कुछ यादेँ हैं पास मेरे...
उन्ही को मैं याद करता हूँ
साधारण से हैं शब्द मेरे..
उन्ही में मैं बात करता हूँ||
---अकेला
दिल अपना जलाता रहा
उनको मैं बहलाता रहा
जब भी रूठा मुझसे
मैं उसको मनाता रहा
खुश हो जाये वो मुझसे
खुद को मैं रुलाता रहा
हो नो जाये अनहोनी कहीं
सोच उम्र-भर घबराता रहा
सो जाये वो सुकून से
अपने को जगाता रहा
कभी तडपा जो दिल मेरा
प्यार से उसको सहलाता रहा
लाखों बना के बहाने
दिल को बहकाता रहा
उसको आ जाये सुकून
दिल अपना तड़पाता रहा
दूर से दिखा के मंजिल
वो उम्र-भर भटकाता रहा
बढ़ के लगाया गले उसको
वो दूर मुझको हटाता रहा
खुशी में उसकी, मैं तो
वज़ूद अपना मिटाता रहा
फिर भी हुआ वो न मेरा
लाख 'अकेला 'मैं समझाता रहा ||