Tuesday, October 11, 2011

अलविदा......ग़ज़ल सम्राट "जगजीत सिंह" जी....


यादों.... के झरोखे से जगजीत सिंह !!!
"जिन्दगी जब तक साथ थी 
तब तक था दम में दम 
जिन्दगी ने साथ छोड़ दिया हमारा  
मौत की आगोश में जा लेटे हम"||अशोक'अकेला'

आखिर मौत हमसे छीन के ले गयी 
 ग़ज़ल सम्राट "जगजीत सिंह" जी को....
और रह गयी हमारे पास उनकी यादें ....

उनकी दिल से गाई ग़ज़लें, एक धरोहर के रूप में... 
उनकी अनगनित गाई ग़ज़लों में से एक आप के 
लिए उनको श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित है ... 

"हाथ छूटे भी तो रिश्ते नही छोड़ा करते 
वक्‍त की शाख से लम्‍हे नही तोडा करते"
 .गीतकार : गुलज़ार जी
..










15 comments:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि.. नमन ...

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  2. अब तो उनकी आवाज़ ही उनकी पहचान रहेगी ।
    विनम्र श्रधांजलि ।

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  3. रूहानी और दार्शनिक आवाज़ के शहंशाह जगमोहन जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रधांजलि देते हुए मन बोझिल है -कल तक रहते जो मुस्काते ,हँसते गाते आते जाते ,ऐसे आने जाने वाले ,जाने चले जाते हैं कहाँ ?

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  4. क्या कहूँ ....यादें बस यादें रेह जाती है मैंने भी इस विषय में कुछ लिखते हुए श्र्धा सुमन अर्पित किए है
    समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com

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  5. जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रधांजलि|

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  6. विनम्र श्रद्धांजलि.. नमन ...

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  7. जहाँ जगजीत जी कि गयी ग़ज़लों को सुनकर हम किसी दूसरी दुनिया में पहुँच जाते थे, आज वह खुद दूसरी दुनिया में चले गए. अब सिर्फ यादें ही रह जायेगी.

    जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रधांजलि.

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  8. “दो बूँद लुडक आये पलकों से कपोलों तक
    के माह उतर आया चल के यहाँ शोलों तक"

    विनम्र श्रद्धांजली....

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  9. dukh to bahut hua hai lekin jag jeet kar gaye hai jagjeet ji unko saadarnjali... ...
    jindagi ke baare mein mera falsafa hai..
    "सुख-दुःख, जीना-मरना, स्वर्ग-नरक सबकुछ यहाँ
    जानकर भी हम जानते कहाँ हैं
    गर जिंदगी कट जाय सुकूं से तो जिंदगी
    वर्ना जिंदगी रहती कहाँ हैं!"
    saarthak prastuti ke liye aapka aabhar!

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  10. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-666,चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  11. इस गज़ल को सुन कर आँखें नम हो आईं । जगजीत जी को श्रध्दांजली ।

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  12. .



    मेरी ओर से भी जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि …


    जग जीतने की चाह ले’कर लोग सब आते यहां !
    जगजीत ज्यों जग जीत कर जग से गए कितने कहां ?
    जग जीतने वाले हुनर गुण से जिए तब नाम है !
    क्या ख़ूब फ़न से जी गए जगजीत सिंह सलाम है !!

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  13. एक युग का अंत हुवा है जगजीत जी के साथ ... श्रधांजलि ...

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  14. विनम्र श्रद्धांजलि.
    आपकी प्रस्तुति बहुत सुन्दर है.
    भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हुई.

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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