"चित्र गूगल द्वारा आभार सहित " |
एक गांव में ,मेरे जैसे एक अनपढ़ ,गंवार ने ,अपने गांव में रेहने वाले एक पढ़े-लिखे
नौजवान को ,पत्र लिखवाने के लिए अपने घर पर बुलवाया | उसने येह पत्र अपने बेटे को भेजना था |
जो किसी दूसरे शेहर में नौकरी करता था |
काफी इंतज़ार के बाद, उसे नौजवान आता दिखा | जिसको देख उसको आँखों में एक उम्मीद की चमक आ गयी |जवान नजदीक आया ,बजुर्ग को दुआ सलाम की ,और काम पूछा ? " बेटा एक चिठ्ठी लिखवानी थी " अपने बेटे को भेजने के लिए, जरा लिख दे !!!
जवान थोडा ठिठका,झिझका और बोला " ताऊ चिठ्ठी तो में जरूर लिख देता" पर आज ऐसा है ? कि मेरे घुटने में दर्द है !!!
ताऊ भोचक्का हो उसकी तरफ देख कर बोला " पर बेटा ! चिठ्ठी तो हाथों से लिखी जावे न ???
जवान बोला ,ताऊ आप बिल्कुल ठीक बोलो ! पर बात यो से, कि चिठ्ठी का जवाब भी
तो मेरे को ही पढ़ने आना पड़े गा न...? इतना केह वो जवान चलता बना और मैं उसके घुटने के
दर्द के ठीक होने का इंतज़ार कर रहा हूँ .....|
सो भाई पढ़ना लिखना बहुत जरूरी है ...
अब मैं ज्यादा पढ़ तो नही सका ,पर जितना आता है
उस हिसाब से अपनी चिठ्ठी आप
ही लिखने कि कोशिश कर रहा हूँ ....
(सुनी-सुनाई एक मजाक के आधार पर )
अशोक "अकेला"
लिख तो ठीक रहे हैं..
ReplyDeleteजरा पढ़कर भी बताये...
हाथ आजमाने के लिए
हमारे दर पर आयें. :)
पड़ अथवा पड़ना को पढ़ एवं पढना , लिखें ...कृपया ठीक करलें ! शुभकामनायें !!
ReplyDeleteमुल्ला नसरुद्दीन से पडौसी ने कुल्हाडी मांगी । मुल्ला बोला नहीं कुल्हाडी कैसे दे सकता हूँ मुझे दाढी बनानी है । मुल्ला की पत्नी बोली वो कुल्हाडी मांग रहा है और तुम दाढी बनाने की बात कर रहे हो । ये कुल्हाडी का दाढी से क्या सम्बन्ध ? मुल्ला तब बोला जब मुझे कुल्हाडी देना ही नहीं है तो बहाना कुछ भी हो सकता है ।
ReplyDeleteबहुत ही गहरे भाव !
ReplyDeleteमजाक कम...वेदना ज्यादा.
गुरु भाई, सतीश जी !
ReplyDeleteखुश रहो !
सुधार के लिए शुक्रिया ! इसको लेकर मैं हमेंशा ही confusion में
रहा !आज फिर कुछ सीखने को मिला !
आभार !
स्वस्थ रहें !
समीर जी ,
ReplyDeleteनमस्कार !
कई बार तेरे दर पे मैं आया ,
टेक माथा,वापस चला आया
तेरे लिखे पे कैसे करूं टिप्पणी
कभी इस काबिल न अपने को पाया ||
खुश और स्वस्थ रहें !
आभार !
अशोक सलूजा !
@ डॉक्टर साहिबा,
ReplyDeleteआप इस को हल्के-फुल्के मज़ाक में ही लें |और अपनी नई गज़ल जल्दी पढ़वायें !आभार !
@सुशील जी ,नमस्कार !माफ़ी चाहता हूँ आपसे ,न तो आपने गल्ती
बताई ,न कोई सुधार बताया !न पता चला आप टिप्पणी दें रहें हैं या टिप्पणी मांग रहे हैं ! पर इसके लिए अपनी अगली पोस्ट में कोशिश करूँगा कि आप का मनचाह उतर दे पाऊं! शुक्रिया !
समीर भाई को शुक्रिया मुझसे पहले अदा करें भाई जी ! उन्होंने अपने कमेन्ट में आपसे "पढने" के लिए अर्ज किया है !
ReplyDeleteकहानी अच्छी लगी .हैं तो आप पुराने खिलाडी यार चाचू.चिठ्ठी लिख कर अपनी बात पेश करना अच्छा आता है आपको.
ReplyDeleteगल्ति या सुधार बताने की कोई बात नहीं थी । वो तो आपकी पोस्ट में जैसे चिट्ठी लिखने वाला बहाना बनाकर चल दिया वैसा ही एक उदाहरण मैंने भी आपके समक्ष प्रस्तुत कर दिया था । बस...
ReplyDeleteVery emotional post.
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