माना कि आप जैसा समझदार नही हूँ मैं
यह भी सच है'अनपढ़' हूँ,होनहार नहीं हूँ मैं
करनी और कथनी से हमेशा कतराया हूँ मैं
इस लिए हर तरफ से ठोकर खाया हूँ मैं
अपनी छाती से हाथी गुज़ार सकता हूँ मैं
काटने वाली चींटी से बहुत घबराया हूँ मैं ...
अहसास महसूस करने वालों से
बहुत मान पा जाता हूँ मैं
बिन अहसास, पढे-लिखे लोगों से
बहुत घबराया हूँ मैं ...
इस ब्लॉग की दुनिया को
बहुत कुछ जान गया हूँ मैं
इन आभासी रिश्तों में ,अपने जैसों की
तलाश में आया हूँ मैं...
मेरा लिखा पढ़ो,आप की मर्ज़ी
न पढ़ो आप की मर्ज़ी
खुद बोल कर अपने से
खुद ही भूल जाता हूँ मैं
इस लिए अपने भूले को याद रखने के लिए
यहाँ पर लिखने आया हूँ मैं ...
जो चाहे, हर उसके लिए; बाहें मेरी हैं खुली
हर एक पे प्यार अपना
आशीर्वाद! लुटाने आया हूँ मैं ...
करनी और कथनी से
बहुत कतराता हूँ मैं
इस लिए किसी को टोकने से
बहुत शर्माता हूँ मैं ...
अशोक"अकेला" |
मेरा लिखा पढ़ो,आप की मर्ज़ी
ReplyDeleteन पढ़ो आप की मर्ज़ी
खुद बोल कर अपने से
खुद ही भूल जाता हूँ मैं
इस लिए अपने भूले को याद रखने के लिए
यहाँ पर लिखने आया हूँ मैं ...
अशोक जी,आपने तो अपने साथ२ मेरे दिल की भी बात कह दी,...बेहतरीन पंक्तियाँ,..लाजबाब पोस्ट,.....
बैसाखी के पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
मेरा लिखा पढ़ो,आप की मर्ज़ी
ReplyDeleteन पढ़ो आप की मर्ज़ी
खुद बोल कर अपने से
खुद ही भूल जाता हूँ मैं
इस लिए अपने भूले को याद रखने के लिए
यहाँ पर लिखने आया हूँ मैं ...
बहुत प्यारी बात कही आपने............
सभी को अपनानी चाहिए....
सादर.
करनी और कथनी से
ReplyDeleteबहुत कतराता हूँ मैं
इस लिए किसी को टोकने से
बहुत शर्माता हूँ मैं ...
Behad Umda...
आदरणीय अशोक जी
ReplyDeleteनमस्कार !!
...कोमल भावनाएँ शब्दों से बाहर झांकती हुई दिल की सभी बातें कह दी आपने
हर एक पे प्यार अपना
ReplyDeleteआशीर्वाद! लुटाने आया हूँ मैं ...
आपकी उपस्थिति और आशीर्वाद बना रहे!
बहुत प्यारी बातें कहीं आपने इस पोस्ट के माध्यम से!
सादर!
हमेशा इनकी उपस्थिति और आशीर्वाद बना रहे .....
ReplyDeleteआप जैसा समझदार (विंदास) इंसान ही ....
दिल को छू लेने वाली बात लिख सकता है ....
करनी और कथनी से
ReplyDeleteबहुत कतराता हूँ मैं
इस लिए किसी को टोकने से
बहुत शर्माता हूँ मैं ... तभी आपका एक विशिष्ट स्थान है सम्मानयुक्त
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
ReplyDeleteसूचनार्थ!
--
संविधान निर्माता बाबा सहिब भीमराव अम्बेदकर के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
आपका-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका पढ़ना भाता है, तभी बन्दा यहाँ आता है।
ReplyDeleteप्रवीण जी ,आप के मान-सम्मान का शुक्रिया |
Deleteआप के ज्ञान भरे तरह-तरह के विषयों के लेखो पर मैं तो
अपने आप को टिप्पणी देने में असमर्थ पाता हूँ ,जब समझ नही पाता तो पढ़
कर वापस लौट आता हूँ .पर उनसे सीखने को कोशिश जरूर करता हूँ |
कृपया अन्यथा न लें .....
खुश रहें |
आभार|
दिल की बात दिल को छू गई।
ReplyDeleteमाना कि आप जैसा समझदार नही हूँ मैं
ReplyDeleteयह भी सच है'अनपढ़' हूँ,होनहार नहीं हूँ मैं
करनी और कथनी से हमेशा कतराया हूँ मैं
इस लिए हर तरफ से ठोकर खाया हूँ मैं
अपनी छाती से हाथी गुज़ार सकता हूँ मैं
काटने वाली चींटी से बहुत घबराया हूँ मैं ...
भाई साहब मांस से ज्यादा ऊंटनी का दूध गुणकारी होता है .अनेक रोगों में मुफीद माना गया है .क्यों हाइप कर रहे हो मांस भक्षण .भाई साहब आजकल चींटे ज्यादा है घर से संसद तक .अच्छी रचना .
मेरे वीरू भाई राम-राम ...
Deleteउपर की छे लाइन्स में मैंने माना है कि न मैं आप जैसा समझदार हूँ ,,
अनपढ़ हूँ ,मंद-बुद्धि हाथी से सामना कर सकता हूँ ,पर अकलमंद चींटी
से भी बहुत घबराता हूँ ....
आप महाज्ञानी हैं ..मांस से ज्यादा ऊँटनी का ढूध भी गुणकारी होगा ..
वो भी ठीक ...
