Sunday, December 30, 2012

याद आते हैं वो, अब बचपन के दिन !!! क्योंकि फुर्सत के हैं, ये अब रात-दिन...


यादें ---अनकही अपने बचपन की ....इनको मैंने 
१५-१६ साल पहले लिखा था और दो साल पहले 
शुरू-शुरू  में अपने ब्लॉग पर भी .......
आज फिर मेरी यादें ,मुझे अपने बचपन  में खींच 
ले गयी और जो  मेरे अंदर सोया बच्चा था उसे जगा दिया |
बहुत कोशिश की थपथपा कर बहलाने की ,सुलाने की 
पर दिल तो बच्चा है न ??
समर्पित करता हूँ...अपनी यादों को ...अपनी पूज्य नानी जी ,
मामा जी और अपने प्यारे दोस्त इन्दर को जो अब मेरे जीवन 
में मेरे साथ नही ....पर यादों में मरते दम तक रहेंगे !!!!



मेरी नानी जी 









मेरे मामा जी 










मैं और मेरा दोस्त 







फिर एक नई बोतल , फिर वोही  पुरानी शराब
फिर आपको बताऊँ कैसे हुआ मेरा ख़ाना-ख़राब
मेरा बचपन 


मुझ को पाला था ,पोसा था 
बड़ा प्यार दिया था मेरी नानी ने 
मुझ को अपने कन्धों पे घुमाया था 
मेरे मामा ने अपनी जवानी में ...
न माँ ,न मौसी ,न भाई ,न बहना और न नाना 
बस थी मेरी नानी और था एक मामा सयाना 
पड़ती थी मुझ को भी मार बचपन में 
जिसकी उठती है मीठी पीड़ अब भी पचपन में 
पड़ा था मेरा भी बचपन में शरारतों से पाला 
कभी मुझको भी था उन्होंने मुसीबतों में डाला 
याद आती है अब भी मार मामा की 
याद आती है सब को नानी,मुझ को 
याद आती थी तब नाना की ...

कभी थप्पड़ और कभी-कभी लातो की मार 
छुपा रहता था ,कहीं उसमें भी मामा का प्यार 
बेचारा मामा तो चाहता था पड़ना कमज़ोर 
मेरा बचपन ही था कुछ ज़्यादा मूह्ज़ोर
बीच-बचाव में जब छुड़ाने आती थी नानी
तब कुछ ज्यादा ही कर जाता था मैं मनमानी....

चार ,आठ दस आने का वो जमाना था 
सिनेमा देखने का बनता जब कोई बहाना था 
तब लगाता था मस्का मैं अपनी नानी को 
यूँ कर लेता था ,मैं अपनी पूरी मनमानी को 
कभी ऐसा भी हुआ ,जो बात न मेरी नानी ने मानी 
अपनी हाथ-सफ़ाई से ली मैंने उनकी ज़ेब की कुर्बानी ....

पकड़ा गया जो फिर जब, तो हुई पिटाई भी 
फिर कुछ न काम आई मेरी कोई सफाई भी 
फिर भी वो अच्छे दिन थे आज से
खाया-पिया,खेले और पिटे पर ख़ास थे ....

बचपन से ही मेरा शौक बड़ा अज़ीब था 
मैं सिनेमा और सिनेमा संगीत के करीब था
जासूसी नावल,फ़िल्मी मैगज़ीन और कहानी 
किताबों का शौक भी बड़ा है 
मैंने फिल्मफेयर ,जेम्स हेडली चेईज़ और 
मुंशी प्रेम चन्द का गौदान भी पढ़ा है 
शेरो-शायरी का भी मुझे शौक है 
ख़ुशी से सुनता हूँ ,जो सुनाये 
कोई अच्छा सा जोक है....

कहीं पे न अटका ,जो थोड़ा सा भटका 
फिर आ गया मैं अपनी सीधी राहों पे 
अब अच्छे कर्मों के लिए निगाह है 
अपने इष्ट-देव की निगाहों पे ....

अब भी मेरी यादों में मेरे साथ हैं 
मेरा दोस्त,मेरा मामा और मेरी नानी 
अपने बुढ़ापे में मरते दम तक ,नाती-नातिन  
पोती-पोतो को मैं सुनाऊंगा अपनी 
खट्टी-मीठी ,शरारतों भरी ये कहानी.....

आप सब को आने वाले नववर्ष २०१३ 
की शुभकामनायें .....
आप सब बहुत खुश और 
स्वस्थ रहें ......
अशोक सलूजा 






35 comments:

  1. बहुत सुंदर, आपका बचपन आँखों में सजीव हो गया, विशेषकर आप अपने बचपन के दोस्त को नहीं भूले, आपकी इस पोस्ट ने मेरी भी कई स्मृतियों को जीवित कर दिया।

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    Replies
    1. सौरभ जी, ये वो दोस्त था ,जो मेरी माथे की लकीरों को पढ़ कर भांप लेता था ..
      कि मेरे मन में क्या है ......बस यादें है उसकी !!!

