Monday, December 23, 2013

काँटों भरी फूलों से सजी .....दुनियां है ये !!!


काँटों भरी फूलों से सजी .....दुनियां है ये !!!

क्यों बैठा उदास ,यूँ हैरान सा क्यों है
 कुछ तो बता , यूँ परेशान सा क्यों है...

 गुलों से गुलज़ार था ये चमन तेरा
 लगता ये आज वीरान सा क्यों है...

 हमेशा चहल-पहल थी इस डगर पर
 आज ये रास्ता सुनसान सा क्यों है...

 क्या न मिला, तुझको इस जहाँ से
 बचा आज कोई अरमान सा क्यों है...

 चल उठ फिर से बना तकदीर अपनी
 नज़ारा आज यहाँ शमशान सा क्यों है...

 आज फिर लगा दे सुखों का मेला
यहाँ 'अकेला' अब खाली पड़ा मैदान सा क्यों है .....
अशोक'अकेला'

17 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (23-12-13) को "प्राकृतिक उद्देश्य...खामोश गुजारिश" (चर्चा मंच : अंक - 1470) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अपना जहाँ खुद ही बनाना पड़ता है ... शायद इसी को जीवन कहते हैं ...
    लाजवाब लिखते हैं आप ... जीवन का सच ...

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  3. बहुत ही बढियां गजल। ।
    बहुत बेहतरीन।।।

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  4. मन को व्यक्त करती पंक्तियाँ

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  5. बहुत बढ़िया ...जीवन का सच लिए पंक्तियाँ ...........

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  6. Ek sach jise dil se aawaj dene ki jarurat hoti hai...bahut hi badhiya!!

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  7. बहुत सुन्दर ग़ज़ल ,मनोभाव पर आधारित !
    नई पोस्ट चाँदनी रात
    नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )

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  8. बहुत सुन्दर भैया !

    ~पा लिया सबकुछ एक तुझे पाने के बाद
    फिर भी दबा सीने में कोई अरमान सा क्यों है ..~

    ~सादर

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  9. बहुत सुन्दर गजल ! बधाई , इस सुन्दर रचना के लिए....अशोक जी,,,
    =========================================
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.

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  10. आपकी टिप्पणियों का।

    बहुत सुन्दर रचना है अशोक भाई साहब -

    हर अशआर वजन लिए है ज़िंदगी का सपन लिए है।

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  11. आप सब का दिल से आभार ......
    खुश रहे ,स्वस्थ रहें और मस्त रहें !

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  12. नव वर्ष की बहुत बहुत मंगल कामनाएँ ...

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  13. बहुत दिनों से आपके ब्लाग पर आने का अवसर नहीं मिला, अब मिला है तो सारी कविताएँ मैंने पढ़ी है जो इधर छूट गई थीं। हमेशा की तरह भावपूर्ण अनुभव होता है आपको पढ़ना, नव वर्ष में आपकी लेखनी और उज्जवल हो इन्हीं शुभकामनाओं के साथ

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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