यादेँ ...... वर्तमान से निकल कर ,अतीत की यात्रा और भविष्य की
भविष्य-वाणी .......
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह,
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह ||
आज सुनवाता हूँ मैं आपको अपनी मन-पसंद
एक निहायत खूबसूरत गज़ल !
जिसमें किस्सा है ,बेचैनी का,बेकसी का और
मज़बूरी का ....न चाही ,इन्तकामी का.....
इस गज़ल को खूबसूरत लफ्जों से सजाया शायर
ज़नाब मोमिन खान "मोमिन" ने और अपनी
दर्द भरी आवाज़ में ,पेश किया आप के लिए
ज़नाब उस्ताद गुलाम अली साहब ने ........!!!
आइए तो सुनते हैं और खो जाते कुछ देर के वास्ते
अपनी जवानी के गुज़रे हसीन लम्हों में (मेहरबानी
करके ,इस लाइन को जवां अपने दिल पे मत ले )
न ताब हिज्र में हैं न आराम वस्ल में
कम्बखत दिल को चैन नही है किसी तरह
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह
रोया करेंगे आप भी पहरों.....
मर चुक कहीं के तू गमें-हिज्राँ से छूट जाये
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह
रोया करेंगे आप भी पहरों.....
न जाये वहाँ बनी है न बिन जाये चैन है
क्या कीजिये हमें तो है मुश्किल सभी तरह
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह
रोया करेंगे आप भी पहरों.....
ज़नाब गुलाम अली साहब |
बस सुन रही हूँ .... वाह
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteआनंद आ गया भाई जी ....
ReplyDeleteआभार आपका !
शुक्रिया सर........
ReplyDeleteमेरी बेहद पसंदीदा गज़ल है....जाने कब से सीडी प्लयेर खुला नहीं था .....
अब तो और भी सुनी जायेंगी....
कमबख्त दिल को चैन नही है किसी तरह.......
सादर.
वाह वाह ! बहुत सुन्दर ग़ज़ल .
ReplyDeleteसलूजा जी , अब तो दिल को संभाल कर रखना पड़ेगा ।
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह,
ReplyDeleteअटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह
न ताब हिज्र में हैं न आराम वस्ल में
कम्बखत दिल को चैन नही है किसी तरह
Waah ! Bahut sundar Saluja Sahab!
ग़ुलाम अली की बात ही कुछ और है
ReplyDeleteवाह, बात ही अलग है।
ReplyDeleteगुलाम अली जी को सुनकर अच्छा लगा,बहुत सुंदर प्रस्तुति,
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
सुन रही हूं ..
ReplyDeleteसचमुच सुंदर गजल है !!
यह हमारी भी पसंदीदा है, शुक्रिया.
ReplyDeleteन ताब हिज्र में हैं न आराम वस्ल में
ReplyDeleteकम्बखत दिल को चैन नही है किसी तरह
बहुत खूब .माशा अल्लाह .
ReplyDeleteवाह जनाब ... क्या बात है ... आज तो सुबह सुबह दिल खुश हो गया इस गज़ल को सुन के ... मुद्दतों बाद सुनी है ये गज़ल ...
ReplyDeleteवाह सर क्या बात है वाकई बहुत ही नायाब गजल है...
ReplyDeletebahut sundar prastuti
ReplyDeleteबहुत खूब ....बहुत खूब ....बहुत खूब .
ReplyDeleteवाह...वाह...वाह...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...