रोज़ कहता हूँ ,भूल जाऊं उन्हें
पर रोज़ यह बात ,भूल जाता हूँ ||
पर रोज़ यह बात ,भूल जाता हूँ ||
---अज्ञात
जब-जब बीते लम्हात मुझको याद आयेंगे
सब कुछ भूल उन की यादों में खो जायेंगे
सब कुछ भूल उन की यादों में खो जायेंगे
याद आते हैं मुझे अपने वो सुहाने दिन
जो अब कभी लौट कर वापस न आयेंगे
मैं तो अब भी रूठता हूँ पहले की तरह
न पहले की तरह अब वो मुझको मनाएंगे
इसी भ्रम में,मैं तो जियूँगा तब तक
अपनी 'आई' से हम न मर जायेंगे
वो भूल भी गये तो क्या वादा अपना
हमें तो याद है अब हम ही निबाहेंगे
'अकेला' याद करेंगे अपनी यादों में तुझ को
याद कर-कर के अपनी यादों में तुझको जगायेंगे ....
अशोक सलूजा "अकेला" |
.
वाह बहुत उम्दा
ReplyDelete*'आई' आये समय पर, कुदरत का आईन |
ReplyDeleteसप्त-वार के वारि में, मस्त तैरती मीन |
मस्त तैरती मीन, सीन सब याद पुराने |
कौन सकेगा छीन, तुम्हारे गीत-सुहाने |
लम्हे लम्हें याद, यही तो है *मनुसाई |
दूर रहो या पास, हृदय में "यादें" आई |
आई = मौत
मनुसाई = पराक्रम
रविकर जी आभार आपका .....'आई' पर आपने खुल के समझाया ...बस यह
Deleteआप का ही काम था ...
फिर से आभार !
आई आई के लिए, कुदरत का आईन |
Deleteदोनों की गोदी सुखद, कहते रहे जहीन |
कहते रहे जहीन, यहाँ आई ले आई |
लेकिन आई मित्र, वहाँ निश्चय ले जाई |
इन्तजार दो छोड़, व्यवस्था करो ख़ुदाई |
ज्यों आई आश्वस्त, देख त्यों हर्षित आई ||
आई=मौत / माता
यादों को दिल में संजो कर रखना भी बहुत बड़ी बात है,बहुत ही सुंदर प्रस्तुती,सादर।
ReplyDeleteउम्दा ग़ज़ल!
ReplyDeleteवो भूल भी गये तो क्या वादा अपना
ReplyDeleteहमें तो याद है अब हम ही निभाएंगे।
लाजबाब सलूजा साहब !
बहुत सुंदर रचना..
ReplyDeleteये एकदम सच है कि अतीत चाहे कितना भी कड़वा क्युं न हो पर उसकी यादें हमेशा मीठी होती है।।।
आभार आप के स्नेह का .....
ReplyDeleteमेरी यादें , याद दिला दीं इस रचना ने ! आभार भाई जी !
ReplyDeleteमैं तो अब भी रूठता हूँ पहले की तरह
ReplyDeleteन पहले की तरह अब वो मुझको मनाएंगे
बहुत सुंदर, क्या कहने
बहुत ही बढ़ियाँ गजल...
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर ग़ज़ल...
ReplyDeleteवो भूल भी गये तो क्या वादा अपना
हमें तो याद है अब हम ही निबाहेंगे
लाजवाब!!!
सादर
अनु
याद आते हैं मुझे अपने वो सुहाने दिन
ReplyDeleteजो अब कभी लौट कर वापस न आयेंगे
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बहुत खूब..
ReplyDeleteआ लौट के आजा मेरे मीत ,तुझे मेरे गीत बुलाते हैं ......
ReplyDeleteआ लौट के आजा मेरे मीत ,तुझे मेरे गीत बुलाते हैं ......याद न जाए बीते दिनों की ......याद किया दिल ने कहाँ हो तुम .......,तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर, आपके शब्द सीधे आपके दिल से कीबोर्ड में उतर जाते हैं। ऊपर वाले ने आपका दिल बनाने में विशेष मेहनत की है कहीं कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सुंदर जज्बात, सुंदर कविता
ReplyDeleteलाजबाब अभिव्यक्ति ,,,,अशोक जी,,,,
ReplyDeleteतुमने किया न याद कभी भूलकर हमें,
हमनें तम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया,,,,,( जफ़र )
RECENT POST बदनसीबी,
खूब कहा.....
ReplyDeleteबेहद उम्दा ... सादर !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन: ताकि आपकी गैस न निकले - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत खूब लिखा आपने साब | पढ़कर एक दम अपना सा लगने लगा कुछ पुराने लम्हे आँखों के सामने दृश्य बन उभर आए | आभार |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
'अकेला' याद करेंगे अपनी यादों में तुझ को
ReplyDeleteयाद कर-कर के अपनी यादों में तुझको जगायेंगे ....
दिल को छू गई आपकी गजल ...
----सादर
यादों को समेटे बहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteमैं तो अब भी रूठता हूँ पहले की तरह
ReplyDeleteन पहले की तरह अब वो मुझको मनाएंगे ..
समय क्रूर होता है ... बदल जाता है धीरे धीरे फिर वापस नहीं आता ...
जीवन फिर भी जीना होता है ...
सुहानी यादों को याद करने में ही मज़ा है। शुभकामनायें अशोक जी।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत जज्बातों को समेटे एक बेहतरीन ग़ज़ल !
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 07-02 -2013 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
आज की हलचल में .... गलतियों को मान लेना चाहिए ..... संगीता स्वरूप
.
वाह ! बहुत बढ़िया !
ReplyDelete~सादर!!!
wahhh.... Bahut umda...
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html
मैं तो अब भी रूठता हूँ पहले की तरह
ReplyDeleteन पहले की तरह अब वो मुझको मनाएंगे
वाह !!!! बड़ी गी गहरी बात कह गए..