Friday, July 27, 2012

हम तेरे शहर में हैं...अनजाने,बिन तेरे कौन हम को पहचाने...


आइये ....आज एक बार फिर से...मैं  अपनी यादों के झरोखे से आप सब को
अपनी मनपसंद गज़ल सुनवाता हूँ |
ये ज़नाब गुलाम अली साहब की दिलकश आवाज़ में ....मेरे दिल की बात है !!!
ये भी हो सकता है ! कि हम सब में से भी... ये आवाज़ किसी के दिल की  बात कहती हो ......
तो फिर देर किस बात की......कह डालें अपने दिल की बात को.....
ज़नाब गुलाम अली साहब की आवाज़ का सहारा लेकर!!!

हम तेरे शहर में हैं अनजाने
बिन तेरे कौन हम को पहचाने


मेरा चेहरा किताब है ग़म  की
कौन पढता है ग़म के अफ़साने
बिन तेरे कौन .....


जिसने सौ बार दिल को तोड़ा है
हम अभी तक हैं उसके दीवाने
बिन तेरे कौन .....


उनसे कोई भी कुछ नही कहता
लोग आते हैं मुझको समझाने


बिन तेरे कौन हमको पहचाने
हम तेरे शहर में है अनजाने .........









24 comments:

  1. बहुत खूब |
    आभार सर जी ||

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  2. शनिवार 28/07/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

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  3. ऐसे ही अपनी यादों के झरोखे से कुछ न कुछ देते रहा करें |

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  4. वाह ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ... आभार

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  5. कभी सुनी नहीं थी . परन्तु अच्छी लगी . आभार .

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  6. बहुत सुंदर कलाम....
    सादर आभार।

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  7. अशोक जी, उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई,,,,,

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  8. अशोक भाई शुक्रिया गुलाम अली साहब को आपने सुनवाया .

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  9. आप भी मेरी तरह उर्दू गजलों के दीवाने हैं.बहुत खूब प्रस्तुती.


    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  10. गुलाम अली साहब को सुनाने के लिए आपका शुक्रिया ..

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  11. अशोक जी ,आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए पहले तो क्षमा चाहता हूँ. कुछ ऐसी व्यस्तताएं रहीं के मुझे ब्लॉग जगत से दूर रहना पड़ा...अब इस हर्जाने की भरपाई आपकी सभी पुरानी रचनाएँ पढ़ कर करूँगा....कमेन्ट भले सब पर न कर पाऊं लेकिन पढूंगा जरूर

    गुलाम अली साहब की आवाज़ में ग़ज़ल सुन कर दिल खुश हो गया...शुक्रिया

    नीरज

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    Replies
    1. नीरज जी ,
      ये आपका अपने से बढ़ो के प्रति स्नेह और मान है ....
      शुक्रिया!
      खुश रहें!

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  12. शुक्रिया भाई साहब .

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  13. मेरा चेहरा किताब है ग़म की
    कौन पढता है ग़म के अफ़साने

    वाह ...!!

    आनंद आ गया .....
    @ अब इस हर्जाने की भरपाई आपकी सभी पुरानी रचनाएँ पढ़ कर करूँगा....कमेन्ट भले सब पर न कर पाऊं लेकिन पढूंगा जरूर
    नीरज जी सभी के लिए एक ही जवाब ....))

    पढ़ें तो जानू ...:))

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  14. ;-)) पढे तो जानू !
    शुक्रिया!

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  15. वाह ... मखमली आवाज़ का जादू ... शुक्रिया इस गज़ल के लिए ..

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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