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  2. खट्टी-मीठी ,शरारतों भरी कहानी.....
    सचमुच बहुत दिलकश और सुहानी।

    बचपन की यादें जैसी भी हों , याद आने पर गुदगुदा जाती है।
    बहुत बढ़िया लिखा है। शुभकामनायें आपको।
    जे सी जी की कोई खबर हो तो बताइयेगा प्लीज।

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    Replies
    1. डॉ.साहब .. इन यादों का ही सहारा है| जे सी जी को मैंने सिर्फ कुछ अच्छे ब्लोगेर्स की पोस्ट पर ही टिप्पणी में पढ़ा है ..जिनमे से एक आप हैं |
      आभार स्नेह के लिए ...

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  3. बहुत कम होते हैं जो अपनों की यादों में जीते हैं। आज के भागम भाग के दौर में दुसरे रोज भुलाने का रिवाज है।अपने बचपन की यादों का बहुत ही खूब नक्षा खिंचा है आपने। और बड़ी ही खूबसूरती से बा हर्फ बयाँ कर दिया।

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    Replies
    1. आमिर भाई ...ये यादें ही तो अपना सरमाया है ....
      शुक्रिया ! खुश रहें!

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  4. बचपन के यादें और परिजनो से परिचय दोस्तों की स्मृतियों नए साल की पूर्व संध्या पर बहुत अच्छा लगा. आपको भी नए साल की असीम शुभकामनायें.

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    Replies
    1. रचना जी ,इन्ही स्मृतियों में अपने गुज़रे हसीन पलों को याद करता हूँ |
      नये साल की आपको भी बहुत शुभकामनायें !

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  5. क्या कहने,
    आपकी आज की तस्वीर और बचपन की शरारतों में कोई समानता नहीं दिखती है।
    माफ कीजिएगा, नए वर्ष की मंगल कामनाएं..

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    Replies
    1. हा हा हा ..महेन्द्र जी .इसी लिए तो पुरानी तस्वीर भी लगाई है ....अब क्या कहतें है? वैसे मैं भावुक तब भी इतना ही था ..माँ का साया नही था न ..शायद इसी लिए
      नानी जी के लाड-प्यार का फायदा उठा कर ये मासूम शरारतें कर लेता था :-))
      आपके स्नेह के लिए,नव-वर्ष की शुभकामनायें!
      आभार !

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  6. .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति आपको भी नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनायें भारत सरकार को देश व्यवस्थित करना होगा .

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  7. बचपन की यादों की बहुत ही भावनात्मक सुंदर प्रस्तुति,,,,नव-वर्ष की बहुत२ शुभकामनायें!अशोक जी,,,
    ====================
    recent post : नववर्ष की बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. @ शालिनी जी
      @ भदौरिया जी
      आप को भी नववर्ष की बधाई ....,
      आभार !

      Delete
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (31-112-2012) के चर्चा मंच-1110 (साल की अन्तिम चर्चा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    --
    कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. बहुत-बहुत आभार जी ..
      नववर्ष की बधाई |

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  9. बचपन की यादो की एक सुंदर सी तस्वीर -सच ही जाने के बाद अपने बहुत याद आते हैं

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  10. बचपन के दिन सबको याद रहते हैं

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  11. नव वर्ष शुभ हो चौतरफा .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .निशांत ने पढ़ी आपको याद किया .

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  12. आपकी सभी सद्य टिप्पणियों का शुक्रिया .आदरणीय भाव रखेंगे सभी महिलामात्र के प्रति यही इस बरस का शुभ सामूहिक संकल्प होना चाहिए .आभार .

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  13. सार्थक संकल्पों की याद दिलाती है यह पोस्ट नए साल में .मुद्दा एक ही है आधी आबादी की पूरी सुरक्षा .टिपण्णी सुबह भी की थी अशोक भाई . स्पेम बोक्स देखे .

