अशोक "अकेला" |
.................कभी कभी मन इतना उदास होता है | की कुछ कहने सुनने का
मन नही करता || बस चुप और सिर्फ चुप ! एक चुप्पी सी अच्छी लगती है |
और वो दिन शायद आज का दिन है |
बस में और मेरा तन्हा दिल |
ये न सोचा था कभी
ऐसे दिन भी आएँग
होंगे जब हम मुश्किल में
छोड़ चले सब जायेगे
जब याद तुम्हारी आएगी
हम गीत जफ़ा के गायेगे
भूले भटको कभी अनजानी
सी राहों पे तुम
तब याद तुम्हें हम आयेगे
गर पड़े जरूरत कभी हमारी
मुड के देखना खड़े नजर हम आयेगे
यूँ ही कट जायेगे ये दिन भी देखना,
लौट के फिर, अच्छे दिन भी आयेगे |
अशोक"अकेला"
...................मिलते हैं !किसी अगले जिन्दगी के मोड पर.............
तब तक खुश और सेहतमंद रहिये |
मन नही करता || बस चुप और सिर्फ चुप ! एक चुप्पी सी अच्छी लगती है |
और वो दिन शायद आज का दिन है |
बस में और मेरा तन्हा दिल |
ये न सोचा था कभी
ऐसे दिन भी आएँग
होंगे जब हम मुश्किल में
छोड़ चले सब जायेगे
जब याद तुम्हारी आएगी
हम गीत जफ़ा के गायेगे
भूले भटको कभी अनजानी
सी राहों पे तुम
तब याद तुम्हें हम आयेगे
गर पड़े जरूरत कभी हमारी
मुड के देखना खड़े नजर हम आयेगे
यूँ ही कट जायेगे ये दिन भी देखना,
लौट के फिर, अच्छे दिन भी आयेगे |
अशोक"अकेला"
...................मिलते हैं !किसी अगले जिन्दगी के मोड पर.............
तब तक खुश और सेहतमंद रहिये |
वाह ! अशोक जी,
ReplyDeleteइस कविता का तो जवाब नहीं !
विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !
आभार!