सफ़र जाने अभी कितना पड़ा है!!
आजकल पोस्टें इतनी भावुक और भारी-भरकम
पोस्ट हो रहीं हैं कि इनमे एक छोटे से ब्रेक की
जरूरत महसूस हो रही है | इस लिए आप के
वास्ते ये गज़ल ले कर आया हूँ |
जनाब गुलाम अली साहब की ग़ज़लें सुन कर
दिल की चोटें या तो हरी हो जाती हैं या फिर
दिल को एक मीठा सा, दर्द से भरा....सुकून सा
मिलता है | अब ये आप के उपर है ...
आप के हिस्से क्या आता है .......?
आजकल पोस्टें इतनी भावुक और भारी-भरकम
पोस्ट हो रहीं हैं कि इनमे एक छोटे से ब्रेक की
जरूरत महसूस हो रही है | इस लिए आप के
वास्ते ये गज़ल ले कर आया हूँ |
जनाब गुलाम अली साहब की ग़ज़लें सुन कर
दिल की चोटें या तो हरी हो जाती हैं या फिर
दिल को एक मीठा सा, दर्द से भरा....सुकून सा
मिलता है | अब ये आप के उपर है ...
आप के हिस्से क्या आता है .......?
यादोँ में रची-बसी इस मेरी पसंद को .....
ज़नाब गुलाम अली साहब की रूहानी और
दिलकश आवाज़ में ,अंदाज़ में ........
मेरे साथ आप भी ...महसूस कीजिये !!!
थकने का एहसास ........सोने के बाद का ... सन्नाटा ....
हवाओं का शोर ....,दिलों के फासले
जाने का दुःख ......और लंबा सफ़र !!!
मुसाफ़िर चलते -चलते थक गया है
सफ़र जाने अभी कितना पड़ा है.....
मकां के सब मकीं सोये पड़े हैं
हवा का शोर मुझसे कह रहा है
मुसाफ़िर चलते -चलते थक गया है .....
वो मेरे सामने बैठा है लेकिन
दिलों के बीच कितना फ़ासला है
मुसाफ़िर चलते -चलते थक गया है .....
जिसे मिलने तुम आए हो यहाँ पर
वो कब का इस मकां से जा चूका है
मुसाफ़िर चलते -चलते थक गया है
सफ़र जाने अभी कितना पड़ा है.......
वो हसीं लम्हें...मेरी यादोँ के ..... |
अशोक सलूजा |
बहुत खूब, सच है, सफर न जाने कितना पड़ा है।
ReplyDeleteमकां के सब मकीं सोये पड़े हैं
ReplyDeleteहवा का शोर मुझसे कह रहा है
............... इस कदर सब थक गए हैं , बहुत बढ़िया
मुसाफ़िर चलते -चलते थक गया है
ReplyDeleteसफ़र जाने अभी कितना पड़ा है....सही कहा..सफर अभी लम्बा है .बहुत सुन्दर भाव
सफ़र जाने अभी कितना पड़ा है.....
ReplyDeleteमकां के सब मकीं सोये पड़े हैं
हवा का शोर मुझसे कह रहा है
वाह ... बहुत खूब .. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
गुलाम अली साहब को सुन कर दूर हो जाती है हर थकन........
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट
शुक्रिया सर
सादर
अनु
वाह बहुत बढिया
ReplyDeleteखूबसूरत गजल चुनी है ...आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteलिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सुंदर ग़ज़ल ....!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ...!!
nice
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल....
ReplyDeleteवाह मज़ा आ गया सुन कर ....
ReplyDeleteतस्वीर में आप हैं क्या ....?
:-) जी बाएं मैं ही हूँ .....
Deleteशुक्रिया !
LAJAWAB...
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