Wednesday, December 11, 2013

वो यादें ......बचपन की !!! ये बातें .....बाद पचपन की !!!

वो यादें ......बचपन की !!! 
ये बातें .....बाद पचपन की !!!
कल और आज
वो शोखियाँ ,
वो मस्तियाँ
वो शरारतें ,
वो खुराफ्तें  
वो यादें बचपन की ...

ये उदासियाँ ,
ये वीरानियाँ
ये बेईमानियाँ, 
ये शामते 
ये बातें ,बाद पचपन की ...

न खौफ़ था ,
न फ़िक्र थी
न थी जिम्मेवारियां 
थी बस बचपन की किलकारियाँ
वो यादें बचपन की ...

अब बेबसी है ,
घुटन है ,
हैं दुश्वारियाँ
झेलने को बची है ,
अब बस बीमारियाँ 
ये बातें ,बाद पचपन की...

वो बचपन का दौर था 
थोड़ा लड़े.थोड़ा भिड़े 
निकाला गालीयों पे ज़ोर था...

आया जवानी का दौर था 
तूने देखा ,मैंने देखा 
थोड़ा मुस्कराये,गले मिले
बस हसीं-ठठ्ठे का ज़ोर था ... 

न जाने कब आया
बुढ़ापा मेरी  ओर था
शोख बचपन भागा
मस्त जवानी खोई 
देख बुढ़ापा आँखे रोई  ...

बचपन ने लूटी शरारतें 
जवानी ने लूटी मस्तियाँ 
बुढ़ापे ने मिटा दी हस्तियाँ 
बस बची हैं उजड़ी बस्तियां ..... 

-----अशोक'अकेला'

23 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (12-12-13) को होशपूर्वक होने का प्रयास (चर्चा मंच : अंक-1459) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. आभार शास्त्री जी आपके स्नेह का ........

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  2. आप ठीक कहते हैं भाई जी ! यथार्थ कड़वा और तकलीफ देह है

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    Replies
    1. भाई जी आपका आना हमेशा अच्छा लगता है ....आभार!

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  3. बचपन से लेकर बुढ़ापे तक का पूरा सफ़र करा दिया रचना के जरिये....यथार्थ कह्ती बहुत ही बेहतरीन रचना....

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    1. रीना जी ....बहुत खुश रहें ! स्नेह !

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  4. भाव पूर्ण प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-

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    Replies
    1. कविवर रविकर जी ....आभार आपका !

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  5. माना फर्क है बचपन और बुढापे में,मगर जीवन बाकी ही है तो क्यूँ न मज़े से जिया जाय....
    आपसे छोटी हूँ इसलिए हक तो नहीं फिर भी कहती हूँ....यूँ उदासियाँ अच्छी नहीं......
    :-)
    मन को छूती कविता....(इसीलिये तो कविता लगी ही नहीं )

    सादर
    अनु

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    Replies
    1. छोटी सी अनु ...कविता तो मैं लिख ही नही सकता ..यथार्थ ..कड़वी दवाई की तरह होता ज़रूर है ...पर सुकून भी देता है और लिखकर उदासी दूर करता हूँ !
      आप बहुत अच्छा लिखती हैं ...पढ़ के उससे भी सुकून हासिल होता है !
      खुश और स्वस्थ रहें ...

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  6. जिंदगी के सफ़र की दास्ताँ-अति सुन्दर
    नई पोस्ट भाव -मछलियाँ
    new post हाइगा -जानवर

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    Replies
    1. शुक्रिया प्रसाद भाई जी .....

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  7. बचपन से बुढापा तक का सफर बहुत रोचक लगता है.क्यों न इस सफर को याद कर खुश हो कर मन बहलाए..

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    1. आप की सलाह से पूर्णरूप से सहमत हूँ ...बस वही करने की कोशिश है .......
      आभार !

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  8. वो बचपन का दौर था,आज बुढापे का दौर है !और कल ,,,,,,,न जाने ....?

    RECENT POST -: मजबूरी गाती है.

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    Replies
    1. और कल ...न जाने ....जाना किस ओर है ....
      शुभकामनायें!

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  9. बचपन ने लूटी शरारतें
    जवानी ने लूटी मस्तियाँ
    बुढ़ापे ने मिटा दी हस्तियाँ
    बस बची हैं उजड़ी बस्तियां .....
    ....कटु यथार्थ को चित्रित करती बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...

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    Replies
    1. स्नेह के लिए आभार कैलाश भाई जी ....

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  10. Replies
    1. वाह! जवानी ......
      शुभकामनायें !

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  11. जिंदगी के सफ़र की दास्ताँ..........बहुत प्रभावी !

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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