इंतज़ार अभी ,इंतज़ार अभी ,इंतज़ार अभी
न फिर कभी,न फिर कभी बस इंतज़ार अभी |
दिल जब किसी की इंतज़ार में, भटकता है
अपनी जगह छोड़ मुट्ठी मेरी, में धड़कता है|
हज़ार बार कस्म खाई, न इंतज़ार करने की
हर-बार तोड़ी कस्म इंतज़ार करके, न करने की|
अब इज़हार कर दिया हमने, उनको ये इकरार करके
तुम्हारे इंकार को न मनाएंगे ,और अब इंतज़ार करके|
बड़ी मुद्दत से इंतज़ार था उसके आने का
वो आये तब ,जब वक्त था हमारे जाने का|
इंतज़ार करके जब थक गई, ये आँखे
जां तो निकल गई ,खुली रह गई, आँखे|
ये माना, इस इंतज़ार से सब को एलर्जी है
पर अफ़सोस चलती इसी की मर्ज़ी है|
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Wednesday, December 14, 2011
हमें कब था, ऊनके वादो पे एतबार पर एतबार किया,और बार बार किया॥ अज्ञात
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अशोक जी बेहतरीन शब्दों से आपने इन्तजार के बारे में समझाया है, इन्तजार भी गजब होता है।
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल......
ReplyDeleteइंतज़ार है ! तो उम्मीद भी, अभी बाकी है....||
ReplyDeleteइस उम्मीद के सहारे ही जीवन चलता है...!
दर्द का गीत दिल तक पहुँचता है!
सादर!
बहुत ही गज़ब की लाजवाब गज़ल है…………बेहतरीन्।
ReplyDeleteखड़े थे रहगुज़र में करना था तेरा इंतज़ार .जो मजा इंतजारी में है ,बेकरारी है वह कहीं और कहाँ ...
ReplyDeleteवाह वाह अशोक जी । यह इंतजार भी सिगरेट जैसा हो गया । न छोड़ा जाये , न सहा जाये ।
ReplyDeleteबड़ी मुद्दत से इंतज़ार था उसके आने का
ReplyDeleteवो आये तब ,जब वक्त था हमारे जाने का|
वाह सलूजा साहब, आज आपका मन रंगत में दीख रहा है !
इंतज़ार-नूर इस जिन्दगी में कुछ इस तरह भाया,
ReplyDeleteसब हो गए बेरंग ,बस इसी का रंग चारो ओर छाया ||
anu
बड़ी मुद्दत से इंतज़ार था उसके आने का
ReplyDeleteवो आये तब ,जब वक्त था हमारे जाने का|
इंतज़ार करके जब थक गई, ये आँखे
जां तो निकल गई ,खुली रह गई, आँखे|
बहुत सुन्दर लगी ये पंक्तियाँ! ख़ूबसूरत और लाजवाब ग़ज़ल!
अगले पल को संभावनाओं से भरते रहने से भारीपन आ जाता है प्रतीक्षा में।
ReplyDeleteखुबसूरत खयालात....
ReplyDeleteसुन्दर रचना सर...
सादर...
bahut hi badhiya
ReplyDeleteबड़ी मुद्दत से इंतज़ार था उसके आने का
ReplyDeleteवो आये तब ,जब वक्त था हमारे जाने का ...
अशोक जी ... इन्तेज़ार की ये इन्तहा है या उनके न आने की जिद्द ... फिर भी एक उम्मीद तो रहती है उनके आने की ... जबरदस्त ...
बढ़िया अभिव्यक्ति प्यार की ....
ReplyDeleteशुभकामनायें भाई जी !
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-729:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
वाह ……वाह्………वाह
ReplyDeleteएहसासों के समुन्दर में अपने ही हमारे व्यतीत में गहरे डुबोती रचना .देव साहब का जाना हमारे अपने अतीत के नायक का हमारी अपनी अदा और हेयर स्टाइल की प्रेरणा का जाना है .हमारा हीरो -शून्य हो जाना है .
ReplyDeletebehad umda gazal....
ReplyDeletebahut umda ghazal बड़ी मुद्दत से इंतज़ार था उसके आने का वो आये तब ,जब वक्त था हमारे जाने का|kya kahun shabd nahi hain mere pas taareef ke liye .....laajabaab.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सरल प्यारी सी रचना....
ReplyDeleteबहुत भायी...
lajawab rachana hai....
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