कैसे भूल जाऊं तेरी यादो को,
जिन्हे याद करने से तू याद आए॥
Sunday, February 20, 2011
मेरे ऐहसास ...
लाख दफे सोचा ,मैं न कभी उससे बात करूँ इक दफा सोचा ,बद से बदतर क्यों हालात करूँ ||
| न हुआ कभी, वो मुझ से खुश न रख सका, मैं उसको राजी, पूरी वफा से, की थी कोशिश फिर भी मैं, हारा हर बाजी||अशोक"अकेला
हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसके आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । शुभकामनाओं सहित... http://najariya.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html
सुशील जी , नमस्कार | आप कि नजर मुझ नाचीज पर पड़ी ,इसके लिए अपने भाग्य का शुक्रिया करता हूँ |आप से बहुत कुछ सीखना है मुझे |और आप मुझे आगे बदने का रास्ता सुझाये गें| मुझे पूरी आशा है | धन्यवाद | अशोक सलूजा
बहुत उत्तम...
ReplyDeleteहिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसके आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । शुभकामनाओं सहित...
http://najariya.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html
सुशील जी , नमस्कार |
ReplyDeleteआप कि नजर मुझ नाचीज पर पड़ी ,इसके लिए अपने भाग्य का शुक्रिया करता हूँ |आप से बहुत कुछ सीखना है मुझे |और आप मुझे आगे बदने
का रास्ता सुझाये गें| मुझे पूरी आशा है |
धन्यवाद |
अशोक सलूजा