कुछ ऐहसास मेरे दिल से ...................
.
उसने कहा, हम भूल गये
मेने कहा मैं, मान गया,
उनके दिल में, मैं हूं कहां
मैं अच्छी तरह से जान गया॥
चुप रह कर मैं समझा, मैनें
सब के शिकवे धो दिये,
चुप्पी बनी गुनाह, मेरा
सब रिश्ते मैने खो दिये॥
उम्र कट गयी सारी, दिल को येह समझाने में
शायद तुझको भी चहा हौ किसी ने अनजाने मेँ।।
सब को सुना चुका हूं, मैं अपना अफ़साना
कोई रह गया सिर्फ 'हूं' करके किसी ने समझा
'भला' सिर्फ चुप रेहना॥
शायद यही है मेरा नसीब
रहूँ हमेशा में दुःख के करीब ||
.
उसने कहा, हम भूल गये
मेने कहा मैं, मान गया,
उनके दिल में, मैं हूं कहां
मैं अच्छी तरह से जान गया॥
चुप रह कर मैं समझा, मैनें
सब के शिकवे धो दिये,
चुप्पी बनी गुनाह, मेरा
सब रिश्ते मैने खो दिये॥
उम्र कट गयी सारी, दिल को येह समझाने में
शायद तुझको भी चहा हौ किसी ने अनजाने मेँ।।
सब को सुना चुका हूं, मैं अपना अफ़साना
कोई रह गया सिर्फ 'हूं' करके किसी ने समझा
'भला' सिर्फ चुप रेहना॥
शायद यही है मेरा नसीब
रहूँ हमेशा में दुःख के करीब ||
उसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
पर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।
अशोक"अकेला"
मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteउसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
ReplyDeleteपर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।
दिल के बेहद करीब...
बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति!
सब को सुना चुका हूं, मैं अपना अफ़साना
ReplyDeleteकोई रह गया सिर्फ 'हूं' करके किसी ने समझा
'भला' सिर्फ चुप रेहना॥
BILKUL SAHI KAHA
गहन एहसास ....सुंदर रचना ...
ReplyDeleteउसी ने दिए ज़ख्म जो खास हुआ ... सटीक अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह वाह वाह वाह ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..!!
kalamdaan.blogspot.com
उसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
ReplyDeleteपर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।
bahut gahri sambedna...aabhar
उसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
ReplyDeleteपर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।
गहरे भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुती है