या मुझको मेरी औकात बता दो
या मुझसे मेरे असूल छीन लो...
-अकेला
आ अब लौट चलें ......
छोड़ फेसबुक की झूठी रंगीन, फ़रेबी,दुनिया से......... अपने ब्लोगर की आभासी दुनिया में ,...
जहाँ थम्स अप का अंगूठा नही, चापलूसी की टिप्पणी नही दिल से निकले प्यारे अल्फाजों की पुकार है दुलार है और समझाने के लिए प्यार से भरी फटकार भी है....सब अपने हैं न... बस इसी लिए, अपने आभासी परिवार के दुःख सुख के साथी...
आ अब लौट चलें ......
इन सालों में...... कभी कभी बड़ा दिल दुखाया है ...फेसबुक के नकली चेहरों ने, उपर से शहद और नीचे मवाद भरा है , इनकी सोच में , दिखाते कुछ है ,होते कुछ हैं , लिखते कुछ हैं , बोलते कुछ हैं ...उफ़ गन्दी सोच, गन्दी मानसिकता, गंदे बोल....न मैं लिख सकता हूँ , न बता सकता हूँ और न ही सोच सकता हूँ ....अगर आप ने मेसज बॉक्स में इनकी हेल्लो का प्यार से जवाब दे दिया ....तो फिर ये vedio call करेंगे ....पुलिंग....या ...? कोई फर्क नही पड़ता .....
इन जैसों की सोच में ...फ़र्क तो अच्छों को पड़ता है ..और पड़ रह है ......बस !
आ अब लौट चलें ......
यहाँ तो किसी पड़े लिखे लेखक की ज़रुरत है ,,,जो अपने लफ्ज़ो की चासनी से आप को इस ज़हर का एक घूँट पिला सके.. न न न बस ज़रा सा चखा सके, ज़हर तो ज़हर है , उस से ज्यादा तो आप भी हज़म नही कर पायेगे.....
मेरी समझ से बाहर है...न तो मैं पड़ा लिखा, न कोई लिखने की समझ, न शब्दों का भण्डार , बड़ी मुश्किल से दस क्लास पास की ,, वो भी कहने को ....पर गलत बात, गलत सोच से तो दिल मेरा भी हर किसी अच्छे इंसान की तरह दुखता है ....हमने वो जमाना देखा ही नही .... मन लुभाने को साफ़ सुथरी फ़िल्में , साफ़ सुथरे गीत पढने को अच्छे लेखक .अच्छी कहानियाँ, आपस का भाई चारा ,बड़ों की इज्ज़त .छोटों को स्नेह सब इकट्ठे कोई लुक्का छिप्पी नही ,लुक्का छिप्पी का खेल ज़रूर होता था......बस वो ही संस्कार मिले हम को ....
न जी न मैं किसी पर लांछन नही लगा रहा ,..न ही मैं इस काबिल ....कमियां ही कमियां है मुझमें भी ..हर इंसान में होती है, वर्ना हम तो भगवान् होते .....अभी भी अच्छे ,सच्चे लोगो से दुनिया भरी पड़ी है, आज की पीढ़ी भी लाजवाब है ....
चंद लोग तो बुरे हर सदी में हुए हैं .और होते रहेगे ..जैसे चाँद में दाग....तो इससे चाँद की कीमत कम थोड़ी हो जायेगी... दाग़ तो अच्छे लोगों के लिए नज़र पट्टू है ....ऐसे हमारे बुजुर्ग कहते थे ..वो ही मैं कह रहा हूँ
जो सीखोगे वोही तो बोलोगे .....बस इसी लिए ...फिर भी अगर मेरी कड़वी बातों से किसी का भी दिल दुखा हो तो
मैं दोनों हाथ जोड़ माफ़ी मांगता हूँ|||
बस! एक बात मान ले मेरी, विनती है...ब्लॉग के भाइयों से, बेटों से, बेटियों से, बहनों से ...चाहे जो रिश्ता बनाएं ...
आ अब लौट चलें ......
खुश रहें,स्वस्थ रहें ....
--अकेला