आज का मौसम देख कर परदेस में अपने देस की बहुत
याद आ रही है,देस में गर्मी से आप झुलस रहें है .और यहाँ
जनवरी का मौसम बना हुआ है ,और मैं अपने कानो पर
हेडफोन लगाये हुसैन बन्धुओं से ..मौसम आयेंगे ,मौसम
जायेंगें ...हम तुम को न भूल पायेंगें.....सुन रहा हूँ और
अपने देश के मौसम को याद करके उसका मज़ा ले रहा हूँ ....
वहां के मौसम की यादों के साथ अपने आप को बहने से
रोक नही पा रहा हूँ ,,,,,
वो सर्दी के मौसम में सुबह की धूप का मज़ा,
वो सर्दी की लम्बी रातों में लिहाफ़ में सोने का मज़ा और फिर चुस्कियां
ले ले कर गर्म -गर्म चाय पीने का मज़ा .....
और अब गर्मी की झुलसती धूप की दोपहरी का सूनापन ,
धूल भरी आँधियों के शोर में शाम की ठंडी-ठंडी हवाओं का इंतज़ार ...
साथ में ठन्डे-ठन्डे तरह-तरह के पेय को पीने की ललक ..वाह!
उसका मज़ा भी अपना ही है ......गर्मी को दूर करने के तरह-तरह
के उपाय वाह!.....
और फिर सावन की ठंडी-ठंडी फुहारों का इंतज़ार ....सावन के गीत ,
सावन के झूले ,सावन की बारिश... आँख बंद करके छीटों से चेहरे
को भिगोना और अपने चाहने वालों की यादों में खो जाने ...का मज़ा
ही अपने देस में है ....
शायद इसी लिए परदेस में देस की बहुत याद आती है .....
वैसे भी तो हम हिन्दुस्तानी है ...भावुक होना हमारी फितरत
और दूर जा कर अपनों को याद करना ,कद्र करना ही हमारी
रगों में समाया है ....
पास रहकर हम हो जाते है लापरवाह
दूर होते ही ,पुकारते है आ तू पास आ .....
चलिए ..छोडिये ..लिखना मुझे आता नही और मैं भावुकता
में बहता जा रहा हूँ ....
बाकि की कसर मैं अपने हुसैन बन्धुओं की ये खुबसूरत
मौसमों के ऊपर गाई ग़ज़ल आप सब को सुनवा कर अपने
ज़ज्बातों को महसूस कराने की कोशिश करता हूँ....
उम्मीद करता हूँ ,,
आप का प्यार मिला तो कामयाब हो जाऊंगा |
तो सुनिए .........
खुश और स्वस्थ रहें.....
टोरंटो (कनाडा)
kaun kahta hai likhna nhi aata aapko?? itna achchha to likhne lge hain.
ReplyDeleteabhi 4.45 hue hain. subah hone ko hai.din me ghazal bhi sunungi. janti hun achchhi ghazal hogi. dono bahuuut achchha gate hain. inke bhajano ka koi muqabla nhi.suniyega.
वाह, सुहाना वातावरण...
ReplyDeleteआपने तो वहां बैठे बैठे ही मौसम का कविता मय चित्र सा खींच दिया है, हुसैन बंधुओं की गजल तो जैसे सोने पर सुहागा है, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बेहद उम्दा..... वाह वाह वाह
ReplyDeleteवाह ... मेरी सबसे प्रिय गज़ल ...
ReplyDeleteपता नहीं क्यों पर हुसैन बंधुओं का दीवाना हूं मैं ... आज तो आपने सुबह सुबह दिन बना दिया ... मज़ा आ गया ...
बहुत सुंदर .... खूबसूरत गज़ल सुनवाने के लिए आभार
ReplyDeleteवाह बहुत बढिया
ReplyDeleteमौसम तो आते जाते रहेंगे। अभी गर्मी में भी सर्दी का मज़ा लीजिये।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (14-06-2013) के "मौसम आयेंगें.... मौसम जायेंगें...." (चर्चा मंचःअंक-1275) पर भी होगी!
सादर...!
रविकर जी अभी व्यस्त हैं, इसलिए मंगलवार की चर्चा मैंने ही लगाई है।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अब की बारिश में शरारत ये मेरे साथ हुई,
ReplyDeleteमेरा घर छोड़ दिया, शहर में बरसात हुई।
सात समंदर पार से भी आपका स्नेह और आशीर्वाद यूं ही ब्लाग और ब्लागर्स पर बना रहे।
सुन्दर - सार्थकअभिव्यक्ति .आभार .
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteआप सब ने हुसैन बंधुओं की गाई ग़ज़ल का आनंद लिया और गर्मी में
ReplyDeleteबारिश की बौछार का मज़ा भी (दिल्ली में) अच्छा लगा .सुकून मिला
आपकी ख़ुशी महसूस करके .....
आभार आप सब का ....
खुश रहें,स्वस्थ रहें !
बहुत सुंदर। आशा है आप परदेश के सुंदर संस्मरण भी हमसे शेयर करेंगे।
ReplyDeleteHamaare Jaipur ke hain aur ye unki behtariin rachna hai...Lajawab gaate hain aur unhen saamne baith kar sun na ek alag hi anubhav hai...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत , लाजवाब !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनभावन रचना ...
ReplyDelete:-)
सच! परदेस में देस की बहुत याद आती है .....
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