Tuesday, September 27, 2011

इस दिल को तो आखिर... टूटना ही था...


अरे! यह तो दिल की श्रंखला शुरू हो
गई...पहले दिल टूट गया 'गीत'
फिर 'ग़ज़ल' रोएंगें हज़ार बार
और अब 'इस दिल को तो आखिर टूटना ही था'
पढ़ने के लिए!!! सच! यह
सिर्फ इत्‍फ़ाक है ....


"अपने उन चाहने वालों...की"नज़र"
जिनको सिर्फ और सिर्फ मैंने चाह"..!!!


चित्र गूगल साभार 

"बेचारा दिल मेरा"

 उम्र भर अपनों को आज़माता रहा
 जा-जा ,उनके दर को खटखटाता रहा |


 हो के शामिल उनकी गमों-खुशी में
 मैं अपने दिल को बहलाता रहा | 

लगा के मरहम उनकी चोटों पे
 अपने दिल की चोटों को सहलाता रहा |

 यह सब मेरे वज़ूद का हिस्सा हैं
 सोच,अपने दिल को समझाता रहा |

 समझ आई हकीक़त , तो टुटा भ्रम मेरा
 हंस-हंस के दिल को रुलाता रहा |

 कुछ तो मजबूरियां रहीं होंगी उनकी
 कह-कह दिल को मैं, मनाता रहा |

 कुछ तो कहा होगा अन्जानें में उनको 
 यही सोच दिल, अपने को सताता रहा |

 कितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
 खुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |


इस दिल को तो आखिर टूटना ही था
मैं यूँ  ही इसको अब तक बचाता रहा | 


 उनकी बेवफ़ाई के किस्से मैं "अकेला"
 जो उस को सुनाता रहा... तड़पाता रहा ||
 अशोक"अकेला"

27 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति पर
    बहुत बहुत बधाई ||

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  2. शुभकामनायें आपको !

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  3. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल एक एक शेर कमाल का है !

    कुछ तो कहा होगा अन्जानें में उनको
    यही सोच दिल, अपने को सताता रहा |

    कितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
    खुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |

    bahut khoob.

    ReplyDelete
  4. दिल तो बेचारा ही होता है।

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  5. सुन्दर ग़ज़ल...
    सादर आभार...

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  6. कुछ तो मजबूरियां रहीं होंगी उनकी
    कह-कह दिल को मैं, मनाता रहा |

    waah...waah..bejod.Lajawab

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  7. कितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
    खुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |

    वाह वाह , अशोक जी ।

    दिल की माया तो दिल ही जाने
    कभी इस पर , कभी उस पर आता रहा !

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  8. आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  9. निसंदेह दिल से ज्यादा नाज़ुक कुछ भी नहीं। चोट खा-खा कर भी प्यार ही करता है।

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  10. सुंदर प्रस्‍तुति।

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  11. दिल की माया तो दिल ही जाने
    कभी इस पर , कभी उस पर आता रहा !
    खूबसूरत अंदाज़ ,अशआर की ग़ज़ल .अशोक भाई ई -मेल देखा नहीं है ,हिमाकत नहीं कर सकता देखने के बाद .काल करें -०९३ ५० ९८ ६६ ८५ पर अपना दूरभाष दूरध्वनी मोबाइल दें .

    ReplyDelete
  12. खूबसूरत अंदाज़ ,अशआर की ग़ज़ल .अशोक भाई ई -मेल देखा नहीं है ,हिमाकत नहीं कर सकता देखने के बाद .काल करें -०९३ ५० ९८ ६६ ८५ पर अपना दूरभाष दूरध्वनी मोबाइल दें .

    ReplyDelete
  13. बहुत खूबसूरत अंदाज़ है ... अजवाब शेर हैं इस मुकम्मल गज़ल के ...

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  14. आपकी गजल का एक एक हर्फ ....आपके सरल,मासूम,निष्कपट व्यवहार को बतलाता है.
    कुछ तो कहा होगा अन्जानें में उनको
    यही सोच दिल, अपने को सताता रहा |
    हा हा हा इस सोच ने हमेशा हमीं को दुःख दिया.दूसरों के हाथों जख्म खाने के बाद भी खामियों खोजते रहे हम खुद में.
    इसे भोलापन कहें खुद का
    या कह दे सलीका नही
    सीख पाए दुनियादारी का
    दुनियां में रहने के भी बाद
    यह सिर्फ आपके दिल का ज़िक्र नही यह तो आप जैसे सभी दिलो की दास्ताँ है वीरा! प्युओर हार्ट जैसी प्योर गजल

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  15. इस दिल को तो आखिर टूटना ही था
    मैं यूँ ही इसको अब तक बचाता रहा |


    उनकी बेवफ़ाई के किस्से मैं "अकेला"
    जो उस को सुनाता रहा... तड़पाता रहा ||

    वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !. ..........
    मकता तो बहुत ही खूबसूरत है!
    बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।

    ReplyDelete
  16. इस दिल को तो आखिर टूटना ही था
    मैं यूँ ही इसको अब तक बचाता रहा |


    उनकी बेवफ़ाई के किस्से मैं "अकेला"
    जो उस को सुनाता रहा... तड़पाता रहा ||

    वाह! क्या खूबसूरत गजल कही है आपने !. ..........
    मकता तो बहुत ही खूबसूरत है!
    बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।

    ReplyDelete
  17. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल. अब इसमें दिल का क्या कसूर.

    ReplyDelete
  18. डॉ अशोक हेंडसम पहले अपनी दिन भर की खुराक बताओ .फिर पता चले भूख क्यों नहीं लगती .बेहतरीन ग़ज़ल ओर सुन्दर मुखड़े ने निहाल कर दिया ,अशोक अकेला ने कमाल कर दिया .

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  19. कितना मासूम है,यह बेचारा दिल मेरा
    खुद चोट खाकर भी मुझको हसांता रहा |

    वाह क्या बात है! बहुत उम्दा ग़ज़ल! सर जी बधाई स्वीकारो!

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  20. @ रविकर जी--

    @गुरुभाई सतीश जी --

    @ राजेश कुमारी जी --

    @ प्रवीण पाण्डे जी --

    आप सब के स्नेह का बहुत-बहुत आभार !

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  21. @ S.M.Habib JI ---
    @भाई नीरज जी--
    @ डॉ.दराल जी--
    @शास्त्री जी--
    @राजेन्द्र स्वर्णकार जी--
    आप ने मेरे एहसास की सरहाना की ..उसके लिए शुक्रिया !
    खुश रहें !

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  22. @डॉ.दिव्या जी --

    @राजीव जी --

    @अतुल जी --

    आप सब के स्नेह का शुक्रिया .... आशीर्वाद!

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  23. @वीरुभाई जी --
    @दिगम्बर नासवा जी --
    @इन्दु पूरी गोस्वामी जी --
    आप सब के स्नेह मेरा मान बड़ा ...इसके लिए दिल से ..
    आभार!

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  24. @ डॉ.वर्षा जी --
    @रचना जी --
    @वीरेंद्र जी--
    आप को मेरा लिखा पसंद आया ...
    बहुत-बहुत आभार !
    शुभकामनाएँ!

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  25. @अजय कुमार जी--
    आप ने मेरा लिखा पसंद किया !
    मान-सम्मान का शुक्रिया !
    शुभकामनाएँ!

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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