मान लो मेरी बात !!!
मैं पिछले कुछ दिनों से आप सबसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा था ....और आज वो
कोशिश करने जा रहा हूँ ...आप तो लेखक हैं,कवि हैं ,शायर हैं कहानीकार हैं ,साहित्यकार हैं
और कुछ पत्रकार भी हैं |आप सबको लोग पढ़ना चाहते हैं ,समझना चाहते हैं और आप
से कुछ न कुछ सीखना चाहते हैं |इस लिए आप सब लिखते हैं और लोगो को सुकून
पहुँचाने का एक कारण भी बनते है... जो बहुत सबाब का काम है |
एक मैं हूँ ,या कुछ मेरे जैसे ....जो अपने तजुर्बों को बता तो सकते हैं ,पर
समझा नही सकते ,अज्ञान के कारण... हम अच्छा लिख नही सकते|
अच्छा लिख नही सकते... तो बुरा पढेगा कौन ?जो हम जानते हैं ,जो हम महसूस
करते हैं ,वो एहसास हम आपको लिख कर,महसूस नही करा सकते .....
सिर्फ इस लिए कि आप जैसा .. हम में कोई भी नही, इस तरह दिल की,बात
दिल में रह कर, दिल का बोझ बन... दिल को बीमार कर देती है |
दिल को बहलाने के लिए ...कभी अकेले में रो दीये या उसे समझाने ,कुछ कहने
या बात करने के बहाने ,कुछ भी ऐसा-वैसा ,जैसा-तैसा लिखने का हौंसला कर बैठते हैं |
वो भी सब इसलिए ,,कि आज कमप्यूटर की दुनियां में ये सब सम्भव हो गया है|
वरना इससे पहले तो कई इस दिल के बोझ में दब कर फ़ना हो चुके हैं |
ये खुशकिस्मती है ,मुझ जैसे लोगो की ,जो आप की बसाई ,ब्लॉग की इस आभासी
दुनियां में ,आप जैसे महानुभावों से रूबरू होने का मौका मिल गया | यहाँ आकर
बहुत अच्छा लगा ,दिल को सुकून मिला ,जो चाह वो लिखा ...दिल के बोझ
को हल्का किया और आप लोगो से बहुत कुछ सीखने को मिला |
कुछ नए दोस्त बने ,कुछ हमदर्द मिले और कुछ नए आभासी रिश्ते भी बने |
अपने पास खोने को कुछ था ही नही ,सो मैंने पाया ही पाया और सब अच्छा ही
पाया |इससे अच्छा सौदा क्या हो सकता था ,जो मैंने किया .......
यहाँ सब तरह के लिखने वाले हैं |एक से बढ़ कर एक ,कोई दिल से लिखता है ,
कोई दिल के लिए लिखता है और कोई दिल वालो के लिए लिखता है ...लिखें ,
खूब लिखें ,जी भर के लिखें ...आप को लोग पढ़ेगें ,समझेगे ,सराहेंगे, सुकून पाएंगे
और हम जैसे कुछ नया सीखेंगे |
पर पिछले कुछ दिनों से लग रहा है कि हमारी इस प्यार भरी ब्लॉग की दुनियां को
किसी की नज़र लग गई है !तरह-तरह टिप्पणी के रूप में ..एक दूसरे पर कीचड़
उछाला जा रहा है ...जिसके छींटे सब पर पड़ रहें हैं ...बे -वजह ...ये सब तो हमारी
बाहर की दुनियां में होता है | सारी जिन्दगी हम सब झेलते हैं इसको .....मैं तो सिर्फ
इसी लिए इस उम्र में बाहर की दुनियां से निकल कर आप की प्यार भरी दुनियां में
दाखिल हुआ ....तकलीफ हो रही है ये सब देख सुन और पढ़ कर ...कोई उपदेश नही ,
आप सब पढे-लिखे बुद्धिमान लोग हैं ....सिर्फ उम्र के नाते एक सलाह ....ताली दो
हाथ से बजती है ....आप सब ताली के लिए अपना हाथ आगे मत कीजिये ...बस !
