गुज़री यादों में, फिर तू याद आ गया
भर आई आँख ,दिल सुकून पा गया...
--अशोक'अकेला'
यादें हमेशा साथ रहती हैं ,
पर नसीब नही होतीं
गर याद न करो इनको
तो ये भी करीब नही होती
दिन तो गुज़रा गोरख-धंधों में
यादें न करीब होती हैं
आती है जब रात अँधेरी
नींद करती है आने में देरी
दिलो-दिमाग जब उथल-पुथल जाता है
तब यादों का सिलसिला करीब आता है
अब दिमाग थकावट से चूर है
दिल यादों का साथ निबाहने को मजबूर है
इन यादों में बसा दिल का नासूर है
सुख-दुःख देती हैं यादें इनका दस्तूर है
मीठी यादें चेहरे पर मुस्कराहट लाती हैं
गमगीन यादें आँखों से आंसू गिराती हैं
इसी तरह यादों की लोरी सुनते-सुनते
सो जाता हूँ ख्वाबो को बुनते-बुनते......
ये यादों का सिलसिला भी बड़ा अज़ीब
होता है .....
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अशोक'अकेला' |