जिन्दगी के टूटे सिरों को
मैं फिर से जोड़ लेता हूँ,
ग़मों के बिछोने पर
ख़ुशी की चादर ओड़ लेता हूँ...
---अशोक 'अकेला'
मैं फिर से जोड़ लेता हूँ,
ग़मों के बिछोने पर
ख़ुशी की चादर ओड़ लेता हूँ...
---अशोक 'अकेला'
टूटे रिश्तों को...जोड़ लेता हूँ !!!
अपने हौंसलो से, होड़ लेता हूँ
मिले महोब्बत, निचोड़ लेता हूँ
दुनियां के झूठे, रीति-रिवाजो से
मुस्करा , मुहँ को मोड़ लेता हूँ
अपने ग़मों के, बिछोने पर
ख़ुशी की चादर, ओड़ लेता हूँ
उलझी जिन्दगी, की डोर को
हाथ से ख़ुद, तोड़ लेता हूँ
अब तो आदत, सी हो गई है
टूटे रिश्तों को, जोड़ लेता हूँ
ज़माने संग, चल सकता नही अब
बस 'अकेला' सपनों में, दोड़ लेता हूँ...
अशोक'अकेला'
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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........