बहुत सुन्दर प्रस्तुति! आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी! सूचनार्थ...सादर! -- होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं। इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आपके बचपन जैसा ही बचपना था, वो आम जामुन तोडना, याद दिला दिया. सारी शरार्तें हमने भी, स्कूल से खूब तडी मारी पर हमने किसी को चोरी के लड्डू नही थमाये क्योंकि कोई मिली ही नही थी. वाह वाह बहुत ही खूबसूरत कविता जैसा बचपना. शुभकामनाएं.
अब तक आपकी लेखनी देखी थी, आज आवाज भी सुन ली। बहुत गहराई है आपकी आवाज में भी, सबसे भावुक क्षण वो है जब वाचक कहता है कि उसे और लोगों को पता भी नहीं चला कि बचपन खो गया, इस अनुभूति को महसूस करना सचमुच अद्भुत है।
बचपन की भूल चूकें तो जीवन की धरोहर बन जाती हैं...वह बातें आज दिल के कितने करीब हो जाती हैं....हाँ रुलाती वह तब भी थीं...रुलाती वह आज भी हैं...शायद यही एक समानता रह जाती है ...बेहद खुबसूरत प्रस्तुति
सर! क्या कहें? ज़ुबान खामोश है... और आँखें नम! बचपन हर किसी को याद आता है..! हम सभी को याद आता है...और सबके यही हुड़दंग, यही मस्ती वाले दिन बचपन को और भी सुनहरी यादों की सौगात बना देते हैं... आपकी आवाज़ के साथ आपके बचपन के क़िस्से सुनना बहुत अच्छा लगा! ~सादर!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
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होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आभार शास्त्री जी ....
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति! हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआभार आपका जी ....
Deleteबहुत ही उम्दा प्रस्तुति आदरणीय,होली की हार्दिक मंगलकामनाएँ.
ReplyDeleteशुक्रिया राजेन्द्र भाई जी ...,
Deleteबाउजी बहुत सुन्दर रचना | मुझे भी अपना बचपन याद आ गया सुनकर | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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होली की ढेर सारी शुभकामनाएं आपको भी सलूजा साहब !
ReplyDeleteआपके बचपन जैसा ही बचपना था, वो आम जामुन तोडना, याद दिला दिया. सारी शरार्तें हमने भी, स्कूल से खूब तडी मारी पर हमने किसी को चोरी के लड्डू नही थमाये क्योंकि कोई मिली ही नही थी. वाह वाह बहुत ही खूबसूरत कविता जैसा बचपना. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
@रस्तोगी जी
Delete@गोदियाल भाई जी
@ ताऊ (भाई) जी
आपके ढेर सारे प्यार के लिए ...दिल से आभार जी !
शुभकामनायें!
अब तक आपकी लेखनी देखी थी, आज आवाज भी सुन ली। बहुत गहराई है आपकी आवाज में भी, सबसे भावुक क्षण वो है जब वाचक कहता है कि उसे और लोगों को पता भी नहीं चला कि बचपन खो गया, इस अनुभूति को महसूस करना सचमुच अद्भुत है।
तारीफ़ तो इंसानी फ़ितरत है ..मुझे भी अच्छा लगा :-))
Deleteशुक्रिया!
मुझे तो video नहीं दिखा....लिखा आ रहा है this video is currently unavailable :-( बार बार refresh भी किया...
ReplyDeleteफिर थोड़ी देर में कोशिश करती हूँ...
सादर
अनु
आहा.....देखा.....
ReplyDeleteसुन्दर बचपन....मासूम बचपन....आपके बच्चों और नाती पोतों के लिए तो नायाब तोहफा है ये...
सादर
अनु
स्नेह और तकलीफ़ का एहसानमंद हूँ .....सच!!! तोहफ़ा? ये तो मैंने सोचा ही नही था...
Deleteआभार!
बहुत ही सुन्दर रचना..
