अपनी हर साँस सें, मुझको तेरी खुशबू आए |
यादें ....अपनी पिछली पोस्ट में ,किए वादे के मुताबिक आप सब के सामनें.....
...हाज़िर हूँ ,एक अपनी पसंद की गज़ल ले कर आप सब की नज़र
करने को ....भरपूर उम्मीद रखता हूँ कि ये आप को भी पसंद आएगी|
...और मेरी बात ,मेरी किया वादा ...आप को खुश रखने का ...इसमें
में कामयाब हो जाऊंगा ! आमीन...
गज़ल!!! जनाब गुलाम अली साहब की मखमली ,दिलकश और दर्द भरी
आवाज़ में ..... आइए! सब सुनते हैं मिल कर ,और लुत्फ़ उठाते हैं ...
.
घंटियाँ बजने लगी ,हिज्र के सन्नाटे से
गुनगुनाता हुआ , ऐसे में अगर तू आए ||
दोस्तों को अक्सर ये कहते सुना है...???
"जिन्दा रहेंगे तो फिर मिलेंगे"
पर हमने तो महसूस किया है...
मिलते रहेंगे तो जिन्दा रहेंगे ||
इस लिए मिलते रहिए !
अशोक सलूजा !
मिलते रहेंगे तो जिन्दा रहेंगे ||
ReplyDeleteवाह , क्या बात कही है अशोक जी ।
सुन्दर ग़ज़ल के लिए आभार ।
बहुत खूब, आभार।
ReplyDeleteएक बढ़िया ग़ज़ल के लिए आभार !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
इस बेहतरीन गज़ल के धन्यवाद
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल.... सुनवाने का आभार
ReplyDeletebilkul ... milte rahenge to zinda rahenge
ReplyDeleteमशगला अब है मेरा, चाँद को तकते रहना ...
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल
खूबसूरत बोल
और
खूबसूरत आवाज़ !!
अभिवादन .
आ...हा...हा....
ReplyDeleteआनंद आ गया सुन कर .....
अपनी हर सांस से तेरी खुशबु आये ......
मिलते रहेंगे तो जिन्दा रहेंगे ||
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
सादर --
बधाई |
Subhan allah...aur kya kahun? waah
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteजब तसव्वुर मेरा, चुपके से तुझे छू आये...
अपनी हर साँस सें, मुझको तेरी खुशबू आए |
क्या बात है अशोक जी ... मज़ा आ गया इस लाजवाब गज़ल का और आपके अंदाज़ का भी ...
ReplyDeleteमिलते रहेंगे तो जिन्दा रहेंगे ||
इस लिए मिलते रहिए !
आमीन ...
बेहतरीन गज़ल के लिए धन्यवाद, गुलाम अली साहब के तो सभी मुरीद हैं.
ReplyDeleteराजनीति में प्रदूषण पर्व है ये पर्युषण पर्व नहीं .
ReplyDeleteराजनीति का प्रदूषण पर्व है ये पर्यूषण पर्व नहीं है .
शुक्रिया अशोक भाई !हम तो वागीश जी के तोते हैं .प्राधिकृत प्रवक्ता हैं .बस !तेरा तुझको अर्पण ...
Bahut sundar Gazal sunvaai hai aapne! Bilkul Mast!
ReplyDeleteपिछले तीन-चार दिन में कई बार सुन चुका हूं ये मेरी पसंदीदा ख़ूबसूरत ग़ज़ल !
ReplyDeleteहालांकि हसीन लम्हे की सारी कैसेट्स मेरे पास बरसों से हैं … ग़ुलाम अली साहब की कोई 50-60 कैसेट्स तो हैं ही मेरे पास ।
लेकिन चाचाश्री अब टेपरिकॉर्डर बजाने के अवसर कितने कम हो गए … चार साल से मैंने PHILIPS का 20,000 का टेपरिकॉर्डर बजाया ही नहीं तो अब वह भी नखरे करने लगा है … कोई 1500 कैसेट्स का नायाब ख़ज़ाना आल्मारी में पड़ा है कभी सारा म्यूज़िक सीडी में कन्वर्ट करना है … लेकिन फ़ुर्सत मिले तब न …
ऐसे में आप मेरी पसंद की ग़ज़ल सुनने का अवसर देते हैं … तो हो गया न मैं तो आपका कर्ज़दार :)
शुक्रिया आपका
जब तसव्वुर मेरा चुपके से तुझे छू आए
अपनी हर सांस से मुझको तेरी ख़ुशबू आए
मशग़ला अब है मेरा चाद को तकते रहना
रात भर चैन न तुझ बिन किसी पहलू आए
घंटियां बजने लगीं हिज्र के सन्नाटे से
गुनगुनाता हुआ ऐसे में अगर तू आए
जब कभी गर्दिश-ए-दौरां ने सताया मुझको
मेरी जानिब तेरे फैले हुये बाज़ू आए
मिलते रहेंगे तो जिन्दा रहेंगे…
इसलिए मिलते रहिए !
जियो चाचाजान ! लव यू :)
बेहतरीन ग़ज़ल.... सुनवाने का आभार
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteजब तसव्वुर मेरा, चुपके से तुझे छू आये...
अपनी हर साँस सें, मुझको तेरी खुशबू आए |
किस्मत वालों को मिलती है "तिहाड़".
शहर से बाहर और व्यस्तता की वजह से इधर आना नहीं हुआ क्षमा चाहता हूँ सलूजा साहब ! आपने काफी गुड बात कही ;
ReplyDeleteदोस्तों को अक्सर ये कहते सुना है...???
"जिन्दा रहेंगे तो फिर मिलेंगे"
पर हमने तो महसूस किया है...
मिलते रहेंगे तो जिन्दा रहेंगे ||
इस लिए मिलते रहिए !
घंटियां बजने लगीं हिज्र के सन्नाटे से
ReplyDeleteगुनगुनाता हुआ ऐसे में अगर तू आए'
क्या खूब लिखा और गाया गया है.अब ये कहूँ कि मुझे तो इसमें भी मेरे 'मेहबूब' आहट सुनाई देती है जैसे 'वो' मेरे करीब आ क्र बैठ गया हो.तो पढ़ क्र हँसेंगे आप और कहेंगे 'पागल!'
किन्तु वीर ! मेरे लिए मौसिकी उसके करीब पहुँचने का जरिया बन गया है.बस आँखें मूँद कर जब सुनती हूँ तो उस जगह पहुँच जाती हूँ जिसे लोग 'ध्यान' लग जाना कहते हैं.घुलाम अली साहब की मैं भी फेन हूँ और उनकी कई खूबसूरत गजले मेरे पास है.फिर....आप हैं ना जो नही सुन पाई अब तक...वो सुनने को मिल ही जाएगा यहाँ.
वैसे गुलाम अली साहब से रूबरू मिलना खुशनसीबी है.
जो संगीत की महफिल आप
ReplyDeleteके लिए सजाई थी ,
आप ने इसमें शामिल हो कर
मेरी होंसला-अफ़्ज़ाई की ......
शुक्रिया .....आप सब का ...
जो आए....
जो नही आ सके ...उनका भी !!!
आप सब की खुशी में लिपटे
एहसासों को महसूस
करके मैं भी ,खुश हुआ |
आप सब खुश और स्वस्थ रहें !