न जाने कौन सा ज़हर है इन फिज़ाओं में
ख़ुद से भी ऐतबार.उठ गया है अब मेरा ........
...अकेला
मरने वाले के साथ , कौन मरता है
कल दिन में तो , अच्छा-भला था
दिल में था कितने ...जख्म लिए वो
ये गिनती भला...आज कौन करता है |
चलो अच्छा हुआ , मर गया वो......
जिन्दगी भर किन्ही ,सोचों में डूबा रहा
अच्छा हुआ ...आज मर के तर गया वो
जिन्दगी भर , तिल-तिल जलता रहा
अच्छा हुआ ...आज पूरा जल गया वो
चलो अच्छा हुआ , मर गया वो.....
चलो अब , खत्म हुई मुलाकातें
यहाँ पर जितने मुँह ...उतनी बातें
बहुत पहले से ही था , मर गया वो
जिन्दगी से जो ...था डर गया वो
चलो अच्छा हुआ , मर गया वो.....
जिन्दगी जी उसने , जैसे जमीं हो बंजर
पीठ अपनी में ...लेके घोंपा हुआ वो खंजर
जीते-जी हर , अपने से डर गया था वो
सुना है कि, कल रात मर गया वो ......
चलो अच्छा हुआ ,मर गया वो ...!!!
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अशोक"अकेला" |