Sunday, February 05, 2012

अंदाज़ अपने देखते हैं ,आइने में वो ....

और ये भी देखते हैं ,कोई देखता न हो||
यादों के खज़ाने से ......आज आप को सुनवाता हूँ !
एक बहुत प्यारी गज़ल  ,जो यकीनन ,हर गज़ल के शौकीन और 
"जनाब गुलाम अली साहब" की सुरीली आवाज़ के मुरीदों ने जरूर 
सुनी होगी |

हंगामा है क्यों बरपा , थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नही डाला ,चोरी तो नही की है ....!!!

ये वो  गज़ल है जिसे सुन कर पीने वाले मूड में आ जाते है 
और न पीने वालों का... पीने का मूड बन जाता है ......!!!

"जनाब गुलाम अली साहब" की एक खास खासियत ये भी है कि
वो अपनी ही गाई  गज़ल को जब-जब भी गाते है ,तब तब उसमे 
नए-नए तजुर्बे कर ,एक नए अंदाज़ में उस गज़ल  को पेश करते हैं |

इस तरह उनकी गाई हर गज़ल का हर बार अपना एक नया दिलकश 
अंदाज़ होता है .जो सुनने वाले को गज़ल की नई ताजगी देता है |

अब आप ही सुन कर बताएं, इस दिलकश  गज़ल को जिसमें उनकी 
ली हुई ,मुरकियां और ऊँची-नीची तानो की सुरीले अंदाज़ को, और 
तबले की सुंदर संगत का सरूर ...बस सुनते ही बनता है ....!!!

क्या आप भी मेरी बात से इत्तिफ़ाक रखते हैं या ......??? 

न करता शिकायत ,जमाने से कोई 
अगर मान जाता ,मनाने से कोई 
न मेरी निगाहों से सागर छलकते 
जो तौबा न करता ,पिलाने से कोई ||---अज्ञात |

20 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति...
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 06-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

    ReplyDelete
  2. ये ग़ज़लें सुनकर आनन्द आ जाता है

    ReplyDelete
  3. बढ़िया प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर भावप्रणव अभिव्यक्ति!

    ReplyDelete
  5. अस्सी के दशक की शुरुवात में इस गज़ल को कैसेट में रिवर्स कर करके सुना करते थे. वाह !!!!!!! आज सुन कर मजा आ गया. आज फिर री- करके सुनेंगे.

    ReplyDelete
  6. बहुत पसंद है यह ग़ज़ल..... आभार

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया प्रस्तुति .

    ReplyDelete
  8. बढ़िया प्रस्तुति | पंसदीदा गज़ल को संस्मरण करवानी के लिए आभार |

    टिप्स हिंदी में

    ReplyDelete
  9. Wah sir Gulam Ali sahab ko sunkar tarotaja ho gaya .....ghazal smrat Gulam ali sahab ko yun to bachapan se sunane ki adat hai.....unke swron ka utar chadav bahut hi dilkash hota hai. Es undar pravishti ke liye bahut bahut abhar.

    ReplyDelete
  10. बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,

    ReplyDelete
  11. हंगामा है क्यूँ बरपा...गुअलम अली जी की गाई अमर संगीत रचना है...जब सुनो मज़ा आ जाता है...

    नीरज

    ReplyDelete
  12. आद अशोक जी ,
    आदाब ...
    बहुत दिनों से आ नहीं पाई आपके ब्लॉग पे ....
    कैसे हैं ....?
    बहुत जानदार ग़ज़ल है ये ...'' हंगामा है क्यूँ बरपा...''

    पर ये लिखी किसने है ....?
    लिखने वाले की भी तारीफ होनी चाहिए .....
    पिछले दिनों मुझे कपिल कुमार ने अपनी क्षणिकाएं भेजने के लिए फोन किया ...मुझसे पूछते हैं मुझे पहचानती हैं न ...?
    .मैंने कहा नहीं ...
    वे थोड़े शर्मिंदा हुए ....बोले ''हंसने की चाह ने इतना मुझे रुलाया है ...'गीत मेरा ही लिखा हुआ है

    ReplyDelete
    Replies
    1. गज़ल आप को पसंद आई ...अच्छा लगा !
      लेखक के बारे में मेरे पास कोई पुख्ता जानकारी नही ...
      फिर भी किसी की टिप्पणी के आधार पर ,वो टिप्पणी ज्यों की त्यों :-
      Its a beautiful influx of two cultures.... singer is from pakistan, but the gazal is written by an Indian..Syed Akbar Hussain Rizvi popularly known as Akbar Allahabadi .... :-)
      jagdishmishraa 3

      खुश और स्वस्थ रहें

      Delete
  13. दादा द्रुत टिपण्णी के लिए आपका शुक्रिया .चलो दिल्ली में कोई तो हमदर्द है इस बेदिल मतलबी दुनिया में .

    ReplyDelete
  14. veerubhaiFeb 7, 2012 09:56 AM

    यादों के भवंडर जब चलते हैं
    तो सदियों पीछे ले जाते हैं|
    दादा बवंडर कर लें .

    ReplyDelete
  15. इस ग़ज़ल में एक जादू सा है

    ReplyDelete
  16. लाजवाब ..लाजवाब...
    बहुत खूब...........

    ReplyDelete
  17. आप सब को गज़ल पसंद आई ,आप ने गज़ल का आनंद उठाया ...
    मेरी पसंद पर आप की भी मोहर लगी .मुझे भी आनंद आया |
    आप सब खुश और स्वस्थ रहें !
    शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...