शांत हो जाइए और पहले की तरह सिर्फ ज्ञान और प्यार बांटिये .........
मैं आप सबसे एक प्रार्थना करना चाहता हूँ |कृपया! आप को किसी का लेखन अच्छा
लगा है तो , टिप्पणी करें,उसे प्रोत्साहित करें और... अच्छे के लिए... अच्छा सुझाव दें|
अगर आप को लिखा नही भाया तो टीका-टिप्पणी से बचें ,सयंम बरते ,पढे या न पढे,
बस चुप-चाप वहाँ से निकल लें| आप का टिप्पणी न करना भी आप की नापसंदगी
ज़ाहिर करेगा |और आप... पर-निंदा से भी अपने आप को बचा लेंगे |
यहाँ मैं अपने बारे में ये साफ़ करना चाहूँगा ...कि मैं आप का लेख पढ़ कर कई बार
बिना टिप्पणी वापस इस लिए आ जाता हूँ कि ..मैं उसमे कठिन और गुढ़ शब्दों का
मतलब समझ नही पाता ..बिने समझे टिप्पणी करने से अर्थ का अनर्थ भी निकल जाता है
कृपया मेरी बात को समझे ....आप के शब्दों में (अन्यथा न लें)..........
हाँ ! गर् हो सके तो हमें भी कुछ ऐसा लिखने से बचना चाहिए ,जिससे वो लिखा... आप
पढे-लिखों में बहस का कारण बन जाये,और फिर उत्तर-प्रत्युत्तर का युद्ध छिड़ जाये |
कुछ अच्छे के लिए ,अच्छी बहस का होना भी जरूरी है ,,,ताकि उसमे से कुछ अच्छा
निकल सके | इसके लिए आपसी सहमति का होना ज्यादा जरूरी है ??????
किसी के धर्म के बारे में... तो लिखने से जितना बच सकें बचे .....अपने धर्म के बारे में
हम सब बेहद संवेदनशील हैं ,और होना भी चाहिए ,न इससे... किसी इंसान
के अच्छे-बुरे की तुलना करें |धर्म सब अच्छे हैं ,सब प्यार-भाईचारे का सन्देश देते हैं |
अच्छे-बुरे तो हम इंसान हैं ,जो धर्म की आड़ में एक दूसरे पर कीचड उछाल कर ,हर
धर्म का अपमान और एक-दूजे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते है |
हम सिर्फ इंसान हैं ...हर इंसान गलतियों का पुतला है ....हम से गलती भी होगी और
हम अपनी गलतियों का पश्चाताप भी करेंगे और एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश ......|
मेरे इस लेख में भी बहुत गलतियाँ होंगी ....कृपया उसे सुधार कर पढ़ लें .....पर
नीयत मेरी बिल्कुल गलत नही ....किसी के अहम को चोट पहुँचाने का इरादा नही .....|
आप सब मुझे से बहुत समझदार और पढे-लिखे है और मैं मूर्ख,अज्ञानी .........
दो -चार घड़ी मिली हैं ,जीने के लिए
उम्र सारी पड़ी है ,अभी मरने के लिए ......
आप सब बहुत खुश और स्वस्थ रहें |
अशोक सलूजा |
कौन सुनेगा, किसको सुनाउ, इसलिए चुप रहते है, सही कहा न सर जी...
ReplyDeleteआपने अपने अनुभवों से कितने प्यार से कितनी अच्छी सीख दी .... सादर
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख लिखा है आपने । आप जैसे संवेदनशील लोगोँ के कारण ब्लाग जगत खुशहाल रहता है । एक शेर पेशेखिदमत है - इंसानोँ की बस्ती मेँ इंसान मिले तो रुक लेता हूँ , यहाँ सब आदमी ढूँढने मेँ लगे हैँ ।
ReplyDeleteप्यार भरी सुंदर सीख, बहुत बढ़िया प्रस्तुति, अशोक जी,बधाई
ReplyDeleteMY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
aapne yaad dilaya aabhar aapke dvara sujhye raaste par chalne ki koshish avashya karungi .mere blog ki nai post par svagat hae .aabhar.
