इसी को, प्यार कहते हैं ...इसी को प्यार कहते हैं !
"मेरी यादों ने, आज फिर मुझ पे, अपना रंग जमाया है ,
मेरे अतीत ने, मुझको वापस, अपनी गोद में बुलाया है" | अशोक 'अकेला'
... चलें! आज में फिर आप को "सावन के महीने" में, प्यार से
भरपूर एक अपनी मनपसंद 'ग़ज़ल' आप की नज़र करता हूँ |
पूरी उम्मीद रखता हूँ ,कि आप भी इसका भरपूर लुत्फ़ उठायेंगें |
प्यार की कोई परिभाषा नही होती ,प्यार किसी भी रूप में मिले ,वो
आनंद देता है ,बस उसी आनंद को प्यार कहते हैं ...
फिर वो चाहे माँ,बहन ,बेटी, बीवी प्रियसी या दोस्त का हो ....
बस लेने-देने की भावना सच्ची ,पवित्र और विश्वास पे आधारित
होनी चाहिए ...
यहाँ सुनिए राजस्थान के हुसैन बंधू अपनी मीठी और जादू भरी
आवाज़ में प्यार का कैसा समां बांध रहे हैं ....
बहुत सुन्दर गीत यार चाचू.
ReplyDeleteआभार.
मेरे ब्लॉग पर आपके दर्शन में
मुझे आपका प्यार नजर आता है.
har baar ki tarah,ek aur behtareen geet laye aap!!
ReplyDeleteaabhar:)
बेहतरीन गीत सुनवाया आभार.....
ReplyDeletebahut achha laga
ReplyDeleteअहा, सुन्दर गीत।
ReplyDeleteअशोक भाई का ज़वाब नहीं -छिपाने से नहीं छुपता है प्यार ....नजर मुझसे मिलाती हो तो कुछ शर्मा सी जाती हो इसी को प्यार कहतें हैं .....हुसैन बंधुओं को नए अंदाज़ में देखा .शुक्रिया ......खूबसूरत अश- आर और बंदिश ....शुक्रिया .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत । सावन के महीने में और भी प्यारा लग रहा है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुति!
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या प्रस्तुति ... आभार ।
ReplyDeletebehtreen prastuti!
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या प्रस्तुति
ReplyDeleteआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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हुसैन बंधु की गायकी का जवाब नहीं.....सुनवाने के लिए आभार.....
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा गीत है सलूजा जी ....
ReplyDeleteआप तो इसी तरह अपना गम हल्का कर लेते हो ...
कभी सावन तो कभी भादो .....
शुक्रिया सुनवाने के लिए ....
अब तबियत कैसी है .....?
बेहतरीन गीत सुनवाया....
ReplyDeleteReading this kind of article is worthy .It was easy to understand and well presented.
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