कहाँ...मेरी है माँ ???
कितना प्यारा था बचपन
कितना न्यारा था बचपन
जब प्यारी सी माँ के लिए
हम सब इक-दूजे से लड़ते थे
ऊँची आवाज़ में झगड़ते थे
ये मेरी है माँ ,ये मेरी है माँ
आज हम भी वही माँ भी वही
बस वो प्यारा, सा बचपन नही
हो गये आज हम सब जवां
वक्त छोड़ गया पीछे निशां
हम आज भी लड़ रहे है
हम आज भी झगड़ रहे हैं
ले रख ले तू ही, इसे अब रख
सब एक-दूजे से कहते हैं
ये तेरी है माँ ,ये तेरी है माँ
और मैं बचपन से पूछ रहा हूँ
मुझे भी बताओ ,कहाँ मेरी है माँ ......
कितना प्यारा था बचपन
कितना न्यारा था बचपन
जब प्यारी सी माँ के लिए
हम सब इक-दूजे से लड़ते थे
ऊँची आवाज़ में झगड़ते थे
ये मेरी है माँ ,ये मेरी है माँ
आज हम भी वही माँ भी वही
बस वो प्यारा, सा बचपन नही
हो गये आज हम सब जवां
वक्त छोड़ गया पीछे निशां
हम आज भी लड़ रहे है
हम आज भी झगड़ रहे हैं
ले रख ले तू ही, इसे अब रख
सब एक-दूजे से कहते हैं
ये तेरी है माँ ,ये तेरी है माँ
मुझे भी बताओ ,कहाँ मेरी है माँ ......
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--अशोक'अकेला' |