गिला किससे करूँ ,फरियाद भी कोई सुनता नही
हूँ वक्त का, मुरझाया फूल ,जिसे कोई चुनता नही |
--अकेला
ये वक्त भी क्या-क्या रंग दिखाता है
सपने दिखला मन को बहलाता है
क्यों ये आज गीत पुराना
बार-बार मेरे लबो पर आता है
"आज ऊँगली थाम ले मेरी
तुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा
जब मैं बुढा हो जाऊं "
क्या देख लिया तुने जग में
जो ये गीत तुझे न भाता है
कहाँ छूट गए वो रिश्ते-नाते
था जिनसे पुराना नाता है
कहाँ गए वो भाई-बंधू
अब पास कोई न आता है
जिसने दिखाए ये सपने सारे
वो समय अब दूर खड़ा मुस्काता है
ये सब वक्त की बाते है
चंद सांसों की मुलाकाते हैं
कुछ दिन अच्छे,कुछ अच्छी रातें हैं
बाकि तो सब झूठी बातें हैं
अब कुछ भी मेरे पास नहीं
न कोई मन को भाता है
आए 'अकेला' जाये 'अकेला'
बाकि सब यहीं रह जाता है ......
अशोक'अकेला\ |
समय के साथ बदलते रिश्ते नाते ....
ReplyDeleteआए 'अकेला' जाये 'अकेला'
ReplyDeleteबाकि सब यहीं रह जाता है ......
gahan abhivyakti ...!!
shubhkamnayen ...!!
तुझे सूरज कहूं या चंदा
ReplyDeleteतुझे दीप कहूँ या तारा......!
बहुत सुन्दर सलूजा साहब ! बस यही कहूंगा की हर चीज वक्त की मारी है !
सब वक्त-वक्त की बात है !
तुझे सूरज कहूं या चंदा
Deleteतुझे दीप कहूँ या तारा......!
जो चाहे मर्ज़ी कह लो
पर हूँ वक्त का मारा ......!
आभार भाई जी !
यात्रा का बहुत हिस्सा तो अकेले ही बिताना होता है।
ReplyDeleteगिला किससे करूँ ,फरियाद भी कोई सुनता नही
ReplyDeleteहूँ वक्त का, मुरझाया फूल ,जिसे कोई चुनता नही |
--अकेला
क्षमा बड़ेंन को चाहिए ,वीरू को उत्पात ...शुक्रिया .जीवन तो जी लिया अब तो रिहर्सल है गिला कैसा .बहुत दिया देने वाले ने तुझको ...
क्षमा बड़ेंन को चाहिए ,वीरू को उत्पात
Deleteख़ुद अमरीका जा बसे हमे लगा के घात|
रिहर्सल भी ....और वो भी अमरीका में
वापस तो इधर ही आना है न ....:-)))
बहुत सुन्दर,समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है और हम सिर्फ देखते रह जाते हैं..
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteकहाँ गए वो भाई-बंधू
अब पास कोई न आता है
जिसने दिखाए ये सपने सारे
वो समय अब दूर खड़ा मुस्काता है
सुंदर
सब वक्त की बात है ....कहीं न कहीं
Deleteसब के साथ है !
आभार !
वक्त के साथ बदलते रिश्ते
ReplyDelete"आज ऊँगली थाम ले मेरी
ReplyDeleteतुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा
जब मैं बुढा हो जाऊं "
क्या देख लिया तुने जग में
जो ये गीत तुझे न भाता है
कहाँ छूट गए वो रिश्ते-नाते
था जिनसे पुराना नाता है .....आँखें भर आईं
स्नेह के लिये आभार !
Deleteस्वस्थ रहें!
मन को छूते शब्द ... भावमय करती अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteमन को छू गए हर लफ्ज़....
ReplyDeleteआँखें नम हो गयी...
सादर
अनु
खुश रहें,स्वस्थ रहें
Deleteस्नेह के लिये आभार !
समय के साथ सब बदल जाता है..
ReplyDeleteअकेले आये थे और अकेले ही जाना होता है..
भावमय करती रचना...
आभार रीना जी !
Deleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteअकेला होना या फिर होना किसी के साथ
क्या ये नहीं है सिर्फ एक सोचने की बात?
सुशील जी ....इस सोच पर ही तो निर्भर हैं हम ..
ReplyDeleteआभार आपका !
अकेलेपन की त्रासदी को कहती बहुत मर्मस्पर्शी रचना ।
ReplyDeleteक्या कहूँ ....!!!
Deleteआभार आपके आने का !
Dil pe naqsh chod de aisa kalam.
ReplyDelete"आज ऊँगली थाम ले मेरी
ReplyDeleteतुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा
जब मैं बुढा हो जाऊं "
अति सुंदर | वाह |
मेरी नई पोस्ट:-
मेरा काव्य-पिटारा:पढ़ना था मुझे
अब कुछ भी मेरे पास नहीं
ReplyDeleteन कोई मन को भाता है
आए 'अकेला' जाये 'अकेला'
बाकि सब यहीं रह जाता है ......
यही शाश्वत सत्य है. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
वक्त ही तो है जो गुजरता जाता है पर बीतता कुछ भी नहीं है सब साथ ही रहता है साथ ही चला जाता है | नातों की मिठास लिए अच्छी पोस्ट आभार |
ReplyDeleteकहाँ गए वो भाई-बंधू
ReplyDeleteअब पास कोई न आता है
जिसने दिखाए ये सपने सारे
वो समय अब दूर खड़ा मुस्काता है ...
पता नहीं क्यों पर ये नियति बन गई है आज ... अपने साथ छोड़ते जाते हैं ... अपने में मसरूफ होते जा रहे हैं सब ...
पर अकेले आना जाना जीवन का सत्य ही तो है ...
waah..bahut sundar..
ReplyDeleteसुंदर !!
ReplyDelete"आज ऊँगली थाम ले मेरी
तुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा
जब मैं बुढा हो जाऊं "
:-)
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteअब कुछ भी मेरे पास नहीं
ReplyDeleteन कोई मन को भाता है
आए 'अकेला' जाये 'अकेला'
बाकि सब यहीं रह जाता है ......
my post KYUN????
http://udaari.blogspot.in
अब कुछ भी मेरे पास नहीं
ReplyDeleteन कोई मन को भाता है
आए 'अकेला' जाये 'अकेला'
बाकि सब यहीं रह जाता है ......
my post KYUN????
http://udaari.blogspot.in
आप सब के प्यार, स्नेह.मान-सम्मान प्रदान करने के लिये
ReplyDeleteमैं अपने दिल से आप सब का आभार प्रकट करता हूँ ....
आप सब खुश और स्वस्थ रहें !
शुभकामनायें!