Saturday, July 02, 2011

आंसू भरी है ...ये जीवन के राहें कोई उनसे कह दे, हमें भूल जाएँ !


मेरी यादों के गुलदस्ते से.... एक सदाबहार महकता फूल ...
इन यादों को याद करके ...अपनी भूली यादों का अतीत याद 
आता है ...
आज एक बार फिर आप को 'परवरिश' फिल्म से ही एक 
मुकेश जी की गाई,और फ़िल्मी परदे पर राज कपूर जी 
द्वारा अभिनय से अभिनीत कर सुनवाई गई 'ग़ज़ल ' से 
रूबरू करवाता हूँ |
जिसमें राज कपूर साहिब ,अपने ग़मग़ीन अंदाज में ,दर्द 
में डूबी इस 'ग़ज़ल ' में अपनी महबूबा से ,अपने को 
भूल जाने की नाकाम फ़रियाद कर रहें हैं |
तो सुनियें उनकी दर्द में डूबी फरियाद : 

वर्ष : १९५८ 
फिल्म : परवरिश 
पर्दे पर: राज कपूर 
सह-कलाकार : माला सिन्हा 
गायक: मुकेश जी 
संगीतकार: दत्ता राम 
गीतकार : हसरत जयपुरी

मुकेश जी :

17 comments:

  1. अभी तक यह गाना भूले नहीं भाई जी :-)
    मुझे भी याद है !
    शुभकामनायें !!

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  2. दोनों ही उम्दा पसंद सलूजा साहब , गजल भी और गीत भी !

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  3. अविस्मरणीय गीत....

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  4. बहुत सुहाता है यह गीत।

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  5. कॉलिज के दिनों में कुछ ग़मगीन पलों में हम भी इसे गाते थे । लेकिन अब नहीं ।

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  6. aaj bhi yah gana bahut sundar lagta hai ..
    कृपया मेरे ब्लॉग में भी पधारें |

    www.pradip13m.blogspot.com

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  7. मुकेश के तो हम जबरदस्त फैन हैं.दी बेस्ट आफ मुकेश के एल. पी .रिकार्ड के बी साइड में इस गीत को न जाने कितनी बार सुना है.आज मेरे मित्र श्री हुकुम चंद शर्मा ,जो बेहतरीन गायक हैं,महासमुंद से जबलपुर आये थे तो मुकेश के गीतों को गुन गुनाते हुये पूरा दिन बीता.नैन द्वार से मन में वो आके मन की प्यास बुझाये,मतवाली नार ठुमक ठुमक चली जाये,तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको

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  8. आपके इस ब्लाग में परवरिश के अलावा हिया जरत रहत दिन रैन भी उन्हें सुनाया/दिखाया.हमने इन गीतों को भी गुनगुनाया-थाणे काजलियो बनालूँ,याद आई आधी रात को कल रात की तौबा,बात है एक बूँद की दिल के प्याले में ,सता ले ऐ जहां,न खोलेंगे जुबां,तुम सितम और करो,टूटा नहीं दिल ये अभी,वो तेरे प्यार का गम,इक बहाना था सनम
    आदि-आदि.

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  9. बे -इन्तहा गाया है यह गीत लड़कपन में ,किशोरावस्था के वायुवीय प्रेम में -वायदे भुलादें ,कसम तोड़ दें वो ,हालत पे अपनी हमें छोड़ दें वो ,ऐसे जहां से क्यों हम दिल लगाएं .कोई उनसे कह दे ....पर भूला कुछ भी नहीं प्रथम प्रेम हिमोग्लोबिन बन गया .

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  10. दामन में लिए बैठाया हूँ टूटे हुए तारे ,
    कब तक मैं जियूँगा यूं ही खाबों के सहारे ,
    संभला हूँ मैं गिर गिरके मुझे फिर न गिराओ ,
    हिंदी -अंग्रेजी में क्या रखा है मकसद तो प्यार है हौसला अफजाई है .शुक्रिया भाई साहब .

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  11. बरसों बाद ये गलज सुनी.कमेन्ट लिखा क्या अपने जज्बात उड़ेल दिए थे और मरा कमेन्ट गायब हो गया.हा हा हा .कोई बात नही.फिर से लिखती हूँ.
    इस गज़ल को स्कूल के स्टेज पर बहुत गाती थी मैं आँखे बंद करके.
    और कहीं आवाज नही कांपती थी मेरी.बचपन की वो इंदु आ कर खड़ी हो गई सामने.जो बहुत जिंदादिल,शरारती और अपने टीचर्स की लाडली थी.
    हर शनिवार को बाल सभा में जरूर गाती थी.खास कर मुकेश जी के गाने.'
    यह गज़ल मेरी दिल के बहुत करीब रही है.मुकेशजी को लोगो ने एकदम भुला दिया है. आपने 'यादे' ताजा कर दी 'यादें' में.

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  12. मेरी यादों में, आप सब ने,अपनी भूली हुई यादों को भी पाया,सराह
    और सुकून भी पाया| आप सब के सुकून में से, मुझे मेरे हिस्से का
    प्यार,सुकून और खुशी मिली ....!
    आप सब का आभार !
    खुश और स्वस्थ रहें |

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  13. गाना सुना । धन्यवाद ।"" हालत पे अपनी हमे छोड दें वो।"" छोड ही दिया है सर जी

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  14. ओये होए .......
    मजा आ गया सुन .....
    पापा इस गीत को खूब गाया करते थे ....
    शुक्रिया .......!!


    दराल जी ओये होए आप भी ......????
    कौन थी वो ....:)))

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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