ReplyDeleteसच में बहुत ही मासूम और सुहाना है बचपन का जमाना...
अति सुन्दर...
:-)
सुन्दर सुहानी मासूम सी यादें।
ReplyDeleteशुभकामनायें।
एक था बचपन, एक था बचपन
ReplyDeleteनन्हा सा प्यारा सा बचपन...
वाकई सुहानी यादें बचपन की अनमोल ही लगती हैं.
शुभकामनाएँ...
बड़ा अच्छा लगा ..... :)
ReplyDeleteआपकी तस्वीर देखकर अपने बचपन की याद की याद ताजा हो गई,,,
ReplyDeleteRecent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,
@रीना जी
Delete@दराल भाई जी
@बाकलीवाल जी
@मोनिका जी
भदोरिया भाई जी
आप सब की शुभकामनाओं का बहुत-बहुत आभार |
खुश रहें!
सर वीडियो खुल तो नहीं रहा, पर एक तस्वीर से बचपन दिख रहा है।
ReplyDeleteबाद में फिर कोशिश करुंगा कि वीडियो देख सकूं
महेन्द्र जी , कहीं-कहीं ऐसी परेशानी आ रही है ..क्षमा !
Deleteबचपन की भूल चूकें तो जीवन की धरोहर बन जाती हैं...वह बातें आज दिल के कितने करीब हो जाती हैं....हाँ रुलाती वह तब भी थीं...रुलाती वह आज भी हैं...शायद यही एक समानता रह जाती है ...बेहद खुबसूरत प्रस्तुति
ReplyDelete...और हाँ ...आपका यह अंदाज़ भी पसंद आया ...रचना सुनाने का ....बहुत जल्दी प्रचलित हो जायेगा ... हमें तो बहुत भाया....
ReplyDeleteआपके स्नेह ,मान-सम्मान के लिए ....
Deleteआभार जी !
पता नहीं क्यों पर लिंक खुल नहीं रहा है।
ReplyDeleteप्रवीण जी ..ठीक कह रहें हैं आप ....कहीं-कहीं दिक्कत आ
Deleteरही है ...क्षमा !
आभार श्रीमान जी ........
ReplyDeleteआपके बचपन को सूना कर मज़ा आ गया.....
ReplyDeleteवो सिटी बजाना
वो शर्ते लगाना ....वाह
कहीं पर निगाहें कही पर निशाना ...वाह ...वो चोरी का लड्डू
वाह ... बचपन का यह लम्हा ... साथ-साथ चलता रहा
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति
सादर आभार
बचपन की बातें फिर से जीने की उमंग भर देती हैं जीवन में ...
ReplyDeleteबहुत ही मज़ा आया अशोक जी ...
@अंजू जी,
ReplyDelete@ सदा जी
@ नासवा भाई जी ...
मेरी यादों को और यादगार बनाने का शुक्रिया !
कंप्यूटर महाशय आज बहरे हो गये हैं इसलिए आवाज नही सुन सका। जैसे ही इनके कान कार्य करेंगे ,आवश्य आपके बचपन की यादें सुनना चाहूँगा।
ReplyDeleteशुक्रिया आमिर भाई जी ...,
Deleteसर! क्या कहें? ज़ुबान खामोश है... और आँखें नम!
ReplyDeleteबचपन हर किसी को याद आता है..! हम सभी को याद आता है...और सबके यही हुड़दंग, यही मस्ती वाले दिन बचपन को और भी सुनहरी यादों की सौगात बना देते हैं...
आपकी आवाज़ के साथ आपके बचपन के क़िस्से सुनना बहुत अच्छा लगा!
~सादर!!!
अनीता जी,
Deleteइतना मान-सम्मान पाकर कुछ कहते नही बनता ..इस लायक हूँ भी नही !
खुश रहें,स्वस्थ रहें !
शुभकामनायें!
बचपन की बातें .... बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
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