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  14. Expand
    33m Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    चांद को भी मात दे देगी उसकी चमक! comets चांद को भी मात दे देगी उसकी चमक! http://sb.samwaad.com/2012/12/blog-post_29.html … वीरेंद्र कुमार शर्मा की रपट
    Expand

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  15. Expand
    57m Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    फैसला निर्भया की मौत से पहले और बाद का http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2012/12/blog-post_30.html …
    Expand Reply Delete Favorite
    59m Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ रविवार, 30 दिसम्बर 2012 फैसला निर्भया की मौत से पहले और बाद का

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  16. बचपन की यादो का इतना सजीव चित्रण किया की मन भावविभोर हो गया। आपकी बचपन की तस्वीर में अभी की गम्भीरता दिख रही है। नववर्ष की मंगलकामनाएं।
    राजेन्द्र ब्लॉग
    वेब मीडिया
    भूली -बिसरी यादें

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  17. बचपन ... हर पल साथ रहता है .... यादों में
    सादर

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  18. बचपन की यादों को ताज़ा करती बहुत सुन्दर प्रस्तुति...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  19. दादा अशोक !अब यह शहादत खाली न जायेगी .ज़रूरी है विरोध की यह सात्विक आंच सुलगती रहे .


    जब समूह की चेतना राष्ट्रीय चेतना ,जन चेतना बन जाती है तब उन निजामों और सरकारों को जागना पड़ता है जो पुलिस का इस्तेमाल वेतन के अलावा मिलने वाली विशेष सुविधा ,Perks की तरह

    करती

    है .तब उसकी गति और नियति वही होती है जो इस समय दिल्ली दरबार की है .

    सरकार इतना डरी हुई थी निर्भया के जीर्ण शीर्ण निष्प्राण शरीर को दिल्ली लाना ही नहीं चाहती थी पडोसी राज्यों को खंगाला गया कहीं से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिली ,इस दरमियान शाम

    पांच बजे से रात दस बजे तक निष्प्राण शरीर सिंगापुर हवाई अड्डे पर बना रहा .जबकि एयर इंडिया के विशेष विमान AI Flight 380 A को प्राथमिकता के आधार पर उड़ने की अनुमति काफी पहले

    मिल

    चुकी थी .एक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी दिल्ली का कोई ज़िक्र नहीं था ,संभावना तलाशी जा रही थी कलकत्ता /लखनऊ अन्यत्र विमान को हांक के ले जाने की .

    (Body kept waiting 3 hrs in S'pore as govt wanted to avoid chaos in Delhi ./MumbaiMirror/Monday,December 31,2012)

    सरकार शव को दिल्ली लाना ही नहीं चाहती थी .हौसला ही नहीं था .

    निर्भया के माँ बाप अन्यत्र जाने को राजी न हुए .

    निर्भया अकेली नहीं है प्रतीक है आधी आबादी की ताकत की अब .

    एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :

    क्वचिदन्यतोSपि...
    अर्थात मेरे साईंस ब्लागों से अन्य,अन्यत्र से भी ....

    ReplyDelete
  20. बहुत बढ़िया अशोक सलूजा जी |
    बचपन की यादों को बड़े सुंदर ढंग से बयाँ किया है |

    नये साल पर कुछ बेहतरीन ग्रीटिंग आपके लिए

    ग्रीटिंग देखने के लिए क्लिक करें

    ReplyDelete
  21. दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए,
    मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
    ज्यों कहीं फिसल गए।
    कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
    कुछ आकुल,विकल गए।
    दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए।।
    शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
    इस उम्मीद और आशा के साथ कि

    ऐसा होवे नए साल में,
    मिले न काला कहीं दाल में,
    जंगलराज ख़त्म हो जाए,
    गद्हे न घूमें शेर खाल में।

    दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
    प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
    बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
    ऐसा होवे नए साल में।

    Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

    May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!

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  22. सजीव पोस्ट ... कितनी ही यादों को घेर लाई ...
    जीवन में यादों का संबल न हो तो जीवन आसान्नाही होगा काटना ...
    आपको २०१३ की मंगल कामनाएं ...

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  23. @अदिति जी, अंजू जी ,सदा जी ,
    बहुत-ब्सहुत आभार |
    खुश और स्वस्थ रहें!

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  24. @ राजेन्द्र जी, शर्मा जी, वीरू भाई जी ,नागपाल जी
    @ भाई गोदियाल जी ,दिगम्बर जी .....
    आप सब के स्नेह के लिए बहुत शुक्रिया ....
    खुश और स्वस्थ रहें !
    शुभकामनायें!

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  25. आपने तो अपनी पूरी कहानी लिख दी ...
    वैसे आपका चेहरा नानी से काफी मिलता जुलता है ....
    जासूसी उपन्यासों से याद आया मुझे भी बहुत शौक था कर्नल रंजित , कैप्टन हमीद , कासिम कुछ पत्रों के नाम अब तक याद हैं ..गुलशन नंदा को भी खूब पढ़ा ...

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  26. शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का अतीत की यादों से जुड़े संस्मरण हिमोग्लोबिन बन जाते हैं .कुछ दोस्त और परवरिश करने वाले ,रहतें हैं पास मेरे बनके उजाले .

    ReplyDelete

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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