".क्यों हाइप कर रहे हो मांस भक्षण" भाई जी ये लाइन आप ने कहाँ से कह दी
या मैंने कहाँ लिख दी ..कृपया मुझे बताएं ताकि मैं अपनी गलती सुधार सकूं |
मुझे आप पे पूरा भरोसा है ...कहीं तो भटक गया हूँगा मैं ? बस इसी लिए तो
बुद्धिमानो से घबराता हूँ |मेरा डर दूर करो वीरू भाई ...आभार|
दादा मेरी तौबा मेरे ....की तौबा ,आपसे गुस्ताखी करूं.हुआ ये दो टिप्पणियाँ मिक्स हो गईं .चर्चा मंच पर 'किसी ने ऊंटनी का मांस 'परोसा था बड़े कसीदे काढ़े थे इसमें विटामिन सी होता है ,वसा कम होती है .जहां ये लाइन खत्म हो रही थी वहां से आपकी रचना पर की गई टिपण्णी शुरू हो रही थी .हो गया खेल तमाम .दादा हमारे बड़े टची हैं .भावुक हैं .मीठे हैं .हम उन्हें नाराज़ करने का सोच भी नहीं सकते .
ReplyDeleteसादर आपको बतला दें हम शिष्य भाव लिए ही मिलें हैं आपसे .उम्र में आपसे छोटे होने का भी सुख हमारे हिस्से में आया है .पिता जी कहा करते थे ,पढ़े से गुणी(गुना )ज्यादा अच्छा होता है .आप गुणी हैं . जाने अनजाने जो खता कर बैठे हैं हम उसके लिए औपचारिक रूप क्षमा याचना करने से आप हमें वंचित नहीं कर सकते .
ReplyDeleteआदर और नेहा से वीरुभाई .
१४४ ,KSCT-CURE FOR INCURABLES.
FIFTH CROSS,BHEL LAY OUT ,
AMBABHAVANI ROAD,
(NEAR SAMBHRAM INSTITUTE OF TECNOLOGY,VIA M.S.PALYA)
VIDYARANYA PURA POST.
BANGALORE -500-097.
वीरू भाई , मुझे गर्व है ,हमारे भाईचारे और आपस की दोस्ती पर ,,,हम दोनों अपनी गलती मानने में एक मिनट नही लगाते ...बस इससे ज्यादा कुछ नही कह सकता ...आपने मुझे खूब पहचाना !!
Deleteआप का स्नेह सदा साथ बना रहे ...
खुश और स्वस्थ रहें!
जो चाहे, हर उसके लिए; बाहें मेरी हैं खुली
ReplyDeleteहर एक पे प्यार अपना
आशीर्वाद! लुटाने आया हूँ मैं ...
सुंदर भाव. हम सभी को आप का आशीर्वाद ही चाहिये.
बहुत ईमानदार रचना है अशोक जी ।
ReplyDeleteआप यूँ ही आशीर्वाद लुटाते रहिये।
शुभकामनायें ।
आपका स्नेह बना रहे और क्या चाहिए अशोक जी ...
ReplyDeleteजीवन तो आना जाना वैसे भी है .. जितने पल हैं वो अच्छी यादों के साथ कटें ... इससे ज्यादा क्या चाहिए ... आशा है आपका स्वस्थ ठीक होगा ...
कल 17/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
वाह क्या बात है बातों ही बातों में बहुत कुछ कह गए आप बस आपका प्यार और आशीर्वाद बना रहे और कुछ नहीं चाहिए हमें....
ReplyDeleteवीरा! बहुत प्यारे हो आप ! कविता नही यह तो आत्मकथ्य है आपका.जिस कारन भी आये लिखने या गाने शेअर करने ......हमे मिले यह हमारा सौभाग्य है.मेरा तो है.इन दिनों पारिवारिक जिम्मेदारियों और फेसबुक पर 'भूले बिसरे गीत' ग्रुप के कारन ब्लॉग की दुनिया से जरा सा दूर हो गई हूँ.पर वहाँ मैंने अनमोल हीरे सरीखे गीतों का खजाना पाया और कुछ बहुत अच्छे लोगों से भी मिली.
ReplyDeleteलिखने और पढ़ने के काम से हट जाना सम्भव है क्या हमारा?? बताइए. नही न?
बहुत प्यारी कविता है एकदम वीरे जैसी न छल न कपट न दुराव छिपाव कांच सरीखा पारदर्शी. दोनों की लम्बी,खूबसूरत और केलदी लाइफ हो ....आपकी और आपके की बोर्ड की (कलम शब्द तो नही लिख सकती न यहाँ हा हा हा )
सोरी केलदी नही हेल्दी पढियेगा.:P
ReplyDeleteअपनी कृपा और आशीर्वाद बनाये रखियेगा,यार चाचू.
ReplyDeleteसबका नजरिया अपना अपना है,
आप स्वस्थ और खुश रहें बस यही दुआ है.
आपकी वीरुभाई से राम राम अच्छी लगी.
गलतफहमी होना कोई बात नहीं,
बस उसका दूर हो जाना ही बड़ी बात है.
सीधी और सच्ची ...बिना किसी लाग लपेट के कही ...दिल की बात ....दिल को अपील कर गयी ...!!!!
ReplyDeleteदिल से निकली बात .... सुंदर कथ्य ॥
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत आभार बड़े भाई .... !!
ReplyDeletesunder bhaw.....
ReplyDeleteदादा बढ़िया पोस्ट है बड़ी सटीक ,देती है ये सबको सीख .
ReplyDeleteदिल का हाल सुने दिल वाला ,सीढ़ी सी बात न मिर्च मसाला ...
कृपया यहाँ भी पधारें -
http://veerubhai1947.blogspot.in/
मंगलवार, 17 अप्रैल 2012
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