ReplyDeleteये सुझाव... आप के या किसी एक के लिए नही!
ReplyDeleteआपसी प्यार में... योगदान के लिए..ये प्रार्थना हम सब के लिए है !!!
आभार आपका !
अशोक जी , ब्लोगिंग में ये बातें नई नहीं हैं . लेकिन एक बुजुर्ग के रूप में आपने बहुत सही कहा है . आशा है लोग इन बातों को मानेंगे और कुछ सार्थक ब्लोगिंग ही करेंगे .
ReplyDeleteआभार ....कम शब्दों और प्यार में आपने बहुत कुछ समझा दिया...हम सबको ..
ReplyDeleteअशोकजी, आपकी सोच बहुत अच्छी है. खुशकिस्मत हैं वो लोग, जिनको आपके संपर्क में आने का मौका मिला.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!
शान्ति पसर जाये धीरे से।
ReplyDeleteआपकी बात मान ली जी,यार चाचू.
ReplyDeleteआप बुजर्गों की बाते मानने से हमारा उद्धार हो जाएगा.
ज़िन्दगी प्यार की दो चार घडी होतीं हैं ,चाहे थोड़ी ही सही ये उम्र बड़ी होती है ...सहमत आपसे .अगर फेंटेसी को भी आग लग जायेगी तो आगे क्या होगा .यह आभासी दुनिया एक फेंटेसी ही तो है खुद को भ्रम में रखे रहने की .ज़िंदा रहने की एक तरकीब है .आभार आपने इस ब्लोगिया बेहूदगी की ओर सबका ध्यान दिलाया जो इन दिनों शिखर पर है .
ReplyDelete.अपने धर्म के बारे में
ReplyDeleteहम सब बेहद संवेदनशील हैं ,और होना भी चाहिए ,न इससे... किसी इंसान
के अच्छे-बुरे की तुलना करें |धर्म सब अच्छे हैं ,सब प्यार-भाईचारे का सन्देश देते हैं |
अच्छे-बुरे तो हम इंसान हैं ,जो धर्म की आड़ में एक दूसरे पर कीचड उछाल कर ,हर
धर्म का अपमान और एक-दूजे की भावनाओं को ठेस पहुंचाते है |
अनुकरणीय ,सार्थक बातें .... आभार ..
ReplyDeleteसार्थक सन्देश |
ReplyDeleteपिछले दिनों जो कुछ भी घटित हुआ है दुखद रहा |
नापसन्दी का सबसे बढ़िया तरीका -
बिना टिप्पणी किये खिसक लेना |
जरुरी नहीं की सब जगह टांग अड़ाई जाए |
बढ़िया विचार ||
बहुत बढ़िया लिखा है दद्दा , मगर यहाँ जिसे समझना चाहिए वे समझेंगे नहीं !
ReplyDeleteअथाह सागर है इन्टरनेट , लाखो मानसिकताएं अपनी अपनी समझ के हिसाब से खुशबू और बदबू बिखेर रहे हैं ! जिन्हें जैसा आनंद आता है वह वाही रहेगा ! आप अपनी शक्ति अपव्यय न करें ...
सादर प्रणाम !
भाई जी , मैंने तो सिर्फ आप का कहना माना है ...बाकि जग पर???
Deleteवे नफरत बाँटें इस जग में, हम प्यार लुटाने बैठे हैं !!
आभार आपका !
दो -चार घड़ी मिली हैं ,जीने के लिए
ReplyDeleteउम्र सारी पड़ी है ,अभी मरने के लिए ......
बड़ों की बातों में कितना वज़न होता है .......
बहुत आभार इन शुभ वचनों के लिए ...बहुत अच्छा लगा आपका आलेख पढ़ कर ....
शुभकामनायें ....!!
