Saturday, September 01, 2012

मन करता है ....!!!

दूसरों की सुन के,खुद से कह के 
खुश हो लिए,
दे के दिल को दिलासा, प्यार से और 
खुद रो लिए ...
...अकेला

मन करता है ....!!!
आँख में आंसू साथ नही 
रोने का मन करता है... 
खोने को कुछ पास नही 
कुछ खोने का मन करता है...

मैं किसी से नाराज़ नही 
पर होने का मन करता है... 
न मुझको कोई मनाएगा 
पर रूठने का मन करता है...

पता है, न ढूंढेगा कोई मुझे
पर खो जाने का मन करता है...  
किस-किस ने किया बर्बाद मुझे 
अब भूल जाने का मन करता है...

न रही अब किसी को ज़रूरत मेरी 
ये अब मान जाने का मन करता है...
जहां से भी मिले प्यार मुझे 
बस ले लेने का मन करता है...

न किया जान-बूझ के कोई गुनाह
फिर भी पश्चाताप का मन करता है... 
बहुत सा रत-जगा है आँखों में 
अब सो जाने का मन करता है...

न कोई करेगा अब याद मुझे 
बस मर जाने को मन करता है...
उम्र भर जला ,मैं थोड़ा-थोड़ा 
अब पूरा जल जाने का मन करता है... 

जिससे भी मिला ,पल भर का सुकून 
'अकेला' उन सब को दुआ देने का मन करता है ......


अशोक'अकेला'




27 comments:

  1. अक्षरश: मन में गहराई से उतरते शब्‍द किसी पंक्ति विशेष का चयन करना मुश्किल हो गया है ... आपकी लेखनी को नमन
    सादर

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  2. बहुत सुंदर


    न किया जान-बूझ के कोई गुनाह
    फिर भी पश्चाताप का मन करता है...
    बहुत सा रत-जगा है आँखों में
    अब सो जाने का मन करता है...

    क्या बात है

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  3. पता है, न ढूंढेगा कोई मुझे
    पर खो जाने का मन करता है...
    किस-किस ने किया बर्बाद मुझे
    अब भूल जाने का मन करता है...बहुत बढ़िया

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  4. आज अधूरे, मन के कहने, हम न माने,
    आस यही, मन की अभिलाषा पूरा जाने।

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  5. बहुत गहन भाव है...
    मगर मन को नयी दिशा दीजिए ...
    अगर ये सिर्फ रचना है तो बहुत सुन्दर...

    सादर
    अनु

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    Replies

    1. aap ki umr men sapno
      se sajti hai rachna
      hamari umr men tajurbon
      se banti hai rachna .....
      khush rahen!














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  6. बहुत ख़ूब!

    एक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी देखें-

    जमाने के नख़रे उठाया करो

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  7. यादों से है लम्बा रिश्ता,अंतिम क्षण तक आयेगी
    यादो को हम याद करेगे,यादें बढ़ती जायेगी,,,,,

    RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (2-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  9. behtareen ,"man chanchal bachal ho gya,manmani ab karta hai,thoda esko samjhao ji,nahak bebs kyon karta hai"

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  10. Replies
    1. सबका सुख अपना-अपना
      मेरे सुख को जाने कौन ?
      आदरणीय, आपने तो जीवन के मर्म को शब्दों में ढाल दिया है,ऐसी ही तन्हाई को महसूस कर मैंने भी एक गीत रचा था,शायद पसंद आये......

      सभी अकेले हैं यहाँ,पीर कहे पर कौन
      कोई कह दे गीत में ,कोई रहता मौन ||

      लीजिये प्रस्तुत है.....

      सब अपने-अपने में खुश हैं
      मुझको अपना माने कौन ?

      अब ऐसी दुनिया में यारों
      जीना क्या, ना जीना क्या ?
      सबकी अपनी-अपनी हस्ती
      मेरी हस्ती माने कौन ?

      वो युग न रहा,दुनियाँ न रही
      रिश्तों पर जान लुटाते थे
      ऐसे युग में जी के क्या करें
      आएगा हमें मनाने कौन ?

      ना घर मेरा, ना रिश्ते मेरे
      मैं मान करूँ तो कैसे करूँ ?
      अपने ही हँसी उड़ाये जब
      फिर आए मुझे हँसाने कौन ?

      मैंने खुद जला कर रौशन की
      जिनकी दुनियाँ - मेरे न हुए
      क्यों खुद को ही न राख करूँ
      आएगा मुझे जलाने कौन ?

      Delete
    2. सच्चाई यही है....जिन्दगी का फ़लसफा भी इसमें और
      कुदरत का कानून भी ....इसी में रहना है और इसीको
      सहना है .....
      बहुत सुंदर !
      आभार आपका !

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  11. बेहद गहन भाव ,दिल को छु गयी रचना

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  12. एक -एक शब्द दिल को छू लेनेवाले है..
    क्या कहने सर...
    बहुत बढ़िया .....
    शानदार...
    नमन है आपको...
    आपकी लेखनी को...
    :-)

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  13. बहुत सुंदर रचना :

    यहाँ का मन भी देखिये जरा
    कितना हो गया है मसखरा
    आदमी तो बन नहीं पाया हूँ मैं
    भगवान बन जाने का मन करता है !

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  14. वाह एक-एक पंक्ति लाजवाब है सर अक्षरश: मन में गहराई से उतरते शब्‍द किसी पंक्ति विशेष का चयन करना मुश्किल हो गया है ... आपकी लेखनी को नमन...

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    Replies
    1. आप सब के स्नेह और सम्मान के लिये
      बहुत-बहुत आभार !

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  15. आज 03/09/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  16. हर मिसरे को गले लगाने को मन करता है ...बहुत ही उम्दा प्रस्तुति..सीधे दिल में उतरती हुई...साभार...!!!

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  17. फिर भी कभी कभी ''खुद का होने का मन करता है''||

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  18. जिससे भी मिला ,पल भर का सुकून
    'अकेला' उन सब को दुआ देने का मन करता है ......ये नखलिस्तान (पल दो पल के ओएसिस )ही है ज़िन्दगी ,बाकी सब जूनून है .बढ़िया रचना .....

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  19. बहुत ही लाजवाब भावमय प्रस्तुति ... गहन भाव ...

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  20. आप सब के प्यार ,स्नेह और मान-सम्मान के लिये
    में अपने दिल से आभार प्रकट करता हूँ !
    आशीष और शुभकामनायें !

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  21. hriday ko chhooti hui rachna ...bahut gahan bhaav ..man bhar aayaa ...
    shubhkamnayen ...

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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