मैं देखता हूँ ,अपने अतीत में
तूने डेरा अपना जमा रखा है
दिल के हर टूटे हुए टुकड़े में
तूने चेहरा अपना छुपा रखा है
---अशोक "अकेला "
सुकून मिलता है ....अतीत में !!!
ज्यों काफ़िर मुहँ से लगी छूटती नही
ये यादों की लड़ी कभी भी टूटती नही
कुछ अरसे के लिए हो जाता हूँ ,बेखबर
फिर भी ये कभी मुझसे यूँ रूठती नही
करने लगता हूँ याद बीती हुई यादें तभी
जब कभी मुझे कोई ख़ुशी सूझती नही
इन में समाई हैं मेरे सुख-दुःख की हवाएं
जिन्हें आज की ज़हरीली हवा लूटती नही
बिखर जाती है मेरी सोच अनेक यादों में
वहाँ कोई भी आँख, शक से घूरती नही
पलट के देखने दो मुझे यादों की तरफ
चारों तरफ अब मेरी निगाह घूमती नही
लौट के सुकून मिल जाता है 'अकेला' अतीत में
वर्तमान में तो अब सुकून की हवा झूमती नही....
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कैनेडा ,टोरंटो से ....
इन में समाई हैं मेरे सुख-दुःख की हवाएं
ReplyDeleteजिन्हें आज की ज़हरीली हवा लूटती नही
bahut sundar bhav ....!!
shubhkamnayen ....!!
आपकी रचना पढ़कर वो पुराना नगमा ओंठों पर थिरक उठा, सलूजा साहब "कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन,,," !
ReplyDeleteबहुत बढिया प्रस्तुति!!बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteपुरानी यादें भी हवा के सुखद झौंको जैसी होती है, बहुत शुकून देती हैं, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
पलट के देखने दो मुझे यादों की तरफ
ReplyDeleteचारों तरफ अब मेरी निगाह घूमती नही
...वाह! पुरानी यादें ही तो एक जीने का संबल होती हैं...
यादें चिपक जाती हैं उम्र के साथ ... फिर मन भी तो नहीं होता की य चली जाएं ... इनका ही एक सहारा होता है ...
ReplyDeleteबिखर जाती है मेरी सोच अनेक यादों में
ReplyDeleteवहाँ कोई भी आँख, शक से घूरती नही
पलट के देखने दो मुझे यादों की तरफ
चारों तरफ अब मेरी निगाह घूमती नही
लौट के सुकून मिल जाता है 'अकेला' अतीत में
वर्तमान में तो अब सुकून की हवा झूमती नही....
सुन्दर प्रस्तुति...
भविष्य की ओर अग्रसर होते हुए वर्तमान में भूत का ही सहारा है।
ReplyDeleteबढ़िया है जी।
वाह वाह...क्या बात है, बहुत खूब सर...यादों का खज़ाना होता ही ऐसा है जिसे चाहकर भी कोई किसी से लूट नहीं सकता। आज आपकी यह पोस्ट पढ़कर न जाने क्यूँ यह गीत याद आगया मुझे
ReplyDelete"आईने के सो टुकड़े करके हमने देखें है
एक में भी तन्हा थे सो में भी अकेले हैं"
लौट के सुकून मिल जाता है'अकेला'अतीत में
ReplyDeleteवर्तमान में तो अब सुकून की हवा झूमती नही....वाह !!! बहुत बढ़िया गजल के लिए अशोक जी बधाई,,,
Recent post: एक हमसफर चाहिए.
यादों के सहारे बाकी ज़िंदगी बीत जाती है .... खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteyaado ki antheen yatra.... khubsurat abhivaykti....
ReplyDeleteकितनी खूबसूरत यादें इस कविता में सज गई हैं वो क्रोशिया याद आ रहा है माँ का जिसमें खूबसूरत फूल कपड़ों से सज जाते थे।
ReplyDeleteलौट के सुकून मिल जाता है 'अकेला' अतीत में
ReplyDeleteवर्तमान में तो अब सुकून की हवा झूमती नही....
हकीकत स्वीकारने पर दर्द उमडता ही है. सुंदर गज़ल.
याद वही बस दिन आते हैं,
ReplyDeleteवर्तमान में गहराते हैं।
.. ये यादों की लड़ी कभी भी टूटती नही
ReplyDeleteबड़ी प्यारी अभिव्यक्ति , बड़े गहरे मन की रचनाएं और यादें ..
बधाई भाई जी !
कितनी खूबसूरत रचना है... बता नहीं सकते ! दिल को छू गयी...
ReplyDelete~"यादों ने फिर महफ़िल सजाई है....
मेरी तन्हाई और भी मुस्कुराई है....."~ :-)
~सादर!!!
कुछ यादें हमेशा जीवन में रोशनी लाती है और सहारा बनती है.. सुन्दर भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteA nostalgic peep says all!
ReplyDeleteसादर!
सुकून देती रचना ...बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteयादें ही अकेले का सहारा हैं .... तन्हाई का किनारा हैं
आपके ब्लॉग पे अब नयी पोस्ट का पता नहीं चलता ...यही पोस्ट नज़र आई ...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखने लगे हैं आप ...अब एक किताब आ जानी चाहिए ...कहें तो किसी प्रकाशक से बात करूँ ....?