कैसे भूल जाऊं तेरी यादो को, जिन्हे याद करने से तू याद आए॥
सुंदर संवेदनशील पंक्तियाँ
बिना कुछ कहे ही सब कुछ जता जाते हैं वो कभी कभी............बहुत सुन्दर गज़ल...शुक्रिया सर.सादर.
बेहतरीन अभिव्यक्ति..
very nice....
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति!सादर!
एतबार पे तो एतबार रखिये ,खुद से तकरार आँखें चार रखिये ,बस आईनों पे एतबार रखिये .कुछ कहने पे तूफ़ान उठा लेती है दुनिया ,......अपनी तो ये आदत है ,कि हम कुछ नहीं कहते ,उनको ये शिकायत है कि ,हम कुछ नहीं कहते . बढ़िया अभिव्यंजना .
बढिया ..
वाह अकेला जी , आप तो पूरे शायर निकले . बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है बड़े भाई . आनंद आ गया .
डॉ.साहब ,आप के स्नेह का शुक्रगुजार हूँ मैं !शुभकामनाएँ!
वाह! खुबसूरत प्रस्तुति सर....सादर
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें. नीरज
बेहतरीन अभिवयक्ति....
एक अकेलापन है मेरे चारों तरफ फिर भी जाने क्यूँ कुछ कह रहा हूँ मैं !
ऐसा ही कुछ कहके अपने अकेलेपन ,अपने से दूर भगा रहा हूँ मैं .....!आभार!
beautiful & touchy
बेहद खूबसूरत गज़ल ...
वाह ..
तेरा यूँ वादा लेकरमुझ से जुदा होना ,एक हसीन धोखे कोहकीकत का निशा समझी थी मैं |........अनु
वाह...!यादेँ... हकीकत, का ही आइना,दिखाती हैं !!!शुभकामनाएँ!
मेरे बंद होठों की जुबाँ आप के दिल ने सुनी ....आप सब का बहुत आभार !खुश रहें !शुभकामनाएँ!
खामोशी भी कितने गीले शुक्वे कर जाती है ...बहुत ही लाजवाब शेर हैं यादों के झरोखे में लेजाते हुवे ....
♥कान हैं सबके बंद , होंठ मेरे सिले हुए ... सच कहा आपने ...वाह वाह ! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है मुबारकबाद !
वाह!! लाजबाब!!
मैं समझा, वो सब अपने थे,नींद से जागा,सब सपने थे॥हर अश आर अपनी अलग शख्शियत लिए हुए .हर अश आर अपनी अलग शख्शियत लिए हुए .मुद्दत हुई है यार को हमसे मिले हुए .बढ़िया ग़ज़ल कहता है यार ,सुबह हो या शाम . .
लाजवाब ग़ज़ल ... एक एक शेर कमाल का है ...
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया ....नुश्खे लिखने बाकी हैं ...आभार आपके आने का ,प्यार जताने का ,
सुंदर भावों से ओत-प्रोत बहुत सुंदर रचना।
दिल पे दस्तक करती पंक्तियों के साथ-साथ इश्क की सच्चाई भी इनमे निहित है!!आपकी नेहा बेटा:)
मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........
सुंदर संवेदनशील पंक्तियाँ
ReplyDeleteबिना कुछ कहे ही सब कुछ जता जाते हैं वो कभी कभी............
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल...
शुक्रिया सर.
सादर.
बेहतरीन अभिव्यक्ति..
ReplyDeletevery nice....
ReplyDeleteबेहद सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteसादर!
एतबार पे तो एतबार रखिये ,खुद से तकरार आँखें चार रखिये ,बस
ReplyDeleteआईनों पे एतबार रखिये .
कुछ कहने पे तूफ़ान उठा लेती है दुनिया ,......
अपनी तो ये आदत है ,कि हम कुछ नहीं कहते ,
उनको ये शिकायत है कि ,हम कुछ नहीं कहते . बढ़िया अभिव्यंजना .
बढिया ..
ReplyDeleteवाह अकेला जी , आप तो पूरे शायर निकले .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है बड़े भाई .
आनंद आ गया .
डॉ.साहब ,
Deleteआप के स्नेह का शुक्रगुजार हूँ मैं !
शुभकामनाएँ!
वाह! खुबसूरत प्रस्तुति सर....
ReplyDeleteसादर
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
ReplyDeleteइस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें.
नीरज
बेहतरीन अभिवयक्ति....
ReplyDeleteएक अकेलापन है मेरे चारों तरफ
ReplyDeleteफिर भी जाने क्यूँ कुछ कह रहा हूँ मैं !
ऐसा ही कुछ कहके अपने अकेलेपन ,
Deleteअपने से दूर भगा रहा हूँ मैं .....!
आभार!
beautiful & touchy
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत गज़ल ...
ReplyDeleteवाह ..
ReplyDeleteतेरा यूँ वादा लेकर
ReplyDeleteमुझ से जुदा होना ,
एक हसीन धोखे को
हकीकत का निशा समझी थी मैं |........अनु
वाह...!
Deleteयादेँ... हकीकत, का ही आइना,
दिखाती हैं !!!
शुभकामनाएँ!
मेरे बंद होठों की जुबाँ आप के दिल ने सुनी ....
ReplyDeleteआप सब का बहुत आभार !
खुश रहें !
शुभकामनाएँ!
खामोशी भी कितने गीले शुक्वे कर जाती है ...
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब शेर हैं यादों के झरोखे में लेजाते हुवे ....
ReplyDelete♥
कान हैं सबके बंद , होंठ मेरे सिले हुए ...
सच कहा आपने ...
वाह वाह !
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है
मुबारकबाद !
वाह!! लाजबाब!!
ReplyDeleteमैं समझा, वो सब अपने थे,
ReplyDeleteनींद से जागा,सब सपने थे॥
हर अश आर अपनी अलग शख्शियत लिए हुए .
हर अश आर अपनी अलग शख्शियत लिए हुए .
मुद्दत हुई है यार को हमसे मिले हुए .
बढ़िया ग़ज़ल कहता है यार ,सुबह हो या शाम . .
लाजवाब ग़ज़ल ... एक एक शेर कमाल का है ...
ReplyDeleteआपने याद दिलाया तो मुझे याद आया ....
ReplyDeleteनुश्खे लिखने बाकी हैं ...
आभार आपके आने का ,
प्यार जताने का ,
सुंदर भावों से ओत-प्रोत बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteदिल पे दस्तक करती पंक्तियों के साथ-साथ इश्क की सच्चाई भी इनमे निहित है!!
ReplyDeleteआपकी नेहा बेटा:)