Saturday, January 15, 2011

नमस्कार..........................स्वीकार करें ............अंकल अशोक "अकेला" का |

माघ का महीना शुरू .............मकर सक्रांति मना ली होगी आप सब ने ?
गंगा मैं डुबकी लगा के ,पापों का बोझ कम कर लिया होगा ? येह माघ का महीना
ही पापों को खत्म करने के लिए और अच्छे काम आरंभ करने के लिए होता है |
और बाकि के महीने बुरे कामो के लिए और पाप इकठा करने के लिए क्या ?

येह मैं नही केह रहा और न ही मेरें पास इतना तीव्र बुधि वाला दिमाग है | जो ऐसे
उच्च विचारों को पैदा कर सके | येह तो आज सुबह की किसी अखबार में किसी बड़े,
ऊँची पहुच वाले (भगवान के साथ ) पंडित जी के उच्च विचार पड़े ,तो पता लगा कि
माघ का महीना सब महीनों से अलग क्यों है |

अब न तो मैं किसी पे इस पर कोई टिपणी कर सकता हूँ और न ही मैं अपने को
इसके काबिल समझता हूँ , यकीनन काबिल ही नही हूँ | अपने तो मोटे और अनपड़
दिमाग मैं एक ही खुजली होती है कि अपने पास कुछ भी इतना जमा ही क्यों करें
कि फिर उसको घटाने की या उसे सम्भालने की चिंता मैं दुबला होना पड़े |

और बाकि की जिन्दगी को डरे डरे या सहमें सहमें रेहना या जीना पड़े |
अपना तो एक ही फंडा रहा है अपनी सारी जिन्दगी मैं ,और अभी भी है..............

कितना भला कहा है ........किसी भले आदमी ने ...................?
इधर मंदिर ,उधर मस्जिद 
इधर गुरुद्वारा ,उधर गिरजा 
है सब का एक ही दर
तू चाहे इधर गिरजा या उघर गिरजा |
|
शायद मुझे अपनी जिन्दगी का माहोल ही ऐसा मिला, जिसमें मुझे इन सारी
चीजों को सोचने समझने या करने का वक्त ही नही मिला ?  आप जो भी कर
रहे हो ,अपनी पूरी मेहनत,और ईमानदारी से करो बस ?

हर इन्सान का देखने का नजरिया अपना ,सोचने की शक्ति अपनी
हर चीज के पहलू दो ,अच्छा ,बुरा ,सच्चा ,झूठा ,नेकी बदी उंच,नीच
और पाप ,पुण्य वगेहरा-वगेहरा,आदि आदि............................


  • कोई भी काम ,कभी भी नुकसान सोच के नही किया जाता !पर नुकसान भी होता है |
  • कोई भी दुखी नही होना चाहता ,पर होता है 
  • कोई भी बईमान  बनना नही चाहता ,पर बन जाता है
  • कोई भी पापी नही बनना चाहता ,पर बनता है |
  • कोई बुरा  काम नही करना चाहता ,पर करता है|
  • कोई झूठ नही बोलना चाहता ,पर बोलता है|
  • कोई शैतान नही होता ,पर बन जाता है |
  • कोई चोर डाकू नही होता ,पर बन जाता है |
  • कोई किसी को मारना नही चाहता ,पर मारता है |
  • कोई क्रोध करना नही चाहता ,पर करता है |
  • कोई किसी को दुःख नही देना चाहता ,पर देता है || 

येह अंतहीन जिन्दगी के  सच हैं ...
ओर आखिर मैं... कौन मरना चाहता है?.. पर मरते है सब |
और जब तक पैदा होते रहेगें ,मरते रहेंगे ,यही सृष्टि का अटल
नियम है ...जो आएगा सो जायेगा ...
फसलें रोपी जायेगी ,काटी जाएँगी ...रोपी जाएँगी ...काटी जाएँगी ...

सो भैया अपनी पूरी कोशिश एक इन्सान बनने  मैं करो न कि भगवान बनने मैं जो कि आप बन ही नही सकते ...अगर आप भगवान बन गए तो बेचारे भगवान का क्या होगा? सो इन्सान बनना ही बेहतर है | अच्छा बुरा तो ये दूसरों पर छोड़ दो ,क्योकि इन्सान कुछ करेगा तो गलतियाँ तो करेगा ही अब किसी को किया अच्छा लगा किया बुरा ,कोई खुश हुआ ,कोई दुखी ,बस अपना काम मेहनत और ईमानदारी से करते रहो ,येह तो एक इन्सान कर ही सकता है |
पर गलतियाँ तो होंगीं ही ...क्यों कि इन्सान गल्ती का पुतला जो है ...

भटक गए अंकल आज तो ... | तो आज कि भूल-चूक माफ !
क्यों कि भगवान सब देख रहा है ...तेरी नेकी बदी,नही उससे छुपी ...
तो फिर काहे का डर तो नीचे सुनिए रफी साहेब को वो भी यही केह रहें हैं ...



...अगले किसी मोड पर मिलने तक खुश और सेहतमंद रहें ||

आप का अपना अंकल अशोक "अकेला"

No comments:

Post a Comment

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...