वीरुभाई |
अशोक भाई इस फ़ाइल में फ्टोग्रेफ्स खुले नहीं हैं .आप अपने ब्लॉग पर ही डाउन लोड करलें कुछ संस्मरण सा चार पांच पंक्तियों में ,बेटे का नाम निशांत शर्मा है (कमांडर निशांत शर्मा ).
आपसे मिलकर खुद से ही मिला .बिलकुल मेरे जैसे बिंदास सब कुछ शेअर करने को आतुर सहज विश्वासी .भले टूटता रहे विश्वास .विश्वास बनते ही टूटने के लिए हैं .
एक दोस्त मिला मिलने के लिए अपनी कहने के लिए उसकी सुनने के लिए .आज कोई किसी को सुनना ही नहीं चाहता .हर कोई अनमना खुद से ही खफा खफा सा है .ज़िन्दगी से रूठा हुआ .हम तो आज भी ज़िन्दगी ढूंढ रहें हैं जहां से भी मिले टुकडा टुकडा चिंदी चिंदी .
फिर मिलेंगें इंशा अल्लाह .आदाब.शब्बा खैर .
वीरुभाई आदर एवं नेहा से .
2011/10/3 Ashok Saluja <akssaluja@gmail.com>
वीरू भाई ,राम-राम !
कुछ संस्मरण...वीरुभाई के साथ ,,,
चार लाइन लिखीं जाती हैं
त'आरूफ कराने के लिए ,
लेख लिखे जाते हैं पूरी
कहानी सुनाने के लिए||
वीरुभाई,उनका अशोकभाई |
मैं इनके लेखक डॉ.टी.एस.दराल जी से पूरी तरह सहमत हूँ !
लेख लिखना तो मेरे बस की बात नहीं ...
सो जैसे-तैसे अपने एहसास बयाँ करने की कोशिश की है ,
उम्मीद करता हूँ ! मेरी भूलें भुला कर ,इन एहसासों को
बिना, मेरे लिखें में गलती निकाले,इनको ऐसे ही मेरे एहसासों में
मूल रूप में ही रहने दें |
पढे-लिखे का लेख न समझ अनपढ़ के एहसास के रूप में ही .....
इस मान-सम्मान के लिए !
आभार होगा !
वीरुभाई और उनके साहबज़ादे कमांडर निशांत शर्मा |
30th Sep, To 1st & 2nd Oct. 2011
न्योता मिला ,फोन मिलाया ,
नम्बर लगा और बात हुई |
अगले दिन का मिलना तय हुआ
वो दिन आया ,मिले मुलाकात हुई |
मैंने हाथ बढाया ,हाथ मिलाने के लिए
वीरुभाई ,ने हाथ झुकाया ,चाह मैं खड़ा रहूँ
पांव छुआने के लिए |
न उसनें हाथ मिलाया
न मैंने पांव छुआया |
मज़बूरी थी ,हंस के हमनें
एक-दूजे को स्नेह जताया|
फिर पहली मुलाकात में मुझको
अपना राजदां बनाया |
फिर दिल खोल दिया मैंने अपना
और जी भर के अपना दुखडा सुनाया |
यह हमारी पहली मुलाकात थी
पर कहीं न लगी ऐसी बात थी |
कुछ तबीयत,उनकी नासाज़ थी
विदा हुए ,फिर कल मिलने के लिए
यह हमारी पहली मुलाकात थी |
कल फिर मिले ,प्यार से एक शिकायत आई
अशोकभाई ,क्यों तुमने अपने ब्लॉग पर
फोटो अपनी पुरानी लगाई|
इसे फ़ौरन ब्लॉग से हटाओ
दूर उनकी शिकायत भगाई, इसलिए
पुरानी हटा के ,आज की हमने लगाई |
फिर से विदा हुए ,फिर से मिलने के लिए
आपके ज़रिये हम भी मिल सके ...... शुभकामनायें
ReplyDeleteपरिचय पाकर बड़ा ही अच्छा लगा, टिप्पणियों के अनुभव से तो लाभान्वित होते रहते हैं।
ReplyDeleteखूबसूरत |
ReplyDeleteसादर नमन ||
http://neemnimbouri.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
पानी से पानी मिले, मिले कीच से कीच
ReplyDeleteअच्छों को अच्छे मिलें ,मिले नीच को नीच .
