नमस्कार.....................................
आज थोड़ी शेरो-शायरी हो जाये | क्या ख्याल है आप सब का ?
हो जाये फिर ?
तो पेश आप की नजर चंद शेर ........................
उम्मीद करता हूँ आप को भी पसंद आयेगें|
यकीनन येह मेरी पसंद तो है ही !
तो पेश हैं .........................
शमां बुझ गई तो महफिल में रंग आया
जब मौत करीब आई तो जीने का ढ़गं आया ( अज्ञात)
तेरी इस बेवाफाई पर फिद़ा होती हे जाऩ मेरी
खु़दा जाने अगर तुझ में वफा़ होती तो क्या होता॥ "ज़फर
जीना भी एक बहुत बडा जुर्म है आखिर
शायद इसी लिये हर शख्स को स़जाए मौत मिलती है| ( अज्ञात )
दम निकलते ही हुआ बोझ,सभी को मालूम
जल्द ले जाऔ,अब इस ढेर में क्या रखा है
( अज्ञात
येह तो नही, कि मुझ को कोई और काम था
येह भी नही, कि मेरा इरादा बदल गया
तेरे ख्यालौं में, डूबा हुआ था मैं इतना
तेरे ही घर के सामने से हो कर निकल गया॥
( अज्ञात )
मोड पर ...............तब तक खुश और स्वस्थ रहिये .................................................................
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ओ ईतना हमे ईतराके देख रहे थे कि हमे होश न रहा | दिल चुराके ले गऐ तो हमे पता ना चला
ReplyDeleteहमे तो अपनोने लुटा| गैरो मे कहा दम था| मरी किस्ती थी ङुबी जहा वहा पाणी कभ था|
ReplyDeleteमरा नाम चेतन है| मै आप लोगो ऐक सुवीचार देता हु|
ReplyDeleteएक अच्छा विचार अनक गलत विचारोको गष्ठ करता है |