Saturday, February 26, 2011

प्यार कर...बस प्यार कर ...












       प्यार
प्यार मिलता है प्यार से
मिलता नही ,वार के तलवार से
प्यार लेना है, तो प्यार कर
प्यार से प्यार, का इज़हार कर
प्यार कुछ मांगे, तो प्यार से
इकरार कर ,
प्यार दे के ,न लेने का इंतज़ार कर
मिलेगा तुझ को भी, इक दिन
बहुत सारा प्यार
तू थोडा सा मेरा, एतबार कर
तू प्यार कर ,बस प्यार कर || अशोक "अकेला"

4 comments:

  1. .

    आज इस रचना में वो पढने कों मिला जो विचार हमेशा मेरे मन में विचार ते हैं । जो भावना हमें मनुष्य बनाए रखती है वो है प्यार की । अगर प्यार की भावना बलवती होती है है तो पोर्वग्रह और द्वेष जैसी भावनाएं दूर रहती हैं।

    Thanks for this beautiful and inspiring creation .

    regards,

    .

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  2. अना जी,
    नमस्कार और धन्यवाद पर...

    दिव्या जी ,नमस्कार आप को भी पर...
    आप की बेबाक और निडर लेखनी का कायल हूँ मैं इस लिए कृपया मुझे अच्छी टिप्पणी की बजाय अच्छे सुझाव दें|अज्ञानी हूँ |अभी सिर्फ सुझाव के काबिल हूँ |
    बस ऐसे ही निडर और बेबाकी से लिखती जाएँ |
    आप सब खुश और स्वस्थ रहें |

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  3. ये बातें देखने में बहुत अच्‍छी लगती हैा पर कोई इन बातों को अच्‍छी तरह अपने अंदर गहराइ तक नही सोचाता है जो सोचता हैं पर उस के विचारो् का अच्‍छा विचार मिलना सम्‍भव नही है ा

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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