यादेँ ......!!!
एक अकेला सा शब्द
एक बेचारा सा शब्द
अपने में दुनिया समेटे
दुखों-सुखों का संसार समेटे
अकेलेपन का सहारा सा शब्द ,
एक गुज़रा ,भूला सा वक्त
एक तन्हा सा शब्द
दिमाग के किसी कोने में
एक यतीम सा छोड़ा हुआ
एक 'अकेला'बेसहारा सा शब्द ||
न रहा है ,न रहेगा
कुछ भी पास तेरे
भूली-बिसरी यादेँ ही
रह जाएँगी पास तेरे
तू किस बात पे भरमाया है
बस ये यादेँ ही तेरा सरमाया है ||
अशोक..अकेला..
शानदार- भावपूर्ण!!
ReplyDeleteतू किस बात पे भरमाया है
ReplyDeleteबस ये यादेँ ही तेरा सरमाया है ||
Bahut Sunder...
शब्द अकेला है पर जीवन के सारे बीते अध्याय समेटे है।
ReplyDeleteवाह !!!!! बहुत बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
बहुत खूब सलूजा साहब !
ReplyDeleteकर रहा हूँ कबसे तय अकेला, दश्त का वीरान सफ़र,
इक तेरी याद न होती तो साथ का भी अहसास न होता !
यादों का सफ़र कभी न रुके... अनवरत चले!
ReplyDeleteसादर!
हँसी रुदन शर्माना इठलाना .... सबकुछ इन्हीं यादों में है
ReplyDeleteयादों का सिलसिला यूँ ही चलता रहे ..आभार
ReplyDeleteभूली-बिसरी यादेँ ही
ReplyDeleteरह जाएँगी पास तेरे
तू किस बात पे भरमाया है
बस ये यादेँ ही तेरा सरमाया है ||
प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी ,
प्रभुजी तुम दिग्विजय(चाणक्य ).. हम राहुल (मंद मति ) ,
भूली बिसरी यादें लेकर ,याद सुहाने बचपन की ,
ReplyDeleteरात बिरात चली आतीं हैं ,नींद चुराने नैनं की ,
अब कह दूँगी ,करते करते कितने सावन बीत गए ,
जाने कब इन आँखों का शर्माना जाएगा ,
दीवाना सैंकड़ों में पहचाना जाएगा ....
भूली हुई यादों मुझे इतना न सताओ ,
ReplyDeleteअब चैन से रहने दो ,मेरे पास न आओ ...
प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी ,
ReplyDeleteप्रभुजी तुम दिग्विजय(चाणक्य ).. हम राहुल (मंद मति ) ,
यादें.....जब कुछ नहीं तब ये ही तो हैं....
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
सादर.
अनु
यादों की अक्षय निधि...
ReplyDeleteयादों का कांरवा धड़कनों के साथ आगे बढ़ता रहता है ... हर पल
ReplyDeleteसत्य वचन । यादों के सहारे भी जिंदगी अच्छी गुजर जाती है ।
ReplyDeleteये यादें ही है जो हमें जिन्दा होने का अहसास कराती है
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति
आभार
यादें एहसास कराती हैं कि हम जिंदा हैं ... बहुत अच्छी और गहन बात
ReplyDeleteyaaden hi to sabse pyare nagmen haen jo sdaev hi ham gungunate haen.sundar rachna hae sirji aapke vichar mere blog par aamantrit haen sdaev .
ReplyDeleteयादों ने साथ निभायाहै ,
ReplyDeleteथोड़ा थोड़ा भरमायाहै ,यादों का फिर भी साया है ,
जो खोया वो पछताया है ,
यादों को दोष लगाया है .
यादों कि गहन अनुभूतियाँ ....बहुत खूबसूरत रचना बन पड़ी है ...!!
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें ...
अनुपमा जी,
Deleteइस मान-सम्मान का बहुत-बहुत आभार !
सर ...आपकी 'यादें' बेहद पसंद आई। जो कुछ भी आपने कहना चाहा ..उससे सहमत हूं। आपको श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं/ मंगलकामनाएं!
ReplyDeleteन रहा है ,न रहेगा
ReplyDeleteकुछ भी पास तेरे
भूली-बिसरी यादेँ ही
रह जाएँगी पास तेरे
अगर यादें न हों तो दुनिया कितनी वीरान लगेगी !!
एक अच्छी कविता।
यादों के ताने बाने से बुनी .. यादों के झरोखे पे बैठ के लिखी ... यादों का गहरा एहसास लिए ... यादगार शब्द ...
ReplyDeleteyaaden hi jeene ka sabab ban jaati hain man me umadte bhaavon ko bakhoobi likha hai bahut sundar.
ReplyDeleteदुआ है ये यादें हमेशा आपके साथ रहे ......
ReplyDeleteयूँ न लिखा कीजिये .....
दिल के टुकड़े यूँ ही सजाए जाते हैं
Deleteयादों के दिए ,बस यूँ ही जलाये जाते है ||
खुश रहें !
आभार!
बहुत भावपूर्ण रचना ... ये यादें न हो तो जीना दूभर हो जाये ... मरी दुआ है की आप ज़िन्दगी में और भी बहुत सारी प्यारी प्यारी यादें बनाते जाएँ ...
ReplyDeleteआप सब के प्यार और स्नेह के लिए ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार!
आप सब खुश और स्वस्थ रहें!