अशोक भाई अपना "आप" अच्छा तो जग अच्छा !
मुझसे मिलना फिर आपका मिलना ,
आप किसको नसीब होतें हैं .
आप जिनके करीब होतें हैं ,
वो बड़े खुशनसीब होतें हैं .
शुक्रिया इन बेलौस फटोग्रेफ्स के लिए इस परिचय के लिए इस प्यार दुलार के लिए .मुख़्तसर सी हर भेंट खूबसूरत होती है .
एक मुलाकात "राम राम भाई " वीरुभाई के साथ .... आपको हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रही ये मुलाकात ।
ReplyDeleteसही जोड़ीदार लग रहे हैं ।
दोस्तों से सुख दुःख बाँट कर मन स्वस्थ रहता है ।
शुभकामनायें ।
आप दोनों भाइयों को इस भाई का नमस्कार परिचय जान कर अच्छा लगा | वीरू भाई से पहले से परिचय था
ReplyDeleteवाह देखिये आप दोनों ई जोड़ी और दोस्ती में क्या कमाल की रचना ने जनम ले लिया ... बहुत अच्छा लगा वीरू भाई से मिलना ...
ReplyDeleteNICE.
ReplyDelete--
Happy Dushara.
VIJAYA-DASHMI KEE SHUBHKAMNAYEN.
--
MOBILE SE TIPPANI DE RAHA HU.
ISLIYE ROMAN ME COMMENT DE RAHA HU.
Net nahi chal raha hai.
जय और वीरु सी दोस्ती की शुरुआत होती लग रही है । शुभकामनाएँ...
ReplyDeletebahut achhi lagi ye mulakaat ... shubhkamnayen
ReplyDeleteअशोक भाई मेरी तबियत आज बिलकुल ठीक है .पूरे सात दिन एंटी -बायोटिक अज़िथ्रोमाय्सिं ५०० मिलीग्राम रोज़ खाना पड़ा है .ऊपर से हमदर्द दवा खाने की दवा भी ली थी .आपने हमारे परिचय के दायरे को और फैला दिया अपने स्नेह की छाँव से आभार आपका .आपको मिस करता हूँ .आपकी याद आती रही ,मोहिनी छवि भी .
ReplyDeletebahut badhiya mulakaat....abhaar..
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा । यह मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है कि इस पोस्ट पर आप सबका सामीप्य मिला । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeletesundar dhang se yaadon ka sunhra album dekhkar bahut achha laga..
ReplyDeletehaardik shubhkamnayen!
मुलाक़ात हुई, क्या बात हुई, ये बात किसी से ना कहना....
ReplyDeleteलेकिन आपने जो यादों का पुलिंदा खोला तो हम उसी में रम गए. बहुत सुंदर संस्मरण.
आपके और वीरू भाई के दोस्ती के चर्चे यूँ ही चलते रहे यही शुभकामना.
ह्म्म्म मुलाकात ..... दो अजनबी...अभी अभी मिले हैं,एक हो जायेंगे एक दिन हा हा हा अच्छे लोग किस्मत से मिलते है .वे एक सोच और बौद्धिक स्तर पर एक हो तो ...दो नही रहते.और वीरू भैया को उनके ब्लोग्स के मार्फत जानती हूँ.आप से अलग नही है वो.एकदम साफ़ दिल,भावुक और ज्ञानी है वे.देखना खूब जमेगी आप दोनों की.
ReplyDeleteवीरे ! एक दिन आएगा जब आप सबको बताएगे
कि.... मेरी छुटकी मुझसे मिलने आई थी. चाहती हूँ.ऐसा होगा कभी? कौन जाने? शायद इसीलिए आप और वीरू भैया का मिलना मुझे गदगद कर रहा है.ईश्वर इस मुलाक़ात को दिल के रिश्तों में बदल दे.
आप सब के स्नेह,मान-सम्मान और शुभकामनाओं के लिए मैं
ReplyDeleteअपनी और वीरुभाई की तरफ आप सब का दिल से आभार प्रकट करता हूँ!!
आप सब भी हमेशा ...
खुश और स्वस्थ रहें !
अफ़सोस है कि यह पोस्ट न देख सका ....
ReplyDeleteवीरू भाई गज़ब का प्रभाव छोड़ने में सक्षम हैं ! आशा है किसी दिन शीघ्र आपसे मुलाक़ात होगी !
सादर !