मेरी यादों के... गुलदस्ते से एक सदाबहार महकता फूल ...
..आज मैं खोज़ के लाया हूँ ,एक three-in- one
..आज मैं खोज़ के लाया हूँ ,एक three-in- one
flavored ice cream cone , जिसे पा कर आप का मन...खुशी, गम् और
दर्द तीनों का एहसास करेगा |
ये आशा भोंसले जी की आवाज में है ,पर इसका वीडियो पाने में ,मैं
असमर्थ रहा | पर मेरा आप से वादा है कि इसे सुन कर आप को
कोई मायूसी नही होगी | सोने से पहले ,आँखे मूंद कर एक शांत
माहौल में सुनें | ये आप को आप के अतीत की यादों में ले जायेगा ,
और मेरा ...मानना है कि अतीत कि यादें हमेशा सुकूं देती है |
चाहे उन यादों में दर्द का समावेश ही, क्यों न हो|
पर एहसासों को महसूस करने कि जरूरत तो है ही...
तो सुनिये ...फिर गिला-शिकवा बाद में सही ...
फिल्म : लाइट हाउस-१९५८
फिल्म : ठोकर - १९५३
(अगर आप को ...अच्छा लगे तो मैं इसका आडियो फाइल आप को ई-मेल
कर सकता हूँ ) अशोक सलूजा
सच में सुकून देने वाला गीत है.... मन का दर्द कहाँ कोई समझ पाता है.....?
ReplyDeleteबहुत आभर सुनवाने का.
ReplyDeleteगहरा गीत।
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाला गीत। धन्यवाद।
ReplyDeleteमुझे जरूर मेल कर दें इसका आडिओ फाईल । धन्यवाद।
ReplyDeleteमन को सूकून पहुचाने वाला गीत, सुनवाने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteआडियो फाईल के मेल की प्रतिक्षा है. धन्यवाद सहित...
ReplyDeleteशुक्रिया भाई साहब दर्द से साक्षात्कार करवाने के लिए .अपना सा लगा .
ReplyDeleteसचमुच मेहनत से की गई खोज है ।
ReplyDeleteयह गाना पहले कभी नहीं सुना अशोक जी ।
आभार इस के लिए ।
पहली बार सुना। बहुत पसंद आया ये गीत...
ReplyDelete@ मोनिका जी,
ReplyDelete@ समीर भाई जी
@ प्रवीण जी,
आप सब को मेरा परोसा गीत अच्छा लगा ,ये जान कर मुझे भी
अच्छा लगा |
आप का आभार !
@ निर्मला जी , आप के कहे अनुसार ऑडियो भेज दिया है|
ReplyDelete@ दीपक जी, आप की पसंद के लिये, शुक्रिया!
@ बाकलीवाल जी, आप का ई -मेल नही है ,आप सुझाये कैसे ...
@ श्रीवास्तवा जी,
ReplyDelete@ डॉ.दराल जी ,
@ डॉ.दिव्या जी ,
आप सब को गीत पसंद आया ,मेरी पसंद आप को पसंद आई |
आप सब का आभार |
वीरू भाई , आप को गीत अपना सा लगा,मुझे आप अपने से लगे!
ReplyDeleteशुक्रिया!
इस गीत में अपने आपको तलाशना अच्छा लगा
ReplyDeleteआभार
behtaren geet...
ReplyDeleteआभर सुनवाने का....
ReplyDelete@ रचना जी ,
ReplyDelete@ शेखर सुमन जी,
@ दिगम्बर नासवा जी,
मेरी पसंद का गीत सुनने के लिये
आप सबका आभार !
बहुत ही प्यारा,मधुर गीत
ReplyDeleteदादा आभार आपका !आप भी दर्दीले गीतों का सिलसिला ज़ारी रखिये -जो मैं जानती बिछड़त हैं सैंया घुंघटा में आग लगा देती .सोनिया जी के खिलाफ मोर्चा खुला मिलेगा .
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आप यूं ही अगर हमसे मिलते रहे देखी एक दिन प्यार हो जायेगा .
ReplyDeleteअब क्या मिसाल दूं मैं तुम्हारे शबाब की ,इंसान बन गई है किरण माहताब की .शुक्रिया .
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गीत पेश किया आपने,सही लिखा है तीनो एहसास है गीत में!!
ReplyDeleteदर्द का अहसास कराते रहिये यार चाचू ,यूँ ही गीत सुनते रहिये और सुनाते रहिये.आखिर दर्द ही तो दवा है दर्द की.
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