कहाँ...मेरी है माँ ???
कितना प्यारा था बचपन
कितना न्यारा था बचपन
जब प्यारी सी माँ के लिए
हम सब इक-दूजे से लड़ते थे
ऊँची आवाज़ में झगड़ते थे
ये मेरी है माँ ,ये मेरी है माँ
आज हम भी वही माँ भी वही
बस वो प्यारा, सा बचपन नही
हो गये आज हम सब जवां
वक्त छोड़ गया पीछे निशां
हम आज भी लड़ रहे है
हम आज भी झगड़ रहे हैं
ले रख ले तू ही, इसे अब रख
सब एक-दूजे से कहते हैं
ये तेरी है माँ ,ये तेरी है माँ
और मैं बचपन से पूछ रहा हूँ
मुझे भी बताओ ,कहाँ मेरी है माँ ......
कितना प्यारा था बचपन
कितना न्यारा था बचपन
जब प्यारी सी माँ के लिए
हम सब इक-दूजे से लड़ते थे
ऊँची आवाज़ में झगड़ते थे
ये मेरी है माँ ,ये मेरी है माँ
आज हम भी वही माँ भी वही
बस वो प्यारा, सा बचपन नही
हो गये आज हम सब जवां
वक्त छोड़ गया पीछे निशां
हम आज भी लड़ रहे है
हम आज भी झगड़ रहे हैं
ले रख ले तू ही, इसे अब रख
सब एक-दूजे से कहते हैं
ये तेरी है माँ ,ये तेरी है माँ
मुझे भी बताओ ,कहाँ मेरी है माँ ......
--अशोक'अकेला' |
"ये तेरी है माँ ..." आज यही सच है ,कडुआ सच ...सुदर भाव प्रस्तुति
ReplyDelete"ये तेरी है माँ ..." आज यही सच है ,कडुआ सच ...सुदर भाव प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-05-2016) को "किसान देश का वास्तविक मालिक है" (चर्चा अंक-2338) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
इतना जी लिए , अब और कुछ चाहत ही नहीं , बचपन हो , मा का आँचल हो ॥ चाहिया और क्या .... अच्छी रचना
ReplyDeleteले रख ले तू ही, इसे अब रख
ReplyDeleteसब एक-दूजे से कहते हैं
ये तेरी है माँ ,ये तेरी है माँ
और मैं बचपन से पूछ रहा हूँ
मुझे भी बताओ ,कहाँ मेरी है माँ ......
ek katu satay ko rachna ke madhyam se ujagar kiya aapne ...
लाजवाब लिखा है आपने....बहुत सुंदर।
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