यादें!!! उन गुज़रे हसीं पलों की .....
देव आनंद साहब .......जो अब हमारे बीच नही रहे ....
Sept.1923----2011 Dec. |
उस शानदार रूमानी ,जिंदादिल और जानदार शख्सियत
के हसीन मालिक के बारे में कुछ लिखना मेरे
बस की बात नही........!
हमारे समय के सबसे खूबसूरत ,सब के दिलों की धडकन,
जवां पीढ़ी की नस-नस में बसे ,छोटे-बड़े ,युवक,युवतियों के
एक मात्र रोमांटिक और स्टाइलिश नायक थे वो ......
उनके शरीर में बिजली का करंट दोड़ता था ,एक जगह
टिकना ,रुकना या खड़े होना तो उनको आता ही नही था |
ऊँची-नीची, ढलान ,पहाड़ ,समतल .जंगल या रेतीला मैदान जो भी
हो ,चलना ,भागना ,दौडना और बोलना सब फ़टाफ़ट......
और अंत में...! वो गए भी ऐसे ही,न कोई बीमारी ,न किसी
से तीमारदारी ,अंत तक अपनी कर्म-भूमि की सेवा में
कर्म करते-करते फ़टाफ़ट ये जा... और वो जा ......
इससे ज़्यादा और शानदार अंत क्या होगा ...?
इस चुल-बुले नायक को अपने,फुर्तीले भागते-दौड़ते और अनोखे
अंदाज़ में इस गीत में अपने अभिनय को निभाते
हुए सुनिए और देखिये ..........
हम सब चाहने वालों की तरफ से उनको एक
भाव-भीनी विन्रम श्रद्धांजलि.....
फिल्म: काला बाज़ार
वर्ष : १९६०
अदाकार : देव आनंद साहब
गायक: रफ़ी साहब
संगीत : सचिन देव बर्मन
सहनायका:वहीदा रहमान
रफ़ी साहब |
विनम्र श्रद्धांजलि ...नमन
ReplyDeleteएक युग का अवसान हो गया, विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteमेरे प्रिय रहे हैं।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि।
आज जब घर पर बच्चों को बताते है कि देवानद जी को जवानी में काले सूत पहनने की मनाही थी तो वे अचंभित होते है ! वाकई एक ख़ास शख्सियत थी !
ReplyDeleteदेव साहब का जाना हमारे अतीत का व्यतीत होना है .उनका बहुत कुछ बरसों हमारे पास रहा .उनका हेयर स्टाइल चुराया ,सिगरेट पीने का अंदाज़ यहाँ तक की तेज़ी से सीढियां उतरने की उनकी अदा .वो जिस पिक्चर में होते हिरोइन का कद खूबसूरती में बहुत छोटा कर देते .और उनका फलसफा 'मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ,हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया .....जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया .उनके लम्बे लम्बे स्कार्फ जादुई मफलर ,कोलर शर्ट का खड़े रखने का अंदाज़ कितने दिलों की धड़कन बना रहा .आईने में अपनी शक्ल देखते तो चेहरा उनका नजर आता .कहीं कोई अक्ष कोई बालों की लट भर मिल जाए पफ आगे झुका झुका मिल जाए यही हासिल था उस दौर का .
ReplyDeleteअपनी तो हर राह एक तूफ़ान है ,ऊपर वाला जानकार अनजान है .....
उनकी कामकरने की कूवत पुराने को छोड़ नए को लपकना ,ना -कामयाबी को यूं झटक के चल देना और हसीं गानों का वह खूबसूरत सिलसिला .......ये दिल न होता बे -चारा कदम न होते आवारा ,जो खूबसूरत कोई अपना हमसफ़र होता .......दूरियां नजदीकियां बन गईं अज़ब इत्तेफाक हैं .आज भी हमारे साथ है .उनका काम करने करते ब्रेहने का फलसफा भी .
उस दौर की तिकड़ी -राजकपूर ,दिलीप कुमार और देवानंद में से राज कपूर तो बहुत पहले ही चले गए मुकेश भाई की तरह ,अब देव साहब भी गए .लगा हम बहुत बड़े हो गए .हमारे नायक चुक रहें हैं लेदेके दिलीप साहब बचें हैं .ये आना जाना मुल्तवी नहीं हो सकता ?देव साहब भी यही चाहते थे उन्हें वैसे ही याद किया जाए जैसे वह थे उनकी मैयत के पीछे न कोई आए न कोई उन्हें उस सूरते हाल देखे .यहाँ मुंबई में हैं इन दिनों बड़ा धक्का लगा वह समाचार पढके -उनका अंतिम संस्कार लन्दन में ही किया जाएगा बेटे सुनील का यही वक्तव्य था .देव साहब चुप चाप ही चले गए .क्या सच मुच चले गए .
"कल तक रहते जो मुस्काते ,हँसते गाते ,आते जाते ,ऐसे आने जाने वाले जाने चले जातें हैं कहाँ ........"
दुनिया से जाने वाले जाने चले जातें हैं कहाँ ......
हम अब यही लगता है -यहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ ........
हिंदी फिल्म जगत में उनका योगदान हमेशा याद रहेगा ।
ReplyDeletebehatareen गीत जो हमें भी बड़ा पसंद रहा है ।
आपने सुन्दर श्रद्धांजलि प्रस्तुत की है देव साहब को.
ReplyDeleteबहुत ही कर्णप्रिय गीत सुनवाया है आपने.
मेरी भी विनम्र श्रद्धांजलि उनको.
उस रोज़ डर्टी पिक्चर देखी .सभी थियेटर मुंबई के देव साहब को श्रीन्द्धांजलि डे रहें हैं देव साहब (१९२३-२०११ ),विनम्र श्रृद्धांजलि .आंसू आगे आँखों में .
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-722:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteदेव को विनम्र श्रद्धांजलि, जब जब तुम्हे सुनेगें। तुम बहुत याद आओगे।
ReplyDeletebehtarin prastuti. aakhiri me jo video upload kiya hai wo kamal ka git hai, aur mere pasandida gito me se ek hai.
ReplyDeleteFrom Great talent