कल का प्यार ...आज का व्यापार.....
गुज़रे कल का प्यार.... और
सौ बार डर के पहले
इधर-उधर देखा ,
तब घबरा के तुझे इक
नजर देखा |
सुना कल रात मर गया वो ?
किसी के प्यार मैं था पड़ गया वो
जिससे करता था प्यार वो
कर न सका कभी इज़हार वो
इक दिन प्यार ने, उसके
किसी और से शादी करली
दे के मुबारक अपने
प्यार को, उसने खुद
ख़ुदकुशी कर ली |
जीते जी नाम न था
मर के वो बेनाम न था
प्यार इबादत है
प्यार पूजा है
प्यार कुर्बानी लेता नही
प्यार कुर्बानी देता है
बस यही इक प्यार है ?
ये गुज़रे कल का प्यार था
इसी को प्यार कहते है
इक आज का प्यार है
जिसको व्यापार कहते हैं|
...आज का प्यार
खूब जी भर ,बेफिक्र
हो के तुझ को देखा
थक गये जब ,तब
इक नजर इधर-उधर देखा
प्यार के
व्यापार में
उधार का
लेंन-देन
मना हे
प्यार लो ,प्यार दो
लिया कर्ज उतार दो
ये कैसा प्यार है ?
क्यों पिस्टल गोली दरकार है
प्यार के ज़ज्बे की ये हार है
ये सिर्फ देह का व्यापार है
प्यार पाक होता है
प्यार निस्वार्थ होता है
ये प्यार बीमार है
ये प्यार का व्यापार है
ये कैसा प्यार है ?...
गुज़रे कल का प्यार.... और
सौ बार डर के पहले
इधर-उधर देखा ,
तब घबरा के तुझे इक
नजर देखा |
सुना कल रात मर गया वो ?
किसी के प्यार मैं था पड़ गया वो
जिससे करता था प्यार वो
कर न सका कभी इज़हार वो
इक दिन प्यार ने, उसके
किसी और से शादी करली
दे के मुबारक अपने
प्यार को, उसने खुद
ख़ुदकुशी कर ली |
जीते जी नाम न था
मर के वो बेनाम न था
प्यार इबादत है
प्यार पूजा है
प्यार कुर्बानी लेता नही
प्यार कुर्बानी देता है
बस यही इक प्यार है ?
ये गुज़रे कल का प्यार था
इसी को प्यार कहते है
इक आज का प्यार है
जिसको व्यापार कहते हैं|
...आज का प्यार
खूब जी भर ,बेफिक्र
हो के तुझ को देखा
थक गये जब ,तब
इक नजर इधर-उधर देखा
प्यार के
व्यापार में
उधार का
लेंन-देन
मना हे
प्यार लो ,प्यार दो
लिया कर्ज उतार दो
ये कैसा प्यार है ?
क्यों पिस्टल गोली दरकार है
प्यार के ज़ज्बे की ये हार है
ये सिर्फ देह का व्यापार है
प्यार पाक होता है
प्यार निस्वार्थ होता है
ये प्यार बीमार है
ये प्यार का व्यापार है
ये कैसा प्यार है ?...
अशोक'अकेला' |
आदरणीय अशोक जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत अच्छी कविता है ।
ये गुज़रे कल का प्यार था
इसी को प्यार कहते है
इक आज का प्यार है
जिसको व्यापार कहते हैं|
...... आपकी ये पंक्तियाँ मुझे बहुत भाई
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteकल प्यार प्यार था....आज टाईमपास है...
सादर
अनु
सच कहा अशोक जी..कल का प्यार प्यार था आज का प्यार सिर्फ व्यापार है..क्योकि पहले प्यार दिल से होता था आज प्यार दिमाग से....
ReplyDeleteवो गुजरे वक्त का प्यार था
ReplyDeleteआज तो प्यार खिलवाड है,
पहले प्यार तो निस्वार्थ था
आज का प्यार व्यापार है,,,,,
सार्थक प्रस्तुति,,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
बदलते वक़्त में प्यार का रूप भी बदल गया है ..... बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteवक़्त बदला है और निश्चित ही यह ह्रास दुखद है...!
ReplyDeleteअब तो न डर लगा
ReplyDeleteन इधर उधर देखा
न पहली नज़र या धड़कनों पर कान दिया
अब तो बस सालाना इनकम देखा
कितनी संपत्ति है- यह देखा
......
प्यार तो हो गया बकवास
meri tippani?
ReplyDeleteजिसको जो हो पसंद ...वोही हम बात कहेंगें ..?:-)))
Deleteवाकई भाई जी....
ReplyDeleteयह कैसा प्यार है !
ये कैसा प्यार है !
ReplyDeleteये वक्त की मार है .
बढ़िया चिंतन ,बढ़िया विचार है .
यार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....
ReplyDeletethe four letter word 'LOVE' has lost its meaning now a days.
ReplyDeleteaapne sundar tulanatmak chitra kheencha hai
ReplyDeletebahut yatharth ko dikhati rachn.....
ReplyDeleteबिल्कुल सच कहा है आपने ... बेहतरीन प्रस्तुति ..आभार
ReplyDeleteबदलते वक्त ने प्यार के सुन्दर रूपको भी बदल दिया है..
ReplyDeleteआपकी दोनों ही रचनाये...बहुत बेहतरीन है...
और एकदम सटीक भी...
:-)
किधर है जी प्यार?
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
ReplyDeletesahi bat ab piyar vyapar bn gaya...
ReplyDeleteप्यार अब बचा ही कहाँ है सर, यह प्यार नहीं व्यापार है क्यूंकि प्यार में कभी कोई शर्त नहीं होती। मेरा ऐसा मानना है कि यह तो केवल एक एहसास है जिसके केवल दिल से महसूस किया जाता है। मगर यह बात भी उतनी ही सच है कि प्यार हमेशा त्याग मांगता है और उस त्याग के आधार पर ही प्यार को परखा जाता है। जो त्याग नहीं कर सकता शायद वो सच्चा प्यार कभी कर ही नहीं सकता। फिर चाहे वो प्यार महबूबा/महबूब के लिए हो या किसी और रिश्ते में हो, जहां सच्चा प्यार होगा वहाँ त्याग का होना भी स्वाभाविक है।
ReplyDeleteबहुत सटीक अशोक भाई .आज तो प्रेमी और अपराधी का फर्क भी पत्रकारों ने मिटा दिया है जो चेहरे पे खिसिया के तेज़ाब फैंकते हैं रेस्पोंस न मिलने पर उन्हें भी प्रेमी कहा जाता है .
ReplyDeleteसुन्दर रचना, सार्थक पोस्ट, बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना शुभाशीष प्रदान करें , आभारी होऊंगा .
तस्वीर में आज का प्यार बखूबी दिखाया आपने .......:))
ReplyDeleteभाई साहब देह का लेन देन ,न प्यार है न व्यापार है ,सिर्फ परस्पर खिलवाड़ है ,वार है .
ReplyDeleteये कैसा प्यार है ?
क्यों पिस्टल गोली दरकार है
प्यार के ज़स्बे की ये हार है
ये सिर्फ देह का व्यापार है
भाई साहब प्यार के ज़ज्बे की ये हार है कर लेन 'ज़स्बे 'की जगह .आदाब अशोक भाई .
वीरुभाई ,
Hotel Travelodge ,Traverse City ,Room no .134,Michigun .USA
उफ़ ये प्यार ...कल आज और कल ...बहुत कुछ बदल गया इस दौरान
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