|
चित्र गूगल साभार |
"बेचारा दिल मेरा"
उम्र भर अपनों को आज़माता रहा
जा-जा ,उनके दर को खटखटाता रहा |
हो के शामिल उनकी गमों-खुशी में
मैं अपने दिल को बहलाता रहा |
लगा के मरहम उनकी चोटों पे
अपने दिल की चोटों को सहलाता रहा |
यह सब मेरे वज़ूद का हिस्सा हैं
सोच,अपने दिल को समझाता रहा |
समझ आई हकीक़त , तो टुटा भ्रम मेरा
हंस-हंस के दिल को रुलाता रहा |
कुछ तो मजबूरियां रहीं होंगी उनकी
कह-कह दिल को मैं, मनाता रहा |
कुछ तो कहा होगा अन्जानें में उनको
यही सोच दिल, अपने को सताता रहा |
कितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
खुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |
इस दिल को तो आखिर टूटना ही था
मैं यूँ ही इसको अब तक बचाता रहा |
उनकी बेवफ़ाई के किस्से मैं "अकेला"
जो उस को सुनाता रहा... तड़पाता रहा ||
अशोक"अकेला"
|
सुन्दर प्रस्तुति पर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ||
शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल एक एक शेर कमाल का है !
ReplyDeleteकुछ तो कहा होगा अन्जानें में उनको
यही सोच दिल, अपने को सताता रहा |
कितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
खुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |
bahut khoob.
दिल तो बेचारा ही होता है।
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल...
ReplyDeleteसादर आभार...
कुछ तो मजबूरियां रहीं होंगी उनकी
ReplyDeleteकह-कह दिल को मैं, मनाता रहा |
waah...waah..bejod.Lajawab
कितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
ReplyDeleteखुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |
वाह वाह , अशोक जी ।
दिल की माया तो दिल ही जाने
कभी इस पर , कभी उस पर आता रहा !
♥
ReplyDeleteआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
निसंदेह दिल से ज्यादा नाज़ुक कुछ भी नहीं। चोट खा-खा कर भी प्यार ही करता है।
ReplyDeletevaah bhaayi....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteदिल की माया तो दिल ही जाने
ReplyDeleteकभी इस पर , कभी उस पर आता रहा !
खूबसूरत अंदाज़ ,अशआर की ग़ज़ल .अशोक भाई ई -मेल देखा नहीं है ,हिमाकत नहीं कर सकता देखने के बाद .काल करें -०९३ ५० ९८ ६६ ८५ पर अपना दूरभाष दूरध्वनी मोबाइल दें .
खूबसूरत अंदाज़ ,अशआर की ग़ज़ल .अशोक भाई ई -मेल देखा नहीं है ,हिमाकत नहीं कर सकता देखने के बाद .काल करें -०९३ ५० ९८ ६६ ८५ पर अपना दूरभाष दूरध्वनी मोबाइल दें .
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अंदाज़ है ... अजवाब शेर हैं इस मुकम्मल गज़ल के ...
ReplyDeleteआपकी गजल का एक एक हर्फ ....आपके सरल,मासूम,निष्कपट व्यवहार को बतलाता है.
ReplyDeleteकुछ तो कहा होगा अन्जानें में उनको
यही सोच दिल, अपने को सताता रहा |
हा हा हा इस सोच ने हमेशा हमीं को दुःख दिया.दूसरों के हाथों जख्म खाने के बाद भी खामियों खोजते रहे हम खुद में.
इसे भोलापन कहें खुद का
या कह दे सलीका नही
सीख पाए दुनियादारी का
दुनियां में रहने के भी बाद
यह सिर्फ आपके दिल का ज़िक्र नही यह तो आप जैसे सभी दिलो की दास्ताँ है वीरा! प्युओर हार्ट जैसी प्योर गजल
उम्दा गजल
ReplyDeleteइस दिल को तो आखिर टूटना ही था
ReplyDeleteमैं यूँ ही इसको अब तक बचाता रहा |
उनकी बेवफ़ाई के किस्से मैं "अकेला"
जो उस को सुनाता रहा... तड़पाता रहा ||
वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !. ..........
मकता तो बहुत ही खूबसूरत है!
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।
इस दिल को तो आखिर टूटना ही था
ReplyDeleteमैं यूँ ही इसको अब तक बचाता रहा |
उनकी बेवफ़ाई के किस्से मैं "अकेला"
जो उस को सुनाता रहा... तड़पाता रहा ||
वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !. ..........
मकता तो बहुत ही खूबसूरत है!
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल. अब इसमें दिल का क्या कसूर.
ReplyDeleteडॉ अशोक हेंडसम पहले अपनी दिन भर की खुराक बताओ .फिर पता चले भूख क्यों नहीं लगती .बेहतरीन ग़ज़ल ओर सुन्दर मुखड़े ने निहाल कर दिया ,अशोक अकेला ने कमाल कर दिया .
ReplyDeleteकितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
ReplyDeleteखुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |
वाह क्या बात है! बहुत उम्दा ग़ज़ल! सर जी बधाई स्वीकारो!
@ रविकर जी--
ReplyDelete@गुरुभाई सतीश जी --
@ राजेश कुमारी जी --
@ प्रवीण पाण्डे जी --
आप सब के स्नेह का बहुत-बहुत आभार !
@ S.M.Habib JI ---
ReplyDelete@भाई नीरज जी--
@ डॉ.दराल जी--
@शास्त्री जी--
@राजेन्द्र स्वर्णकार जी--
आप ने मेरे एहसास की सरहाना की ..उसके लिए शुक्रिया !
खुश रहें !
@डॉ.दिव्या जी --
ReplyDelete@राजीव जी --
@अतुल जी --
आप सब के स्नेह का शुक्रिया .... आशीर्वाद!
@वीरुभाई जी --
ReplyDelete@दिगम्बर नासवा जी --
@इन्दु पूरी गोस्वामी जी --
आप सब के स्नेह मेरा मान बड़ा ...इसके लिए दिल से ..
आभार!
@ डॉ.वर्षा जी --
ReplyDelete@रचना जी --
@वीरेंद्र जी--
आप को मेरा लिखा पसंद आया ...
बहुत-बहुत आभार !
शुभकामनाएँ!
@अजय कुमार जी--
ReplyDeleteआप ने मेरा लिखा पसंद किया !
मान-सम्मान का शुक्रिया !
शुभकामनाएँ!