ये यादें भी बड़ी अज़ीब होती हैं इनसे पीछा जितना छुड़ाने की कोशिश करो उतनी ही पीछे पड़ती रहती हैं...पर एक बात है याद अगर मीठी हो तो रस घोल देती है अकेले की बाक़ी ज़िन्दगी में
हमसे शेअर करे और क्या?? यादें तो एक कम होती है तो दो नई जमा हो जाती है.यादें अच्छी लगती है. बुरी यादें अनुभव के खजानों में ईजाफा करती है वीरजी! दर्द सा झलकता है इस रचना में....
vaah Ashok ji aapki is rachna ne to aankhe nam kar di dil tak pahuch gai aapki ye panktiyan.
ReplyDeleteयादों में ही है घोंसला और बसेरा .... रात के बाद यहीं सुबह भी होती है
ReplyDeleteयादें ही तो सहारा बनती हैं अकेले पन का ...
ReplyDeleteजब यादें हैं तो अकेलापन कैसा ....!!
मर्मस्पर्शी रचना ... ...
शुभकामनायें ...
वाह.....................
ReplyDeleteमैं लगा रहा था उनको गले
वो बना रहें थे ,मुझसे दुरी
मेरी तो फ़ितरत ही ऐसी है
होगी कुछ उनकी भी मज़बूरी |
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ.................
एक याद किस कदर हसीन शायरी पैदा करती है...........
लाजवाब..
सादर
अनु
ये यादें भी बड़ी अज़ीब होती हैं इनसे पीछा जितना छुड़ाने की कोशिश करो उतनी ही पीछे पड़ती रहती हैं...पर एक बात है याद अगर मीठी हो तो रस घोल देती है अकेले की बाक़ी ज़िन्दगी में
ReplyDeleteवाह क्या बात है! यादें गर हसीन हों तो रस घुल जाता है अकेले की ज़िन्दगी में
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDeleteमेरी तो फ़ितरत ही ऐसी है
होगी कुछ उनकी भी मज़बूरी |
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ
....... रचना के लिए बधाई स्वीकार....!!!!
यादें बनी रहे...!
ReplyDeleteसादर!
यादों के जंगल में खोई खोई ज़िन्दगी ,
ReplyDeleteरोई थी कल रात बहुत ज़िन्दगी .
अच्छी रचना .
प्रस्तुति सहज सरल जुबां और बिंदास अंदाज़ लिए है .
ReplyDeleteयादों के जंगल में खोई खोई ज़िन्दगी ,
रोई थी कल रात बहुत ज़िन्दगी .
कहती थी -
मेरी ज़िन्दगी में आते तो कुछ और बात होती .....
सुख तो अपना प्यार बढ़ाने में मिलता है, वापस मिल जाये तो और भी आनन्द।
ReplyDeleteअशोक जी इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
यादों का सफर यूँ ही चलता रहेगा...
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण पंक्तियाँ....
ReplyDeleteबहुत -बहुत सुन्दर बेहतरीन रचना.....
ReplyDeleteवाह जी, बहुत उम्दा रचना है..बधाई आपको!
ReplyDeleteयादें कितनी सुहानी होती हैं।
ReplyDeleteमनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने.......
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
nice :)
ReplyDeleteहमसे शेअर करे और क्या??
ReplyDeleteयादें तो एक कम होती है तो दो नई जमा हो जाती है.यादें अच्छी लगती है. बुरी यादें अनुभव के खजानों में ईजाफा करती है वीरजी!
दर्द सा झलकता है इस रचना में....