Friday, February 10, 2012

रेत पे लिख के मेरा नाम ,मिटाया न करो ....


आँखें सच बोलती है ,प्यार छुपाया न करो|| 
यादेँ ..... बहुत दिन से मेरी यादों में एक सुंदर ,
नाज़ुक, कोमल और रोमांटिक गज़ल बसी हुई थी ,जो
मैं आप सब को  भी सुनवाना चाहता था |
आज इस रोमांटिक माहोल और खुशनुमा दिल्ली की कंपकपाती
सर्दी में ,ये गज़ल आप सब को एक खुशनुमा गर्मी का अहसास
महसूस कराएगी ....ऐसा मेरा मानना है ..??
आखिर पसंद तो मेरी है और उम्मीद करता हूँ हमेशा की तरह आप
की पसंद पर भी खरी उतरेगी ...आमीन !!!
इस गज़ल को अपनी मीठी और रोमांटिक आवाज़ में ,आप के लिए
गाया  है ....राज कुमार रिज़वी जी ने ....
तो पेश है ....आप के लिए... आप भी सुनियें और कुछ लम्हों के लिए
खो जाइये अपनी मधुर यादों में .....शब्बा खैर !!!

रेत पे लिख के मेरा नाम ,मिटाया न करो
आँखें सच बोलती है ,प्यार छुपाया न करो


लोग हर बात का अफसाना बना लेते है
सब को हालात की रूदाद सुनाया न करो


आँखें सच बोलती है ,प्यार छुपाया न करो
रेत पे लिख के मेरा नाम........


ये जरूरी नही ,हर शक्स मसीहा ही मिले
प्यार के जख्म अमानत है ,दिखाया न करो

आँखें सच बोलती है ,प्यार छुपाया न करो
रेत पे लिख के मेरा नाम ......


शहरे अहसास में पथराव बहुत हैं 'मोहसिन'
दिल को शीशे के झरोंखों से सजाया न करो


आँखें सच बोलती है ,प्यार छुपाया न करो
रेत पे लिख के मेरा नाम ......















20 comments:

  1. सुन्दर सलूजा साहब ! इसी से सम्बंधित शेर याद आ गया ;

    तन्हाइयों में हम यूंही दिल को सजा देते है ,

    नाम लिखते है तेरा, लिख के मिटा देते है !!

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  2. बहुत बढ़िया..गज़ल भी..आवाज़ भी..

    शुक्रिया.

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  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  4. बहुत खूब भाई जी ...
    आभार !

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  5. बहुत बढ़िया ग़ज़ल --सुनने में भी और पढने में भी ।

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  6. बहुत ही प्यारी ग़ज़ल......

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  7. लोग हर बात का अफसाना बना लेते है
    सब को हालात की रूदाद सुनाया न करो
    beshkimti

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  8. वाह !!! जैसा आपने कहा था वाकई दिल छु गई यह गजल... लजवाब choice है आपकी इस गज़ल को यहाँ पढ़वाने और सुनवाने के लिए आपका आभार...

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  9. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  10. बहुत अच्छे अशोक भाई !शुक्रिया हमारे ब्लॉग पर टिपियाने के लिए .

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  11. बहुत बढ़िया गज़ल ...

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  12. बहुत बढ़िया गज़ल ...

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  13. देर से पहुचने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ लेकिन आज इतबार की सुबह इस बहाने सुहानी हो गयी. बेहतरीन गज़ल सुनकर आनंद आ गया. शुक्रिया.

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  14. ये गज़ल आप ने सुनी ,सराही ,अच्छी लगी ,मुझे ये सब जान कर सुकून मिला ....
    आप सब खुश और स्वस्थ रहें |
    आप सब के मान-सम्मान का आभार |

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  15. वाह ...कोमल एहसास .....

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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