अशोक जी बहुत अच्छी बातें कही हैं आपने...वाह
ReplyDeleteनीरज
जैसे ब्लॉग पे सकारात्मकता ,पोजिटिव बातअशोक अकेला की सीख ज़रूर्री है ऐसे ही सेहत इस उम्र में ज़रूरी है ठीक रहे .जोगिंग न सही पैदल चलते रहिये ,सेहत मंद रहिये .
ReplyDeleteआपका कहना सच है पर जिसने जो करना है वो करेगा ... स्वभाव बदलना आसान नहीं होता ...
ReplyDeleteआपके सुझावों से पूरी तरह सहमत।
ReplyDeleteअनुभव के सागर से निकले मोती हैं आपके विचार।
शायद कइयों का उद्देश्य ही विवादित लेखन/टिप्पणी करना होता है.
ReplyDeleteराहुल जी ,शायद येही विचार ,,,हमें अपनों से भी जुदा कर देतें हैं |
Deletebadhiya aalekh aur mano-bhaavo ko ukerti virodhabhaad ki rachna... achha laga padh kar... Achhi tippaniyon ke sath sath bure vichaar ko sahaj sweekarna chahiye...
ReplyDeleteअभिषेक जी ... बुरे विचार नही ,,शायद आप का कहना है अच्छी या कुछ अच्छा
Deleteसमझाती हुई टिप्पणियो को स्वीकारना चाहिए ! आपके सुझाव का स्वागत है !
आभार!
आज तलक वो मद्धम स्वर
ReplyDeleteकुछ याद दिलाये कानों में
मीठी मीठी लोरी की धुन
आज भी आये, कानों में !
आज जब कभी नींद ना आये,कौन सुनाये मुझको गीत !
काश कहीं से मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !
भाई जी ,आप के गीत की धुन मैं ...सिर्फ महसूस कर सकता हूँ...
Deleteबाकि बिन सुने ...कुछ कहा न जाये ....
खुश रहें!
आप सब ने बहुत प्यार से ,मान -सम्मान से मेरी बात सुनी ,अपने
ReplyDeleteविचारों से अवगत कराया .....
आप सब का शुक्रिया !
खुश रहिये !
ReplyDelete♥
# करेंगे सो भरेंगे , तू क्यों भयो उदास … … …
प्रिय चाचू आदरणीय अशोक सलूजा जी
सादर चरण स्पर्श !
ऐसे पाक साफ़ इंसान से ही ऐसे आलेख की उम्मीद की जा सकती है …
आपने तटस्थ भाव से कह दिया सबको …
कोई माने तो ठीक , न माने तो ठीक … … …
पहुंचे हैं हम भी मन की गंदगी को तथाकथित कविता का जामा पहना कर बाज़ार में उतारने वालों/वालियों के यहां …
उनकी औकात परख कर लौट आए बिन कुछ कहे …
कभी ऐसे ठिकानों पर फिर कुछ ठीक पाया तो पीठ भी थपथपा आएंगे …
कम से कम वाह वाह ज़रूर कर देते हैं आपत्तिजनक और निंदनीय न हो तो …
आपके लिए परमपिता परमात्मा से हार्दिक शुभकामनाएं हैं !
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मैं आप सबसे एक प्रार्थना करना चाहता हूँ |कृपया! आप को किसी का लेखन अच्छा
ReplyDeleteलगा है तो , टिप्पणी करें,उसे प्रोत्साहित करें और... अच्छे के लिए... अच्छा सुझाव दें|
अगर आप को लिखा नही भाया तो टीका-टिप्पणी से बचें ,सयंम बरते ,पढे या न पढे,
बस चुप-चाप वहाँ से निकल लें| आप का टिप्पणी न करना भी आप की नापसंदगी
ज़ाहिर करेगा |
आपने बहुत सार्थक संदेश दिया है .... मन में आई बात सहजता से और सरलता से कही है ....पर बात यही है की सोते हुये को जगाया जा सकता है लेकिन जो जाग रहा हो उसे कैसे जगाएँ ?
कितनी सहजता से आपने इतनी अच्छी बात कही है ...आभार आपका
ReplyDelete