काश! मैं भी माँ के आँचल की, छाया में सोता खूब जी भर खिलखिलाता, फिर कभी खुल के रोता पर ऐसा हो न सका .... काश! मेरी भी कोई छोटी, बड़ी, एक बहन होती फेर सर पे ममता का हाथ मेरे, वो खूब रोती पर ऐसा हो न सका .... काश! मेरा भी कोई, भाई तो होता रख के सर जिसके कंधे पर, मैं खूब रोता पर ऐसा हो न सका ..... काश! वो दोस्त मेरा, जो आज भी होता लगा सीने से मुझे, मेरे जख्म धोता पर ऐसा हो न सका ..... --अशोक'अकेला'