पग-पग सिखाती है कुछ नये ढंग, ये जिन्दगी
पल-पल दिखाती हैं कुछ नये रंग, ये जिन्दगी
किसको कहूँ पराया, किसे कहूँ मैं अपना
हर घड़ी मुझको बताती है, ये जिन्दगी
टेड़े-मेढे, ऊँचे-नीचे रास्तों पर है मंजिल
रास्तों पर चलना सिखाती है, ये जिन्दगी
जो कल गले मिले आज पहचानते नही
ऐसे-ऐसे लोगों से मिलाती है, ये जिन्दगी
सीना फुला के चलें ,सर तान के उम्र भर
ऐसे-वैसे लोगों का सर झुकाती है, ये जिन्दगी
मैं....मैं हूँ, पड़ जाती है गलतफ़हमी जिसे
फिर उसको बड़ा सताती है, ये जिन्दगी
जो प्यार से सब को लगाये गले अपना बनाये
"अकेला"उसी को प्यार से सजाती है, ये जिन्दगी....
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अशोक'अकेला' |
कैसे कैसे लोग मिले हैं, जीवन के गलियारे में ..
ReplyDeleteशुभकामनायें भाई जी !
Bahut achi kavita hain
ReplyDeleteजिंदगी का ये फलसफा भा गया.....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल....
सादर
~अनु~
सीना फुला के चलें ,सर तान के उम्र भर
ReplyDeleteऐसे-वैसे लोगों का सर झुकाती है,ये जिन्दगी,,,उम्दा शेर,,,बधाई अशोक जी,,,
सुंदर बहुत लाजबाब गजल !!!
recent post "http://dheerendra11.blogspot.in/2013/04/blog-post_9.html#links">: भूल जाते है लोग
सुंदर बहुत लाजबाब प्रस्तुति !!!
ReplyDeleterecent post : भूल जाते है लोग,
टेड़े-मेढे, ऊँचे-नीचे रास्तों पर है मंजिल
ReplyDeleteरास्तों पर चलना सिखाती है, ये जिन्दगी
जीवन तो हर दिन नए पाठ पढता है..... बहुत सुंदर
लाजबाब प्रस्तुति
ReplyDeleteहर कदम एक नया अध्याय खोल जाता है ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल ,सर .....
बहुत बढ़िया लाजबाब ग़ज़ल....
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन दिल दा मामला है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDelete
ReplyDeleteसीना फुला के चलें ,सर तान के उम्र भर
ऐसे-वैसे लोगों का सर झुकाती है, ये जिन्दगी
गहरे जज्बात.............
जिन्दगी का रोचक फलसफा...
ReplyDeleteनित्य नई राह दिखाती है जिन्दगी.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (10-04-2013) के "साहित्य खजाना" (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
जो कल गले मिले आज पहचानते नही
ReplyDeleteऐसे-ऐसे लोगों से मिलाती है, ये जिन्दगी
कमाल के अशआर हैं ,गहराई का अंदाज़ा डूबने वालों को ही होता है।
बहुत ही भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुती आदरणीय.
ReplyDelete"जानिये: माइग्रेन के कारण और निवारण"
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteरिश्तों के उलझे सिरों का कोई छोर नही लेकिन,
यहाँ-वहां आहटों मे साकार कराती ये जिन्दगी
ReplyDeleteजो प्यार से सब को लगाये गले अपना बनाये
"अकेला"उसी को प्यार से सजाती है, ये जिन्दगी....बहुत सुन्दर , लाजबाब ग़ज़ल
LATEST POSTसपना और तुम
जिंदगी का तजुर्बा -- जिंदगी की देन।
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल।
कभी-कभी,वक्त की मुहताज़ है,जिंदगी
ReplyDeleteजो कल गले मिले आज पहचानते नही
ReplyDeleteऐसे-ऐसे लोगों से मिलाती है, ये जिन्दगी
Sach kaha hai Ashok ji ... Jindagi jo n karaye vo kam hai .... Jo kuch is dharti pe hai ... Zindagi vo sabji kuch dikha deti hai apne kaal mein hi ...
Bahut umda gazal hai ...
हर पल ज़िंदगी कुछ न कुछ सिखाती है ...खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteदुखते मन को जिलाती है जिन्दगी।
ReplyDeleteकिसको कहूँ पराया, किसे कहूँ मैं अपना
ReplyDeleteहर घड़ी मुझको बताती है, ये जिन्दगी
बहुत सुंदर
हकीकत के काफी करीब से गुजरती रचना
बहुत सुंदर रचना सर!
ReplyDeleteआपकी हर रचना में अजीब सी क़शिश है, अजीब सा सुक़ून...~लगता है, जैसे खुद को पढ़ रहे हैं!
~सादर!!!
पग-पग सिखाती है कुछ नये ढंग, ये जिन्दगी
ReplyDeleteपल-पल दिखाती हैं कुछ नये रंग, ये जिन्दगी
सब कुछ सिखाती है !!! ये जिन्दगी .....
बहुत उम्दा और जिंदगी की हकीकत भी.
नवरात्रि और नवसंवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
लाजवाब जनाब |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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बेहतरीन सर!
ReplyDeleteसादर
जिन्दगी का सबक ....यादों का काफिला ताउम्र साथ रहता है
ReplyDeleteसादर