शौक से लीजिए जी .....इश्क के इम्तहाँ...
"कभी कभी ऐसे भी गुन-गुना लेना चाहिए
हो मौसम सुहाना तो मुस्करा लेना चाहिए"
यादें .... आज आप को सुनवाता हूँ....
अपने.... (और मेरे) समय का एक खूबसूरत चुल-बुला गीत
जो अपनी मद-होश ,मस्त आवाज़ में गाया है!
आशा जी ने|
और जिसको सिनेमा के पर्दे पर साकार किया है ...
अपने समय की सबसे खूबसूरत ,शोख और चंचल
अदाकारा मधुबाला जी ने...
इस गीत में मधुबाला जी ने जिस खूबसूरती से अपनी
मदमस्त आँखों से और अपनी दिलकश मुस्कान से अपने
चाहने वालों को बैठने और इश्क का इम्तहाँ लेने का
न्योता दिया है ....वो बस देखने और सुनने से ही तआल्लुक़
रखता है ....तो आप भी देखिए,सुनिए और कुछ देर के लिए
खो जाइये अपनी गुज़री सुहानी यादों में .....
फिल्म: हावड़ा ब्रिज
वर्ष: १९५८
संगीतकार : औ.पी.नैयर
गीतकार: कमर जलालाबादी
आवाज़ : आशा जी
सह:कलाकार : अशोक कुमार ,के एन सिंह आदि
ओह! यार चाचू आपकी मस्ती का भी जबाब नही.
ReplyDeleteक्या क्या दूंढ कर ले आते हैं.
बहुत सुंदर गाना है ....
ReplyDeleteबहुत ही मनप्यारा गाना सुनाया आपने।
ReplyDeleteवाह ! मस्ती आ गई !
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
सचमुच..मस्त..
ReplyDeleteसादर...
दिल खुश कर दिया. आभार.
ReplyDeleteप्यारा गीत!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति!
बहुत सुन्दर और प्यारी गीत है! आनंद आ गया!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
शुक्रिया...शुक्रिया...शुक्रिया...ये मेरे बहुत ही पसंदीदा गीतों में से एक है...इसमें मधुबाला की अदा...उफ़...कातिलाना है कातिलाना...ऐसी अदा कारी अब कौन दिखता है....
ReplyDeleteनीरज
.इसमें मधुबाला की अदा...उफ़...कातिलाना है कातिलाना...ऐसी अदा कारी अब कौन दिखता है..
ReplyDeleteओये होए ! नीरज जी इसलिए तो आपके ब्लॉग पे बाला जी की तसवीरें लगी हैं ....:))
आइए....मेहरबां ,बैठिए जाने-जां....
शौक से लीजिए जी ..इश्क के इम्तहाँ...
मज़ा आ गया .....
पर आज के दिन मैंने सोचा था आपके ब्लॉग पे
ReplyDeleteजरुर भूपेन हजारिका का कोई गीत सुनने को मिलेगा ....
आपको तो पता ही होगा वो अब हमारे बीच नहीं रहे ....
bahut sunder geet
ReplyDeleteaabhar
मधुबाला और ये शोख चंचल मस्ती भरे गीत ... दिन बन गया आज अशोक जी ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति,आभार !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
अशोक जी,ये मूवी १९६५ में मैंने ७ बार देखी थी सिर्फ इसी गाने के
ReplyDeleteकारण,....मेरे नए पोस्ट में स्वागत है...
पसंदीदा गाने में से एक है। आभार।
ReplyDeletewah shandar geet sunane ke lie dhanyvad...
ReplyDeleteगीत आप सब ने पसंद किया ,आप का दिल बहला ,अच्छा लगा ...!
ReplyDeleteआप सब खुश और स्वस्थ रहें !
आज भी मदमस्त कर देनेवाला गीत है यह.
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