाये ...
आप का मेरे को पढना ही मेरे लिए सब कुछ है .....
आभार आप के स्नेह का .....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (29-04-2016) को "मेरा रेडियो कार्यक्रम" (चर्चा अंक-2327) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप के स्नेह का आभार शास्त्री जी .....
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