Monday, January 24, 2011

"नसीहत"


                 जो
हम जिन्दगी भर दूसरों को देना चाहते हैं
 बदले मैं दूसरों से कभी भी लेना नहीं चाहते ||

पर मैं आप को कोई नसीहत नही कर रहा,और न ही आप का मूड
खराब करने  का कोई मेरा मूड है |
किन्ही शायरों ने बड़ी नफासत से कहें हें ये चंद शेर :-
जो मैं यहाँ आप की नजर कर रहा हूँ |
..........तो पेश हैं ...........

आप ख़ुद ही सोचिये मैं हूं उनेहे कितना अज़ीज़ ,
वो खुदा को छोड़ ,मेरी कसम खाने लगे          - अज्ञात
.
ऐ शमां तुझ पे रात यह भारी है जिस तरह,
मैंने तमाम उमर गुज़री है इस तरह .           - अज्ञात

तुमाहरे देखने से लोग मुझ कों जान जाते हैं
मैं वो खोई चीज़ हूँ ,जिसका पता तुम हो.        - अज्ञात

छोटी छोटी बातें कर के,कैसे बड़े हो जाओगे
पतली गली से निकलोगे तो बड़ी सड़क पर आओगे.| - अज्ञात 

पास से गुजर गए ,और मेरा हाल तक न पूच्छा,
वो दूर जा के रोये ,मैं कैसे यकीन कर लूँ.         - अज्ञात

और इसके साथ-साथ मैं आप को सुनवाने के लिए आज अहेमद हुसैन .मोहम्द हुसैन भाइयों की
गाई एक खुबसूरत गज़ल उनके गुलदस्ते से चुन कर लाया हूँ |
तो सुनिए और लुत्फ़ उठाइएगा उनकी दिलकश और मीठी आवाज का ....................
तब तक अगले किसी मोड पर मिलने के लिए ...विदा...........
खूब खुश,और सेहतमंद रहें .........तो सुनिए .....
अजनबी शेहर के अजनबी रास्ते ,मेरी तन्हाई पे मुस्कराते रहे...............................




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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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