खुले जख्म ,कभी-कभी ऐसे भी सिलते हैं
दूर से देखो , जमीं-आसमां भी मिलते हैं ||
----अकेला
चित्र गूगल साभार |
नींद से भरी ये अखियाँ, सुख से सो लेती,
जागे जब ये अखियाँ तो, दुःख में रो देती |
ग़र रोने से बदल जाती, सब की तकदीरें,
तो तदबीरें अपनी, तकदीर पर ही रो देती।
बैठे -बिठाये, ग़र मिल जाती जो मंजिल,
राहें अपने सीने पे लगे, मेलों को खो देती|
भर जाते जो सीने पे, लगे जख्म रोने से,
तो आँखे अपने आंसुओं से, उन को धो देती |
न जलते ग़र परवाने... अपनी शमां पर,
तो शमां आज किसी, एक की हो लेती|
बाँट सकती जो, दुःख-दर्द अपनी औलाद के,
एक 'माँ' सीने पे... ले के उनको सो लेती |
न होता जो गम, ग़र इस दुनियां में कोई,
आज दुनियां सारी, हसीं ख्वाबों में खो लेती |
आज भी अच्छे इंसानों से... भरी है दुनियां,
वरना'अकेला' बुरों से दुनियां, ये गर्क हो लेती ||
अशोक'अकेला' |
ग़र रोने से बदल जाती, सब की तकदीरें,
ReplyDeleteतो तदबीरें अपनी, तकदीर पर ही रो देती।... बहुत ही बढ़िया
बेहतरीन शायरी..
ReplyDeleteलाजवाब शेर...
शुक्रिया...
ग़र रोने से बदल जाती, सब की तकदीरें,
ReplyDeleteतो तदबीरें अपनी, तकदीर पर ही रो देती।..bhaut khub...
न होता जो गम, ग़र इस दुनियां में कोई,
ReplyDeleteआज दुनियां सारी, हसीं ख्वाबों में खो लेती |
बहुत ही खूबसूरत शायरी...
बेहतरीन रचना सर ,,
ReplyDeleteलाजवाब शेर...
:-)
ज़ख्म भरते नहीं... मगर ये संतोष है कि इस बुरी दुनिया को टिका कर रखने वाले, मुट्ठी भर ही सही, भले लोग अवश्य हैं वरना दुनिया तो कब की मिट गयी होती!
ReplyDeleteउत्कृष्ट अभिव्यक्ति!
सादर!
waah, bahut khoob , lajwab prastuti
ReplyDeleteबेहतरीन रचना सर ,खूबसूरत अभिव्यक्ति!शुक्रिया...
ReplyDeleteग़र रोने से बदल जाती, सब की तकदीरें,
ReplyDeleteतो तदबीरें अपनी, तकदीर पर ही रो देती।
....बहुत सही कहा आपने...रोने से तकदीर कभी नहीं बदल सकती..
उम्मीद है और दुनिया कायम है..
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteभर जाते जो सीने पे, लगे जख्म रोने से,
ReplyDeleteतो आँखे अपने आंसुओं से, उन को धो देती |
Gahri Baat....
आज भी अच्छे इंसानों से... भरी है दुनियां,
ReplyDeleteवरना'अकेला' बुरों से दुनियां, ये गर्क हो लेती ||
सकारात्मक सोच । इसी सोच पर दुनिया कायम है ।
बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई अशोक जी ।
बैठे -बिठाये, ग़र मिल जाती जो मंजिल,
ReplyDeleteराहें अपने सीने पे लगे, मेलों को खो देती ...
बहुत ही लाजवाब अशोक जी ... गज़ब का शेर है ये ... अचानक ही इस शेर की राड आ गयी ...
बेतुजुसुस आ गयी मंजिल अगर जेरे कदम
दिल में मेरे जुस्तजू का होंसला रह जायगा ...
मेरे सादे लफ्ज़ों का शे'र ,और उसका मतलब आप को पसंद आया ...ये मेरे लिए फक्र की बात है ..शुक्रिया आपका !
ReplyDeleteबदले में आपने इतना सुंदर शे'र लिखा ,जिसके अहसास तो मेने महसूस कर लिए ,पर लफ्ज़ से लफ्ज़ का मतलब समझा नही सकूंगा ...खासकर "बेतुजुसुस" का मेहरबानी करके इसका
खुलासा करके मुझ पे अहसान फरमाएं |
खुश रहें !
शुक्रिया !|
"बेतुजुसुस"= बिना मेहनत के |
Deleteशुक्रिया ,नासवा जी !
ग़र रोने से बदल जाती, सब की तकदीरें,
ReplyDeleteतो तदबीरें अपनी, तकदीर पर ही रो देती।
वाह वाह! क्या बात है!! छा गये आप!
रंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें भाई जी !
ReplyDeleteवाह!!!!!अशोक जी बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन प्रस्तुति ,...
ReplyDeleteभाई जी,आपका फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने मुझे खुशी होगी,..
NEW POST...फिर से आई होली...
NEW POST फुहार...डिस्को रंग...
आज भी अच्छे इंसानों से... भरी है दुनियां,
ReplyDeleteवरना'अकेला' बुरों से दुनियां, ये गर्क हो लेती ||
अच्छों को अच्छे मिलें,मिलें नीच को नीच ,
पानी से पानी मिले ,मिले कीच से कीच .
आप (अपना आपा )अच्छा तो जगत अच्छा .जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैंठ .
लीजिये एक शेर आपकी नजर होली पे ,बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला (दिग्विजयी )हो ,होली पे :
आये कुछ अभ्र ,कुछ शराब आये ,
उसके बाद आये ,जो अजाब आये .
अभ्र =(अब्रक,बादल ,ए क्लाउड ,दी स्काई ) ,अजाब =ज़लज़ला ,भूकंप ,अर्थक्वेक .
बुरा न मानो ,होली है मतवालों की टोली है ,सखियाँ बीच ठिठोली है ,अबीर गुलाल औ रोली है .....
होली मुबराक ,होली का हुडदंग मुबारक ....
Holi ka har rang aapko mubarak ho sir, dhanyavad ki aap mere blog ke anusaran karta bane.
ReplyDeleteहोली की आपको हार्दिक शुभकामनयें!
ReplyDeleteटिप्स हिंदी में
होली के पावन पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteआप भी कमाल करते हैं …
बढ़िया रचना पढ़वाने के लिए आभार !
आपको सपरिवार होली की शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआप सब के स्नेह ,मान-सम्मान का बहुत-बहुत आभार!
ReplyDeleteहोली के शुभ पर्व पर आप सब को परिवार सहित बहुत बधाई और शुभकामनाएँ !
खुश और स्वस्थ रहें!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति. खूबसूरत तस्वीर....
ReplyDeleteआपको सपरिवार रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ......!!!!
डॉ साहिबा, एक लंबे अवकाश के बाद आप की स्वस्थ उपस्थिति देख
Deleteअच्छा लगा !आभार !
खुश और स्वस्थ रहें!